विशाल धर्म-सभा, बटुक सम्मेलन, संगोष्टी, एवम दीक्षा सम्पन्न परमपूज्य ऋग्वेदीय पुरवामनाय श्री गोवर्धनमठ-पूरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य “”स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज”” के सानिध्य व आर्शीवचन स्वरूप भक्तगण आज वचनामृत के श्रवण कर निहाल हो गए

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विशाल धर्म-सभा, बटुक सम्मेलन, संगोष्टी, एवम दीक्षा सम्पन्न
परमपूज्य
ऋग्वेदीय पुरवामनाय श्री गोवर्धनमठ-पूरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य “”स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज”” के सानिध्य व आर्शीवचन स्वरूप भक्तगण आज वचनामृत के श्रवण कर निहाल हो गए.
आज दोपहर प. सूर्यनारायण व्यास
अतिथि-निवास में संगोष्टी के दौरान भक्तजनों ने विस्तृत विषयों पर स्वामी जी से प्रश्न किये जिसके शास्त्र सम्मत समाधान स्वामीजी ने वेद, पुराण, गीता, उपनिषदों की ऋचाओं आदि के उद्धरण सहित बताकर सभी की जिज्ञासा शांत की.
स्वामीजी ने कुण्डली जागरण, शक्तिपात, कैवल्य, मोक्ष, मुक्ति के प्रकार, दर्शन, मन, बुद्धि, इन्द्रिय, धर्म, वैराग्य आदि अनेक विषयों पर विस्तार से व्याख्या प्रस्तुत की.
स्वामीजी ने हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा को लेकर स्पष्ट किया कि यह सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, सम्पन्न राष्ट्र होकर सभी को स्वीकार्यता
के अनुरूप होगा व लेश मात्र भी विसंगति नही होगी.
स्वामी जी ने कहा की भारत आज भी “विश्व गुरु” है. उन्होंने कहा कि धर्म व नीति एक दूसरे के पर्याय हैं. आज लगभग 30
श्रद्धालुगण ने महाराजश्री से दीक्षा ली.
संध्या महाकाल मंडपम में विशाल धर्म सभा, बटुक सम्मेलन सम्पन्न हुआ जिसमे हजारों बटुकों, विद्वजन, प्रबुद्धजन, गणमान्यजन सम्मिलित हुए. स्वामीजी ने अनेक श्रद्धालुओं के प्रश्नों का समाधान भी किया.
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से प्रशासक श्री संदीप सोनी ने महाराजजी का सम्मान किया व रु एक लाख ग्यारह हजार की सम्मान निधि भेँट की.
कार्यक्रम का संचालन आचार्य डॉ पीयूष त्रिपाठी ने किया.अनेक संतजन, महात्मा जी
मन्दिर अधिकारी आर के तिवारी, प्रतीक द्विवेदी आदि उपस्थित थे.

मालवा एक्सप्रेस से उज्जैन पधारे.
रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, भक्त जन ब्राह्मण सभा के अखिल भारतीय अध्यक्ष, सुधीर चतयर्वेदी, विनय ओझाजी, मंदिर अधिकारी गण, आर के तिवारी, श्री प्रतीक द्विवेदी, आर पी गहलोत, सुधीर चतुर्वेदी, प. विशालजी शर्मा, श्री नितीन शर्मा आदि स्वागत सम्मान हेतु उपस्थित हुए.
संध्या उन्होंने भक्तजनों को आशीर्वाद दिया, भक्त जनों ने पादुका पूजन किया.

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