उज्जैन एक बुजुर्ग दंपती ने अपने पूरे जीवन की कमाई लगाकर यह सोचकर दो मकान बनाए थे कि बुढ़ापे में वे यहां शांति से रहेंगे। लेकिन दंपती के दो बेटों ने ही इन दोनों मकानों पर कब्जा कर लिया। इस कारण बुजुर्ग दंपती अब किराये के मकान में रहकर निर्धनता से भरा जीवन जीने को मजबूर हैं।अन्नपूर्णा नगर में किराये के मकान में रहने वाले 74 वर्षीय शांतवंत सिंह और उनकी 70 वर्षीय पत्नी तारा सिंह ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह आपबीती सुनाई। शांतवंत सिंह ने बताया कि वे प्राइवेट जॉब करते थे। जिस फैक्ट्री में काम करते थे, वह बंद हो गई। पत्नी तारा सिंह शासकीय नर्स थीं लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उन्हें 2003 में वीआरएस लेना पड़ा। शांतवंत और तारा ने बताया कि उन्होंने अपने पूरे जीवन भर की पूंजी लगाकर तारा मंडल के पास आनंद नगर में दो मकान बनाए थे। यहां बड़ा बेटा चंचल और छोटा बेटा कोमल सिंह भी उनके परिवार के साथ रहते थे। शांतवंत सिंह और तारा सिंह का आरोप है कि दोनों बेटे शराब पीकर आए दिन हंगामा करते और हमारे साथ भी अभद्रता करते थे। दोनों की पत्नियां भी उनका साथ देती। हमें 10 दिसंबर 2023 से घर से बाहर निकाल दिया और दोनों बेटों ने दोनों मकानों पर कब्जा कर लिया। अब हमारे पास बुढ़ापे में कुछ नहीं बचा है। शांतवंत सिंह का हर्निया का उपचार करवाने तक के रुपए नहीं है। बुजुर्ग दंपती ने बताया उन्होंने नानाखेड़ा थाना पुलिस को भी कई बार आवेदन दिए। पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया लेकिन कोई ठोस का chर्रवाई नहीं हुई। शांतवंत और तारा सिंह ने प्रशासन और पुलिस से मांग की कि उन्हें उनके मकान वापस दिलवाए जाए।
2025-05-17