श्रावण महोत्सव के प्रथम दिवस सुश्री गुंदेचा का ध्रुपद गायन,श्री विनायक एवं समूह द्वारा तबला त्रिवेणी के वादन एवं श्री शांतनु चक्रवर्ती सुश्री परिणीत के भरतनाट्यम की प्रस्तुति में शिवमयी हुआ श्रावण महोत्सव

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श्रावण महोत्सव के प्रथम दिवस सुश्री गुंदेचा का ध्रुपद गायन,श्री विनायक एवं समूह द्वारा तबला त्रिवेणी के वादन एवं श्री शांतनु चक्रवर्ती सुश्री परिणीत के भरतनाट्यम की प्रस्तुति में शिवमयी हुआ श्रावण महोत्सव

उज्जैन 17 जुलाई 2022 । श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के गौरवशाली आयोजन 17वा अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2022 की प्रथम संध्या में दीप प्रज्जवलन के पश्चात कार्यक्रम के प्रारंभ में नादब्रम्ह से प्रारम्भ करने की परंपरा का निर्वहन करते हुए पहली प्रस्तुति नाद उज्‍जैन के युवा तबला वादक श्री विनायक शर्मा, श्री हर्षिल मेहता एवं श्री केशव केवलिया के तबला त्रिवेणी से हुई। उसके पश्‍चात भोपाल की सुश्री धानी गुंदेचा की ध्रुपद गायकी के बाद कार्यक्रम का समापन नईदिल्‍ली के श्री शान्‍तनु चक्रवर्ती एवं सुश्री परिणीत मलिक के भरतनाटयम से हुआ।
श्रावण महोत्सव की प्रथम संध्‍या की प्रथम प्रस्‍तुति में तबला त्रिवेणी के अंतर्गत श्री विनायक शर्मा , श्री हर्षिल मेहता, श्री केशव केवलिया ने बनारस घराने की परम्परा में स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत किया। जिसे दर्शकों के द्वारा खूब सराहा गया। प्रस्तुति का आरम्भ महाकाल परन से हुआ तत्पश्चात् उठान, पराल, ठेके के प्रकार, बनारस की बाँट, छन्द-रौ, व कई दुर्लभ बंदिशों की प्रस्‍तुति दी गई, जिसमें गत, त्रिपल्ली, फर्द, फरमाइशी चक्करदार तिहाईया आदि शामिल थें। इनके साथ वायलिन पर श्री अब्दुल हमीद लतीफ व हारमोनियम पर श्री कुलदीप दुबे ने संगत दी।
द्वितीय प्रस्तुति में डागर घराने की भोपाल की सुश्री धानी गुंदेचा ने अपनी प्रस्‍तुति का प्रारंभ राग बिहाग आदिताल में निबद्ध व पद्मश्री पंडित गुंदेचा बंधुओं द्वारा स्वरबद्ध बंदिश- महाकाल महादेव…….,से किया। उसके पश्‍चात राग किरवाणी में पंडित पुरुदाधीच द्वारा रचित ब्रह्मताल में निबद्ध बंदिश- शंकर प्रलयंकर……, राग शंकरा ताल मत्त 9 मात्रा में शंकर पंचवदन…….की प्रस्‍तुति दी। प्रस्‍तुति का समापन राग मालकौंस सूल ताल में पारम्परिक डागर घराने की बंदिश- शंकर गिरिजापति….. से किया। इनके साथ पखावज पर पंडित श्री अखिलेश गुंदेचा व तानपुरें पर श्री विक्रम एवं श्री संतोष कुमार ने संगत की।
प्रथम संध्‍या की अंतिम प्रस्तुति नई दिल्‍ली के श्री शान्‍तनु चक्रवर्ती एवं सुश्री परिणीत मलिक के भरतनाटयम की हुई। प्रस्‍तुति के प्रारंभ में श्री चक्रवर्ती एवं सुश्री मलिक ने भगवान श्री महाकालेश्‍वर को आदिताल में निबद्ध राग मालिका के माध्‍यम से पुष्‍पांजलि अर्पित की। उसके पश्‍चात आदि शंकराचार्य द्वारा शिव पंचाक्षर स्तोत्र की प्रस्‍तुति के बाद राग खमाज आदि ताल में रचित इडद पाद (एक पैर पर नृत्‍य) जो भगवान शिव श्री नटराज को समर्पित है की प्रस्‍तुति दी। सांस्‍कृतिक संध्‍या में श्री चक्रवर्ती एवं सुश्री मलिक ने अपनी प्रस्‍तुति का समापन, पद्मश्री द्वारा के.एन. दंडुदापानी पिल्लई द्वारा रचित तिलाना से किया। जिसमें चतुरम, तिश्राम, मिश्राम, खांडम और संकीरनाम आदि की प्रस्‍तुति दी। इनके साथ श्री चक्रवर्ती के गुरु वी. कृष्णमूर्ति गायन और नट्टुवंगम (तालम) पर और श्री वेत्री भूपति मृदंगम पर संगत की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि महामण्‍डलेश्‍वर श्री शान्ति स्‍वरूपानंद जी, महर्षि संदीपनी राष्‍ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्‍ठान के सचिव श्री विरूपाक्ष जडृडीपाल व श्री महाकालेश्‍वर मंदिर पुजारियान समिति के अध्‍यक्ष श्री विजयशंकर पुजारी ने किया। दीपप्रज्‍जवलन के पश्‍चात श्री महाकालेश्‍वर मंदिर प्रबंध समिति सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र शर्मा ‘गुरू’, पुजारी श्री राम शर्मा द्वारा सभी गणमान्‍य अतिथियों का दुपट्टा, प्रसाद व स्मृति चिन्ह़् देकर सम्‍मान किया गया। इसके पश्‍चात अतिथियों द्वारा
प्रस्तुति हेतु पधारे सभी कलाकारों एवं सहयोगी कलाकारों का दुपट्टा, प्रसाद व स्मृति चिन्ह़् देकर स्वागत व सम्मान किया गया। मंच संचालन श्री राहुल शर्मा द्वारा किया गया।

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