*खान नदी का पानी शिप्रा नदी में न मिले, इस हेतु ठोस प्रयास होंगे, ठोस समाधान के लिये विस्तृत योजना तैयार, जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव, सांसद श्री फिरोजिया आदि ने संयुक्त रूप से खान नदी में बन रहे कच्चे डेम का अवलोकन किया*
उज्जैन 30 दिसम्बर। मध्य प्रदेश शासन के जल संसाधन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग मंत्री श्री तुलसी सिलावट, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद श्री अनिल फिरोजिया, श्री विवेक जोशी, कलेक्टर श्री आशीष सिंह आदि जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने संयुक्त रूप से भ्रमण कर पिपल्याराघौ के समीप बनने वाले खान नदी पर कच्चा डेम तथा त्रिवेणी शनि मन्दिर के समीप खान नदी पर बनने वाले कच्चे डेम का अवलोकन कर सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। इस अवसर पर मंत्रीद्वय ने अवलोकन के दौरान कहा कि खान नदी का खराब पानी शिप्रा नदी में न मिले, इस सम्बन्ध में शासन द्वारा ठोस प्रयास किये जा रहे हैं। इस हेतु सरकार द्वारा विस्तृत योजना तैयार कर ठोस समाधान किया जायेगा। खान नदी के खराब पानी को शिप्रा नदी में रोकने के लिये पंथपिपलई से त्रिवेणी के बीच दो या तीन पक्के डेम का निर्माण करने के निर्देश मंत्रीद्वय ने सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं। मंत्रीद्वय को जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री ने कच्चे डेम निर्माण के बारे में विस्तृत जानकारी से अवगत कराया।
मंत्रीद्वय ने कहा कि साधु-सन्तों की इच्छा एवं उनकी भावना अनुसार शिप्रा नदी में खान नदी का खराब पानी न मिले, इसके लिये भविष्य में खान नदी पर दो-तीन स्थानों पर पक्के डेम बनाये जायेंगे, ताकि शिप्रा नदी में खान का खराब पानी न मिल पाये। अभी तक स्नान एवं विभिन्न पर्वों पर शिप्रा नदी में खान का खराब पानी न मिले, इसके लिये परम्परागत तरीके से कच्चा पाला मिट्टी का बांधकर पानी को रोका जा रहा था। अब भविष्य में स्थाई निदान के लिये कच्चे डेम के बदले पक्के डेम के निर्माण के लिये राज्य शासन के दिशा-निर्देश अनुसार ठोस कदम उठाये जायेंगे। भविष्य में गन्दा पानी न मिले, इसका समाधान उच्च स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। खान नदी का खराब पानी शिप्रा में मिलने की निरन्तर शिकायत आने पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में जल संसाधन विभाग एवं अन्य सम्बन्धित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को निरीक्षण के लिये भेजा गया था। दो स्थानों पर मिट्टी के कच्चे डेम अवलोकन के दौरान मंत्रीद्वय ने सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अधूरा कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाये, ताकि खान नदी के खराब पानी को शिप्रा नदी में आने से रोका जा सके।
*खान नदी के गन्दे पानी को शिप्रा में जाने से रोकने के लिये हरसंभव प्रयास किया जायेगा -श्री सिलावट, खान नदी के गन्दे पानी के निराकरण के लिये स्थाई हल निकाला जायेगा -डॉ.मोहन यादव*
उज्जैन 30 दिसम्बर। जल संसाधन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास विभाग मंत्री श्री तुलसी सिलावट एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने साधु-सन्तों से मुलाकात की और उन्हें आश्वस्त किया कि खान नदी का जो गन्दा पानी शिप्रा नदी में जाकर मिल रहा है, उसके लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान गंभीर हैं एवं इसके समाधान के लिये सभी प्रयास किये जा रहे हैं। श्री सिलावट ने साधु-सन्तों से कहा कि आप लोग आन्दोलन करेंगे तो यह हमारे लिये चिन्ता का विषय है। आपकी भावना एवं संकल्प के लिये सरकार सजग एवं संवेदनशील है। खान नदी के गन्दे पानी को शिप्रा में जाने से रोकने के लिये सभी प्रयास किये जायेंगे। यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन इस चुनौती से सफलतापूर्वक निपटा जायेगा। श्री सिलावट ने बताया कि इन्दौर में 13 ऐसी फैक्टरियों को बन्द किया गया है, जिनका गन्दा पानी खान नदी में जाता था। उन फैक्टरी मालिकों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी। उज्जैन, देवास एवं इन्दौर के लिये विशेष कार्य योजना बनाई जायेगी। इस दिशा में तीव्र गति से कार्य किया जायेगा। श्री सिलावट ने कहा कि खान नदी के गन्दे पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिये स्थाई हल निकाला जायेगा। उन्होंने कहा कि सभी साधु-सन्त जो भी समस्या है उससे डॉ.मोहन यादव को अवगत करायें।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने साधु-सन्तों को अवगत कराया कि आज मंत्री श्री सिलावट, सांसद श्री अनिल फिरोजिया एवं कलेक्टर के साथ उन्होंने खान नदी के गन्दे पानी का अवलोकन किया है। उन्होंने कहा कि इस समस्या पर अस्थाई नहीं स्थाई हल निकाला जायेगा। पूरा प्रयास किया जायेगा कि शिप्रा नदी का पानी नहाने एवं आचमन के योग्य रहे। उन्होंने बताया कि इन्दौर एवं उज्जैन के अधिकारीगण मिलकर योजनाएं बनायेंगे। आने वाले स्नान पर्वों के लिये नर्मदा का पानी छोड़ा जायेगा।
सर्वसंत समाज के महन्त श्री रामेश्वरदास ने कहा कि संत समाज का मुख्य उद्देश्य है कि शिप्रा का पानी स्वच्छ रहे और आचमन के योग्य रहे।शिप्रा नदी का धार्मिक महत्व है। बारह वर्ष में एक बार यहां सिंहस्थ का मेला लगता है। उन्होंने वाटर ट्रिटमेंट का पानी भी शिप्रा में न मिलाने का अनुरोध किया। अन्य संत समाजजनों ने मंत्रीगण से अनुरोध किया कि शनि मन्दिर से लेकर कालियादेह तक 13 किलो मीटर तक लम्बी नदी का तकनीकी अध्ययन करें और शिप्रा शुद्धिकरण का स्थाई हल करे।