नाटक एक 200 कलाकारों और हाथी, घोड़ों से सजा महानाट्य विक्रमादित्य दूसरे दिन बड़ी संख्या में पहुँचा जनसमुदाय सामाजिक न्याय परिसर

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नाटक एक
200 कलाकारों और हाथी, घोड़ों से सजा महानाट्य विक्रमादित्य
दूसरे दिन बड़ी संख्या में पहुँचा जनसमुदाय

उज्जैन, 29 मार्च। विक्रमोत्सनव-2022 में मंगलवार को सम्राट विक्रमादित्य की जीवन गाथा को पूर्ण वैभव के साथ एक विशाल नाट्य प्रस्तुति में देखना रोमांचकारी अनुभव था। दूसरे दिन स्थानीय सामाजिक न्याय परिसर में महानाट्य विक्रमादित्य का मंचन हुआ। इस अवसर पर पूर्व मंत्री एवं विधायक पारस जैन, सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश अग्रवाल समेत नगर के वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे।
इस प्रस्तुति की एक खास बात यह थी कि इसमें घोड़ों, हाथी, बग्गी और पालकी के साथ स्पेशल इफेक्ट(वीएफएक्स) का इस्तेमाल किया गया। विशाल मंच पर तकनीक के उपयोग से यह प्रस्तुति अपने आप मे अनूठी नजर आयी। 2:15 घंटे के इस नाटक में विक्रमादित्य के जीवन की बहुत सारी घटनाओं को निदेशक श्री संजीव मालवीय के निर्देशन में कलाकारों ने प्रस्तुत किया। यह देश का एकमात्र ऐसा महानाट्य है जिसका मंचन देश के सभी प्रमुख नगरों में किया जा चुका है।
इस महानाट्य के रचनाकार डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित है और इसका संगीत इंदर सिंह बैस ने तैयार किया है। नाटक के सूत्रधार दुर्गेश बाली है। इस तीन दिवसीय नाटक की अंतिम प्रस्तुति आज स्थानीय सामाजिक न्याय परिसर में रात 8:00 बजे से शुरू होगी। इस मौके पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर मोहन यादव, स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार उपस्थित रहेंगे।
गौरतलब है कि सम्राट विक्रमादित्य दो हजार वर्ष के बाद आज भी भारतवर्ष में प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में एक विशेष छवि व अत्यंत आदर रखते हैं। जिनका राज्य भारत के भू भाग के बाहर पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल भूटान, बर्मा से लेकर यूरोप तक फैला हुआ था। इनकी राज्यसभा महाकवि कालिदास सहित नवरत्नों से सुशोभित थी। संस्कृति के संरक्षक वीर विक्रमादित्य आज भी समाज के मार्गदर्शक आदर्श महापुरुष निरूपित है। जिनके द्वारा अपने भूभाग की प्रजा को समस्तकों से मुक्त कराकर नवीन तिथि एवं नववर्ष मनाया और सम्वत् प्रारंभ किया गया जो कालांतर में विक्रम सम्वत् कहलाया।
विक्रमादित्य का जीवन किस तरह व्यतीत हुआ, आचार्य चंद्रगुप्त से कैसे उन्होंने शिक्षा ली और किस तरह से नवरत्नों की सहायता से सत्ता हासिल करें, विक्रम ने राजपाट संभाला इसका चित्रण भी दर्शकों को पसंद आया। विक्रम बेताल संवाद शकों को परास्त करना तथा अखंड भारत के निर्माण की घटना इस नाटक को बहुत ही रोचक बनाने वाली थी।
दूसरा नाटक
लोक नाट्य शैली तमाशा में सिंहासन बत्तीसी
उज्जैन, 29 मार्च। पंडित सूर्यनारायण व्यास कला संकुल कालिदास अकादमी में तमाशा महाराष्ट्र की एक लोकप्रिय लोकनाट्य शैली है। इसको मजदूर और खेतिहर किसानों के द्वारा मनोरंजन के लिए इसकी शुरुआत की थी। अधिकांश मौकों पर इसकी पृष्ठभूमि ऐतिहासिक अथवा पौराणिक होती है। तमाशा शैली मे अधिक नाट्य नियमों का पालन नहीं होता। यह एक सहज शैली है। जो संगीतमय होती है, महाराष्ट्र का प्रसिद्ध लोकनृत्य ‘लावणी भी ‘इसमें शामिल होता है। विक्रमोत्सव 2022 में मंगलवार की शाम पुणे के रंग समूह “वसंतरंग” ने “महान राजा विक्रमादित्य” तमाशा शैली में प्रस्तुत किया। आस्था गोडबोले व प्रशांत जगताप निर्देशित इस संगीतमय नाट्य प्रस्तुति में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन से संबंधित हर पहलू को समाहित किया गया। सिंहासन बत्तीसी की कहानियां विक्रम और बेताल प्रसंग विक्रम की न्यायप्रियता और उनके लोकहित वाले कार्यों को बखूबी दर्शाया। विक्रमादित्य पूरे विश्व में अपने अभूतपूर्व पराक्रम, बल, शौर्य, बुद्धि, न्यायप्रियता, और उदारता के लिए प्रसिद्ध थे इस तरह की कई बातों और प्रसंगों के उल्लेख किया। इस मंच प्रस्तुति में गायन शाहिर बजरंग अंबी, प्रकाश संयोजन शुभांगी कुमार, ध्वनि संयोजन प्रशांत जगताप का था तथा अभिनय
आकाश कदम, शेखर देशपांडे, सचिन वाघमारे, हरिप्रिया कुलकर्णी, रोहन, पाटील प्रसाद भोसले, अश्विनी जादव, संतोष भोसले, मनीषा काले, किशोर चौहान व सुमित वठारे ने किया। इस नाट्य प्रस्तुति का संचालन राजेंद्र नागर ने किया।

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