मृत्युकालिन कथन के आधार पर न्यायालय ने दी आरोपीगण को आजीवन कारावास की सजा
न्यायालय श्रीमान अम्बुज पाण्डेय, नवम अपर सत्र न्यायाधीश महोदय, जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा आरोपीगण 01. राहुल पिता हरीशचन्द्र उम्र-19 वर्ष 02. श्रीमती रामकन्याबाई पति हरीशचन्द्र उम्र-40 वर्ष, निवासी- ग्राम तालौद जिला उज्जैन को धारा 302/34 भादवि में आरोपीगण को आजीवन कारावास एवं 1,000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
उप-संचालक अभियोजन डॉ0 साकेत व्यास ने अभियोजन घटना अनुसार बताया कि, घटना इस प्रकार है कि, दिनांक 03.06.2017 को प्रातः 08ः00 बजे के लगभग जब मृतिका उमा पति प्रहलाद अपनी पुत्री सिमरन के साथ घर ग्राम तालौद पर थी तो रामकन्याबाई अपने हाथ में घासलेट से भरी प्लास्टिक की केन लेकर अपने पुत्र राहुल के साथ पहुॅची और दोनो ने उमा से झगडा़ करते हुए रामकन्याबाई ने उमा के उपर घासलेट डाल दिया तथा राहुल ने माचिस से आग लगा दी। आग से जली उमा को उपचार हेतु जिला चिकित्सालय उज्जैन और फिर जे.के. अस्पताल उज्जैन ले जाया गया। इसी दौरान 04.06.2017 को आलोक चौरे नायब तहसीलदार उज्जैन द्वारा उसके मृत्युकालिक कथन लेखबद्ध किये गए। उपचार के दौरान दिनांक 06.06.2017 को उमाबाई की मृत्यु हो गई। पुलिस थाना महॉकाल द्वार मर्ग कायम कर जांच उपरांत आरोपीगण के विरूद्ध धारा 302 भादवि का अपराध पंजीबद्ध किया गया। आवश्यक अनुसंधान पश्चात् न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया।
घटना के प्रत्यक्षदर्शी साक्षी व अन्य साक्षी पक्षद्रोही हो गये न्यायालय में उन्होने घटना का समर्थन नही किया। मृतिका के द्वारा मृत्यु के पूर्व अपना मृत्यकालिन कथन दिया गया था, जिसमें उसने बताया था कि रामकन्याबाई तथा राहुल ने उस पर घासलेट डालकर आग लगाई गई है।
माननीय न्यायालय द्वारा मृत्युकालिक कथन पर विश्वास किया गया और उसके आधार पर आरोपीगण को दण्ड़ित किया गया। न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दण्डित किया गया।
दण्ड के प्रश्नः- अभियुक्तगण के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क किया कि अभियुक्तगण का यह प्रथम अपराध है, वे अत्यंत गरीब है। अतः अभियुक्तगण के प्रति नरम रूख अपनाये जाने का निवेदन किया गया। अभियोजन अधिकारी द्वारा अधिकतम दण्ड दिये जाने का निवेदन किया गया।
न्यायालय की टिप्पणीः- अभियुक्तगण के द्वारा कारित अपराध की प्रकृति एवं उसकी गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुये आरोपीगण को आजीवन कारावास से दण्डित किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री रविन्द्र सिंह कुशवाह, ए0जी0पी0 उज्जैन द्वारा की गई