*अंतर भाषायी शिक्षण एवं भाषा के ज्ञान से आत्मनिर्भरता के साथ होता है व्यक्तित्व का विकास ।*

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शासकीय माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के हिंदी, मराठी ,संस्कृत ,उर्दू भाषा विभाग एवं IQAC के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दिनांक 11/ 12/ 23 से 21/ 12/ 23 तक 10 दिवसीय मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य डॉ.जे .एल.बरमैया आइ.क्यू.ए.सी प्रभारी डॉ. अल्पना उपाध्याय द्वारा किया गया। शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय की हिंदी विषय विशेषज्ञ डॉ.अर्चना मेहरा ने अंतर भाषाई शिक्षण कौशल पर विशिष्ट व्याख्यान दिया हिंदी के आचार्य डॉ. मृदुल शुक्ल जी ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित निबंध पर भाव एवं मनोविकार पर सकारात्मक और नकारात्मक विचारों पर सराहनीय व्याख्यान दिया ।डॉ.सीमा अवास्या ने अंतर भाषा का इतिहास विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. केदार गुप्ता जी ने क्रोध एवं मनोविकार पर विद्यार्थियों को क्रोध आने पर उसे स्वयं को किस तरह संभालना है और उसका निराकरण कैसे करना है। इस पर सरलता से रोचक जानकारी दी गई।संस्कृत विभाग की डॉ. नलिनी तिलकर ने संस्कृत भाषा का व्याकरण , एवं वैदिक ज्ञान का महत्व विद्यार्थियों को बताया। उर्दू विभाग के डॉ.जफर महमूद डॉ. रुबीना अर्शी ने उर्दू की बोली, जुबान, नज़्म एवं रामायण का एक किस्सा उर्दू में सुनाया। उर्दू के शायर श्रीमान एस पी यादव साहाब ने शायरी और गजल पर रोशनी डाली। मराठी भाषा की विशेषज्ञ श्रीमती राजश्री जोशी ने मराठी भाषा के स्वरूप, सामर्थ्य आणि सौंदर्य विषय पर रोचक तरीके से कहानी एवं मुहावरों के माध्यम से भाषा की सहजता,सरलता बताकर कहा कि मातृभाषा और अन्य भाषाएं सगी बहनों की तरह है । डॉ. चंद्रकांत बिवरे ने प्रचार प्रसार माध्यमा साठी मराठी चे संवाद शास्त्र व लेखन कौशल्य पर स्वयं के अनुभवों को साझा किया। और मध्य प्रदेश में रहकर मातृभाषा में अध्ययन करने से आत्मविश्वास के साथ स्वयं का विकास एवं संप्रेषण शक्ति कैसे बढ़ा सकते हैं। यह जानकारी देकर विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। मराठी विभाग से डॉ. शैलजा साबले बताया कि हिंदी भाषा की तरह ही,, मराठी भाषा है। भाषाओं की लिपि देवनागरी है, भाषा सीखने के लिए वर्णमाला एवं व्याकरण की आवश्यकता होती है ।जो सभी भाषाओं के लिए आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र में सर्वांगीण विकास के लिए, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भाषा का ज्ञान प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता है। भाषाओं की समृद्धता से आत्मविश्वास के साथ-साथ आत्मनिर्भरता और व्यक्तित्व का विकास सहज एवं सरलतापूर्वक हो सकता है। पाठ्यक्रम के 10 दिवसीय कार्यक्रम के समापन पर प्रमोद कुमार जैन ने स्पोकन इंग्लिश, कम्युनिकेशन स्किल पर विद्यार्थियों को पी.पी.टी द्वारा विशिष्ट व्याख्यान देकर विद्यार्थियों में भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ा कर उत्साहवर्धन किया।इस कार्यक्रम में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नीलिमा वर्मा, डॉ.मृदुल चंद्र शुक्ल, डॉ .सीमा अवास्या,डॉ. केदार गुप्ता,डॉ. नलिनी तिलकर , डॉ.जफर महमूद ,डॉ रुबीना अर्शी, डॉ .फरजाना बैग, डॉ.संगीता दुबे ,डॉ. शोभा मिश्रा, डॉ.मोहित पांचाल डॉ.शुभम कुंभारे आदि उपस्थित थे।

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