उज्जैन क्षिप्रा नदी की दुर्दशा पर कल सुबह 9 बजे संत समाज आंदोलन की रणनीति दत्त अखाड़ा नदी पर बैठक, है।

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…शिप्रा की दुर्दशा पर आज संत समाज बनाएगा आंदोलन की रणनीति
उज्जैन। मोक्षदायिनी मां शिप्रा की दुर्दशा और करोड़ो रूपए खर्च हो जाने के बाद भी इंदौर, देवास और उज्जैन के नालों का पानी शिप्रा नदी में मिलना बंद नहीं होने से उज्जैन का संत समाज आक्रोशित है। बुधवार दिनांक 08 दिसंबर 2021 को उज्जैन के समस्त संत महत्वपूर्ण बैठक कर शिप्रा की निर्मलता और पवित्रता बनाए रखने के लिए आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे।
षटदर्शन संत मंडल, उज्जैन की अगुवाई में यह बैठक बुधवार सुबह 9 बजे भगवान दत्तात्रेय अखाड़ा परिसर(दत्त अखाड़ा) रामघाट पर आयोजित होगी। षटदर्शन संत मंडल के वरिष्ठ सदस्य महंत डा. रामेश्वरदास ने बताया कि शिप्रा नदी से ही उज्जैन की पहचान है। शिप्रा उज्जैन में है, इसलिए यहां सिंहस्थ है। शिप्रा के अस्तित्व से ही उज्जैन धार्मिक नगरी है। मोक्षदायिनी शिप्रा को होने वाला नुकसान धर्म नगरी उज्जैन के लिए हानिकारक है। शिप्रा जल को निर्मल और शुद्ध किए बिना, शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त किए बिना उज्जैन में विकास के दावे करना बेमानी है। महंत डा. रामेश्वर दास ने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार ने उज्जैन खासकर महाकाल क्षेत्र में विकास के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी के माध्यम से लगभग 752 करोड़ रूपए के निर्माणकार्य शुरू किए है। शासन-प्रशासन को यह ध्यान में रखना होगा कि श्रद्धालुजन उज्जैन में आधुनिक बिल्डिंग, फव्वारे देखने नहीं आते बल्कि उज्जैन में हमें फेसबुक ज्योर्तिलिंग के दर्शन और लिए सलिला शिप्रा में स्नान के लिए आते है। सिंहस्थ पूर्व से ही उज्जैन का संत समाज इंदौर से बहकर उज्जैन आने वाले गंदे पानी को ओपन नहर के माध्यम से शिप्रा नदी में मिलने से रोकने की मांग करता रहा है। राज्यशासन शासन के कतिपय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने संतजनों की इस मांग को दरकिनार कर पाईप लाइन के जरिए डायवर्शन की योजना को लागू किया। लगभग 150 करोड़ रूपए की यह योजना औचित्यहीन होकर रह गई है। अब तो स्थिति यह है कि स्नान पर्वो के अवसर पर बिना नर्मदा का जल लाए स्नान कराना असंभव हो गया है।
गौरतलब है कि शिप्रा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने की ठोस कार्ययोजना लाने और उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग को लेकर निर्मोही अखाड़े के महामंडलेश्वर संतस्वामी श्री ज्ञानदास जी महाराज ने विगत 21 दिवस से अन्न का त्याग कर रखा है।
महंत डा. रामेश्वरदास ने बताया कि शिप्रा नदी के जल को सदैव स्वच्छ, निर्मल और स्नान-आचमन योग्य रखने के लिए शासनस्तर पर बेहतर योजनाएं लाना और इनका जल्द से जल्द क्रियान्वयन होना अति आवश्यक हो गया है, लिहाजा सनातनधर्म की सर्वोच्च संस्था अखाड़ा परिषद उज्जैन की स्थानीय ईकाई के सदस्य(13 अखाड़ो के प्रतिनिधि) सहित षटदर्शन संत समाज के सभी सदस्य बुधवार दिनांक 08 दिसंबर की सुबह 9 बजे दत्त अखाड़ा पर बैठक कर शिप्रा के सबंध में आंदोलन की रणनीति तय करेंगे।
यह जानकारी मंहत ङाँ रामेशवर जी ने दी

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