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विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के कार्यकाल के चार वर्ष पूर्ण होने पर पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए कहा

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विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कार्यपरिषद कक्ष में दि. 13 सितम्बर 2024, शुक्रवार, मध्याह्न 12 प्रेस वार्ता आयोजित की गई। यह प्रेस वार्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलगुरु प्रो अखिलेश कुमार पांडेय के कार्यकाल के चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित की गई थी। दिनांक 13 सितम्बर 2024, शुक्रवार को मध्याह्न 12 बजे विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद कक्ष में प्रेस वार्ता को कुलगुरु प्रो. पांडेय ने सम्बोधित किया। उन्होंने प्रेस वार्ता में विश्वविद्यालय की हाल के दौर की उपलब्धियां पर चर्चा के साथ ही प्रेस एवं मीडिया के सुधी जनों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं डीएसडब्ल्यू प्रो एस के मिश्रा सम्मिलित हुए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रेस एवं मीडिया से जुड़े सुधीजन उपस्थित थे।
विश्वविद्यालय की प्रमुख उपलब्धियाँ : एक संक्षिप्त विवरण
डॉ अखिलेश कुमार पाण्डेय
कुलगुरु,
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन

1. नवीन संकाय की स्थापना: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषि के उन्नयनन के क्षेत्र मे लगातार किए जा रहे प्रयास से कृषि अध्ययनय एवं शोध की मांग दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। इसको ध्यान मे रखते हुए महामहिम राज्यपाल महोदय एवं तत्कालीन मा. उच्च शिक्षा मंत्री एवं वर्त्तमान मा. मुख्य मंत्री के मार्गदर्शन मे समन्वय समिति मे विक्रम विश्वविद्यालय ने परिनियम एवं अध्यादेश मे आवश्यक संशोधन कर कृषि संकाय की स्थापना सर्वप्रथम की गई।
2. नवीन अध्ययनशालाओ की स्थापना: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विद्यार्थियों को एक ही प्रांगण मे शिक्षण एवं प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध करने के उदेश्य से पूर्व से संचालित 29 अध्ययनशालाओ के अलावा विधि, कृषि, फोरेंसिक विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी, ललित कला, शिक्षा एवं शारीरिक शिक्षा आदि के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की 7 नई अध्ययनशालाओ की शुरुआत की गई ।
3. नवीन पाठ्यक्रमों की शुरुआत: अंतर्राष्ट्रीयकरण, निजीकरण एवं उदारीकरण के दौर में शिक्षा का स्वरुप बहुत तेज़ी से बदल रहा है। अतः विश्वविद्यालय परिक्षेत्र ही नहीं बल्कि देश एवं प्रदेश के विद्यार्थियों की आवश्यकताएं एवं रुझान को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने 51 पूर्व में संचालित पाठ्यक्रमों के साथ-साथ 240 नए स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट जैसे कई नवीन पाठ्यक्रम भी शुरू किए है।
4. विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि: विगत वर्षों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है इसका प्रमुख कारण विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए नवाचारी प्रवेश प्रक्रिया जैसे ‘विश्वविद्यालय चलो अभियान’, ‘कुलपति विद्यार्थी संवाद’, ‘करियर काउंसलिंग’, ‘विद्यार्थी प्रतिभा सम्मान’ आदि है। विश्वविद्यालय ने आवश्यकताओं एवं समयानुसार अपने पाठ्यक्रमों में परिवर्तन किया एवं नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके साथ विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित “कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट” (सीयूईटी) में सक्रिय सहभागिता भी विद्यार्थियों की बड़ी संख्या का कारण है। तीन विदेशी देश सहित वर्तमान में विश्वविद्यालय में 25 प्रांतों के विद्यार्थी अध्यनरत हैं । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार एक ही प्रांगण में लगभग सभी विषयों में शिक्षा के अवसर प्रदान करना भी प्रवेश मे बढ़ोतरी का एक कारण है, क्रमश: विद्यार्थियों की संख्या मे निम्न अनुसार बढ़ोतरी हुई है :-
अकादमिक सत्र विद्यार्थियों की संख्या
2019-2020 2726
2020-2021 3268
2021-2022 4268
2022-2023 8000
2023-2024 10,500वि

क्रम विश्वविद्यालय ने विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने हेतु आवश्यक प्रयास किया जिसके फलस्वरूप तंजIनिया, सूडान एवं गोवोंरोन के तीन विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया । इन विद्यार्थियों को भारतीय सांस्कृति, परंपरा एवं विरासत से परिचित करने हेतु विशेष विद्यार्थी सलाहकार समूह बनाए गए है। विदेशी मूल के विद्यार्थियों को भाषा विशेष रूप से हिन्दी मे समस्या आ रही है जिसके समाधान हेतु हिन्दी के बोर्ड ऑफ स्टडीस द्वारा हिन्दी का विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।

5. भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप एवं सामाजिक एवं राष्ट्रीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा रामचरितमानस में विज्ञान एवं सांस्कृति, गीता में प्रबंधन, वैदिक गणित, पांडुलिपि विज्ञान, हिंदू स्टडीज आदि जैसे परंपरागत पाठ्यक्रम शुरू किए गए है । भारतीय भाषाएं की विविधता एवं अनेक संरक्षण, संवर्धन एवं हस्तांतरण को दृष्टिगत रखते हुए 25 विभिन्न प्रांतो से शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों की सहभागिता से बहुभाषी प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने की शुरुआत की गई। भारत अध्ययन केंद्र की स्थापना सहित स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदू स्टडीज की भी शुरुआत की गई । विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान विज्ञान की विरासत से युवाओं को परिचित कराने के उदेश्य से मालवा पीठ, जनजातीय अध्ययन एवं शोध केंद्र की स्थापना की गई है । उज्जैन के जैन समाज के सोजन्य से महान संत विद्यासागर महाराज शोध पीठ की स्थापना की गई । इसके अतिरिक्त पूर्व में स्थापित ‘गांधी चेयर’, ‘गुरु नानक शोध पीठ’ एवं ‘मुंशी प्रेमचंद शोध पीठ’ को भी सक्रिय किया गया है।
6. अनुदान सहयोग:
(i.) पीएम उषा योजना: राष्ट्रीय उच्चतर अभियान के अंतर्गत केंद्र शासन, राज्य, केंद्र शासित शिक्षण एवं शोध संस्थानों को उच्च शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता के उन्नयन हेतु वित्तीय अनुदान उपलब्ध कराता है तथा इसके अंतर्गत बहुविषक श्रेणी के विश्वविद्यालयों को 100 करोड़ का अनुदान देने का प्रावधान है। विक्रम विश्वविद्यालय को इसके अंतर्गत 100 करोड़ का अनुदान निम्नानुसार प्राप्त हुआ है-
अधोसंरचना का विकास 43,21,53,900 करोड़
अधोसंरचना सुधार 6.00,62,100 करोड़
उपकरण 40,72,44,000 करोड़
सॉफ्ट कॉम्पोनेंट 10,05,40,000 करोड़
कुल 100 00 करोड़
(ii.) राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान: इस अभियान के अंतर्गत राज्य शासन द्वारा वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों में शिक्षक एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता उन्नयन हेतु विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग को उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना हेतु 3.50 करोड़ रुपए का अनुदान प्रदान किया गया है।
(iii.) पुरातत्व संग्रहालय का जीर्णोंउद्धार: विश्वविद्यालय के संग्रहालय में लगभग 450 से अधिक दुर्लभ जीवाश्म प्रतिमाएं संग्रहीत हैं जिसमे, एरावत हाथी परिवार के मस्तिष्क का जीवIशय एवं भगवान शिव की अनेक प्रकार की प्रतिमाए प्रमुख है। स्मार्ट सिटी उज्जैन के सौजन्य से रुपए 14 करोड़ की अनुमानित लागत से संग्रहालय के जीर्णोंद्धार की शुरुआत की गई जो शीघ्रता से पूर्णता की ओर अग्रसर भी है । महामहिम राज्यपाल महोदय एवं तत्कालीन माननीय मंत्री, उच्च शिक्षा, मध्य प्रदेश सरकार सहित कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में इसका भूमि पूजन किया गया एवं साथ ही इसे अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने का प्रयास भी किया जा रहा है। इसे महाकाल परियोजना से जोड़ कर यहां “काफी विथ म्यूज़ीयम” की शुरुआत करने की योजना भी है।
(iv.) खेल परिसर का निर्माण: मध्य प्रदेश क्रिकेट संगठन के सौजन्य से लगभग 7.00 करोड़ लागत से राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट मैदान विकसित किया जा रहा है । इस खेल परिसर के विकसित होने से उज्जैन के युवाओ के साथ-साथ विभाग के शिक्षक और कर्मचारियों को भी मदद मिलेगी । इस परिसर से होने वाली आए से विश्वविद्यालय को भी लाभ होगा।
(v.) पांडुलिपि संस्थान: विश्वविद्यालय स्थित सिंधिया ओरिएंटल संस्थान में लगभग 20000 से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह हैं। इनमें संस्कृत, पालि, प्राकृत, हिंदी, पर्शियन, अरबी, फारसी एवं तेलगू भाषा की पांडुलिपियों सम्मिलित हैं। स्मार्ट सिटी उज्जैन एवं विक्रमादित्य शोध संस्थान के सहयोग से पांडुलिपि डिजिटलाइजेशन, संरक्षण एवं विस्तृत लेखन का कार्य शुरू किया गया है।
(vi.) पर्यावरण संरक्षण: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सयुक्त राष्ट्र संध के 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स का समावेश है और विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण हेतु सामाजिक दायित्वों का बोध करIते है, इसके अनुरूप विश्वविद्यालय के प्रांगण मे सुबह शाम सैर करने वाले गणमान्य व्यक्तियों पर ‘ऑक्सीजन टैक्स’ लगाया गया है, जिसे सभी ने स्वीकार भी किया है और लगभग 25 लाख रुपये का अनुदान भी नागरिकों द्वारा वृक्षमित्र संस्था को दिया गया है। इसके अंतर्गत आम नागरिकों के सहयोग से लता वाटिका, स्व. डॉ. जोधसिंह सलूजा स्मृति वाटिका, कृष्णानंद वाटिका, सघन वन, मातृ पितृ स्मृति खालसा वाटिका, आरोग्य वाटिका, सू-राज वाटिका, पारिजात वाटिका, आई.एम.ए. वन आदि का निर्माण किया गया है । इसी प्रकार विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश शासन की योजना ‘अंकुर अभियान’ का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है। विश्वविद्यालय यूजीसी के ग्रीन ग्रेजुएट प्रोग्राम को लागू करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, इसके साथ ही छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विश्वविद्यालय मे कई पर्यावरण संबंधी दिवस मनाए जाते है। विश्वविद्यालय कैंपस की वनस्पतियों के बारे में जानने हेतु बार कोडिंग की गई।
(vii.) जल संरक्षण: जल की समस्या आज विक्राल रूप ले रही है और भूमिगत जल लगातार समाप्त होता जा रहा है जलस्तर को सुधारने हेतु वृक्षारोपण के साथ-साथ लगभग पांच लाख से दो तालाब ‘कुसुम ताल’ एवं ‘मंदाकिनी ताल’ का निर्माण रेवा फाउंडेशन के श्री मिलन्द परिवार द्वारा किया गया है । वर्तमान सांसद के द्वारा सांसद निधि से दो और तालाब का निर्माण किया जा रहा है । इसी प्रकार आम नागरिको के सहयोग से विभिन्न भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये गए । विभिन्न स्थानों पर “खेत में मेड, मेड पे पेड़” मॉडल का क्रियान्वयन कर जल संरक्षण हेतु प्रयास किया गया है।
(viii.) सांस्कृतिक वन की स्थापना: विश्वविद्यालय मे मध्य प्रदेश सरकार के वन मण्डल, उज्जैन के सहयोग से लगभग 14 करोड़ की लागत से एक महाकाल सांस्कृतिक वन स्थापित किया जा रहा है, जो भारतीय सांस्कृति एवं विरासत से युवाओ को परिचित करवाएगा। यह वन मुख्य रूप से लुप्तप्राय और दुर्लभ पौधों की प्रजातियाँ का संरक्षण एवं संवर्धन का प्रमुख केंद्र होगा। इसके अंतर्गत नवग्रह वाटिका, सांदिपनी वन, मेघदूत, संस्कार वन, चरक, भारत माता, रामपथ गमन, कालिदास वन, सम्राट अशोक वाटिका, श्री कृष्ण पथ गमन आदि शामिल है। इस परियोजना से कृषि और वानिकी के विद्यार्थियों एवं शिक्षाको को शोध एवं प्रशिक्षण मे मदद मिलेगी ।
(ix.) मौसम विज्ञान के केंद्र की स्थापना: विक्रम विश्वविद्यालय मे मौसम विभाग द्वारा लगभग २ करोड़ की लगत से एडवांस्ड वेदर सिस्टम की स्थापना की जा रही है, जिसका उदेश्य स्थाननीय लोगों को मौसम की जानकारी देना और विद्यार्थियों की शोध कार्य में सहायता करना है ।
7. द्विपक्षीय समझोता: विश्वविद्यालय ने 50 से अधिक केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी संस्थानों जैसे आईआईटी मुंबई, वन विभाग, आईसीएआर, सेरा बायो लाइफ, ऑस्ट्रेलिया, टीएफआरआई, जबलपुर, आईआईएमटी विश्वविद्यालय, मेरठ, आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर, इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरी ऑफ इंडिया, नई दिल्ली, भारतीय शिक्षण मण्डल मालवा प्रान्त आदि के साथ समझोतों पर हस्ताक्षर किये गये । इन समझोतों से अनुसंधान और नवाचार के लिए एक आधार उपलब्ध हो पायेगा ।
8. आउटरीच कार्यक्रम: एनईपी 2020 के क्रियान्वन के अंतर्गत विद्यार्थियों के प्रशिक्षण हेतु ऑटोमोबाइल संस्थानों, डेयरी, पेय पदार्थ और खाद्य उद्योगो सहित कई औद्योगिक इकाइयों का भ्रमण कुलगुरु के साथ विद्यार्थियों एवं शिक्षको द्वारा किया गया, जिससे विद्यार्थियों में उद्यमशीलता के प्रति रुझान विकसित हुआ है।
9. लैब टू लैंड कार्यक्रम: विश्वविद्यालय ने लैब टू लैंड कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें शिक्षक और छात्र नियमित रूप से किसानों, मछुआरों और अन्य ग्रामीणों के साथ बातचीत कर उनकी कार्य क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी एवं कृषिकों को प्राकृतिक कृषि, जैविक उर्वरकों का उपयोग, खरपतवार नियंत्रण, कृषि उत्पादों से नए उत्पाद बनाना आदि की जानकारी प्रदान की जाती है ।
10. लैंड टू लैब कार्यक्रम: माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से विश्वविद्यालय द्वारा “लैंड टू लैब” कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसके माध्यम से शिक्षक और विद्यार्थी नियमित रूप से ग्रामीणों एवं उन्नतशील कृषकों से मिल कर उनसे कई प्रकार के ज्ञान अर्जित कर लैब में शोध के माध्यम से उन्नत प्रौद्योगिकी तैयार करने का कार्य कर रहे है ।
11. दोहरी डिग्री कार्यक्रम: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय में दोहरी डिग्री कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिससे कई विद्यार्थी मुख्या पाठ्यक्रमो के साथ डिप्लोमा, सर्टिफिकेट आदि प्राप्त कर लाभान्वित हो रहे है ।
12. नशा मुक्ति: विद्यार्थियों, अधिकारियो एवं कर्मचारियों में लगातार बढ़ रहे विभिन्न प्रकार के ड्रग का उपयोग आज विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि शासन के लिए भी एक चिंता का विषय एवं चुनौती बन रहा है । अतः जन जागृति नशा मुक्ति केंद्र सहित स्थानीय चिकित्सको की सहायता से विश्वविद्यालय सघन नशा मुक्ति अभियान चला रहा है इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं और कई अधिकारियों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों ने विगत तीन वर्षों के प्रयास से नशा मुक्त हो चुके हैं।
13. रोजगार मेले का आयोजन: विश्वविद्यालय ने लगातार रोजगार मेलों का आयोजन कर कई विद्यार्थियों को न केवल रोजगार प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया है। बल्कि प्रतिकल्पा उत्कर्ष के माध्यम से उन्हें साक्षात्कार आदि से संबंधित प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर उद्योग जगत से जुड़े व्यक्तियों से परिचर्चा कर औद्योगिक आवश्यकताओ को चिन्हित कर विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं।
14. स्वास्थ्य योजना: विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के साथ-साथ गोद लिए ग्रामों में लगातार स्वास्थ्य परीक्षण, ब्लड एवं ऑर्गन डोनेशन शिविर का आयोजन किया गया है । ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से थैलेसीमिया एवं सिकल सेल एनीमिया सहित महिलाओं से संबंधित बीमारियों में रोकथाम हेतु स्थानीय चिकित्सकों की मदद से कई कार्यक्रम आयोजित किए गए है ।
15. आत्मनिर्भर कौशल विकास: उद्यमिता एवं कौशल के प्रति युवाओ को आकर्षित करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक प्रमुख आयाम है । अतः विश्वविद्यालय ने कई व्यावसायिक एवं कौशल विकास के पाठ्यक्रम शुरू किए है । इसके अंतर्गत प्रशिक्षण हेतु प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक संस्थानों का भी सहयोग प्राप्त किया जा रहा है । विद्यार्थियों के हितों के संरक्षण हेतु ‘लर्न बाय अर्न’ परियोजना शुरू की गई जिसमें विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों के विक्रय हेतु कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। प्रदेश सरकार की ‘कर्मचारी कल्याणकारी नीतियों’ के संवर्धन हेतु विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों विशेष रूप से महिलाओं को लगातार मशरूम की खेती, बागवानी, मछली पालन आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
16. स्टार्टअप: विश्वविद्यालय के शिक्षकों के प्रयास से स्नातक एवं स्नातकोतर पाठ्यक्रमों में अध्यनरत विद्यार्थियों ने कई उत्पाद जैसे हर्बल चॉकलेट, जैव प्लास्टिक, क्रीम, टोनर, वर्मी कंपोस्ट, सोलर साइकिल, लो कॉस्ट कॉमपोस्टिंग उपकरण आदि के उत्पाद में सफलता पाई है । इन उत्पादों को आगे औद्योगिक स्वरूप प्रदान करने हेतु संबंधित एजेंसी जैसे बायोरेक, विज्ञान एवं तकनीकी परिषद आदि से सहयोग हेतु प्रयास किया जा रहा है । इसी शृंखला मे उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु मध्य प्रदेश शासन एवं विश्वविद्यालय द्वारा सीड मनी भी प्रदान की गई है । इस योजना के अंतर्गत आईसीएस के श्री मंगेश सोलंकी को मध्य प्रदेश शासन द्वारा 1,00,000 रुपये का अनुदान महामहिम राज्यपाल माननीय मुख्यमंत्री एवं मा. मंत्री, उच्च शिक्षा, मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदान किया गया है । इसी प्रकार प्राणीशास्त्र एवं जैवप्रौद्योगिकी के विद्यार्थियों श्री कौटिल्य किशोर , कुमारी श्वेता एस बी, कुमारी चारवी मदान, कुमारी हर्षिता पाण्डेय एवं आईसीएस के श्री अर्पित सिंह अटल को बायोप्लास्टिक, हर्बल चॉकलेट, ‘मेड फॉर पैड’ हम सर्वे हेतु तत्कालीन मा. मंत्री उच्च शिक्षा एवं वर्तमान मा. मुख्यमंत्री द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी को 25,000 का अनुदान प्रदान किया गया है।
17. कुलगुरु द्वारा शिक्षण एवं प्रशिक्षण: कुलगुरु द्वारा लगातार वनस्पति शास्त्र, जैव प्रौद्योगिकी, जंतु विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, फॉरेनसिक एवं खाद्य विज्ञान अध्ययनशालाओ मे कवक से संबंधित शिक्षण कार्य किया गया तथा उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रमों मे स्वयं उपस्थित रहकर विद्यार्थियों को मार्गदर्शन भी प्रदान किया है। इसके अतिरिक्त कुलगुरु द्वारा कृषि विज्ञान में एग्रोनॉमी एवं पादप रोग विज्ञान की कक्षाओ में लगातार शिक्षण कार्य किया जा रहा है। विद्यार्थियों में शोध के प्रति जागरूकता जागृत करने के उद्देश्य से कुलगुरु ने विद्यार्थियों के साथ कई फील्ड सर्वे किए एवं उन्हे प्रयोगशालाओं में मार्गदर्शन भी प्रदान किया है।
18. आधिकारी एवं कर्मचारी कौशल उन्नयन: विश्वविद्यालय प्रबंधन मे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । अतः इनके कौशन उन्नयन हेतु लगातार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों, तकनीकी ज्ञान संवर्धन, अधिनियम, परिनियम, अध्ययIदेश, रेग्युलेशन, आदि पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान किए जाने का प्रयास विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया गया है ।
19. दीक्षांत समारोहः गत चार वर्षों में विक्रम विश्वविद्यालय में 5 दीक्षांत समारोह हुए हैं जिनमे से प्रथम व 24 वाँ दीक्षांत समारोह 20 फरवरी 2021 को हुआ जिसमें माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने 190 विद्यार्थियों को पीएचडी, 7005 विद्यार्थियों को स्नातकोतर एवं 30,229 विद्यार्थियों को स्नातक की डिग्री प्रदान की। समारोह में 2018 एवं 2019 के पीएचडी, डीलिड, स्नातक एवं स्नातकोतर विद्यार्थियों को भी डिग्री प्रदान की गई। इसके बाद 25 वाँ दीक्षांत समारोह 22 दिसम्बर 2021 को हुआ जिसमें कुलाधिपति माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने 116 विद्यार्थियों को पीएचडी, 7912 विद्यार्थियों को स्नातकोतर एवं 45,403 विद्यार्थियों को स्नातक की डिग्री प्रदान की। तत्पश्चात 26वाँ दीक्षांत समारोह दिनांक 02 अप्रैल 2022 को कुलाधिपति माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल की उपस्थिति मे सम्पन्न हुआ, जिसमे 2 विद्यार्थियों को डीलिड, 190 को पीएचडी, 7005 विद्यार्थियों को स्नातकोतर एवं 30,229 विद्यार्थियों को स्नातक डिग्री प्रदान की गई। 27 वाँ दीक्षांत समारोह दिनांक 22 मार्च 2023 को कुलाधिपति माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसमें 124 विद्यार्थियों को पीएचडी डिग्री 10,245 विद्यार्थियों को स्नातकोतर एवं 33,858 विद्यार्थियों को स्नातक डिग्री प्रदान की गई । 28 वाँ दीक्षांत समारोह दिनांक 9 अप्रैल 2024 को कुलाधिपति माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसमें 128 विद्यार्थियों को पीएचडी एवं 10,250 विद्यार्थियों को स्नातकोतर डिग्री प्रदान की गई।
20. विक्रमोत्सव का आयोजनः विक्रमादित्य शोध संस्थान के साथ मिलकर विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा गत तीन वर्षों से प्रतिवर्ष विक्रमोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य “विक्रमादित्य के युग का विभिन्न क्षेत्रों” मे योगदान विषय पर प्रकाश डालना होता है। इस विषय पर राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठ, व्याख्यान एवं कार्यशालाओ का आयोजन किया जाता है।
21. कुलपति सम्मेलन: कुलगुरु, विक्रम विश्वविद्यालय को नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं उत्तराखंड के समन्वय हेतु लीड समन्वयक बनाया गया है। इसी शृंखला मे एनईपी 2020 के क्रियान्वयन पर विचार विमर्श हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के ७ लाख का अनुदान प्रदान किया गया, जिसके अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय ने 02 फ़रवरी 2024 को मध्य क्षेत्रीय कुलपति समागम का आयोजन किया गया, जिसमें 200 से अधिक कुलपतियों सहित 450 से अधिक शिक्षको ने भाग लिया। महामहिम राज्यपाल महोदय एवं मा. अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली की उपस्तिथि उलेखनीय रही । इस अनूठे आयोजन में पूरे क्षेत्र के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति एक ही मंच पर थे और इस सम्मेलन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं भारत मे उच्च शिक्षा के भविष्य पर प्रेरक चर्चा हुई ।
22. सारथी चयन प्रक्रिया की विशेष समिति का सदस्य: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा एनईपी सारथी चयन प्रक्रिया को तय करने एवं उन्हे दिए गए दिशा निर्देशों की समीक्षा करने हेतु गठित समिति में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु को समिति का सदस्य बनाया गया है।
23. हिन्दी भाषा पुस्तक लेखन समिति : भारतीय भाषा संवर्धन समिति, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्य सामग्री एवं पुस्तकों के भारतीय भाषाओं में निर्माण हेतु समितियां गठित की गई है। इसमें विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, को हिंदी माध्यम में पुस्तक के लेखन हेतु नोडल केन्द्र नामांकित किया गया है तथा पदेन कुलपति को नोडल अधिकारी बनाया गया है। इसी के अंतर्गत प्रो शैलेन्द्र शर्मा को सम्न्वेयक भी नियुक्त किया गया है ।
24. पेटेंट: विक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं विद्यार्थियों द्वारा 15 से अधिक पेटेंट किए गए जिनमे से इंडियन पेटेंट नंबर 001-356747, औस्ट्रालई पेटेंट नंबर 2021105092- 201102839, मेथड एंड सिस्टम फॉर परोडिक्टिग, ज़ीरो ड़े अटैक, इन्फैक्ट ऑफ वाटर सिमेन्ट रेशयों एण्ड क्योरिनग टाइम ऑन कार्बनेशन प्रोसेस ऑफ रीस्पान्स कान्क्रीट स्ट्रक्चर, डिसIनर संख्या- 407334-001/2024, सुविधाजनक कान्क्रीट नमी सामग्री मापने वाला उपकरण आदि प्रमुख है।

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