क्षंराजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार समय-समय पर राजभाषा से संबन्धित दिशा-निर्देश जारी करता है जिसकी अनुपालना सभी सरकारी कार्यालयों में की जाती है । भारतीय खाद्य निगम राजभाषा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना करता है । माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा भारतीय खाद्य निगम के मण्डल कार्यालय इंदौर का 02.03.2022 को तथा क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल का दिनांक 20.10.2022 को राजभाषा निरीक्षण किया गया । माननीय समिति द्वारा भारतीय खाद्य निगम को समन्वय कार्य भी सौंपा गया जिसमें 18 कार्यालय सम्मिलित थे । माननीय समिति दवारा भारतीय खाद्य निगम के कार्मिकों की प्रशंसा की गई व प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, राजभाषा विभाग भोपाल द्वारा भी राजभाषा गतिविधियों में सक्रिय प्रतिभागिता हेतु सम्मानित किया गया | जैसा कि हम सभी जानते हैं 14 सितंबर 1949 को ‘हिंदी’ को राजभाषा के रूप में अंगीकार किया गया | राजभाषा के संबंध में नियम बनाए गए, संसदीय राजभाषा समितियां बनाई गई और समय समय पर राजभाषा नियमों में परिवर्तन भी किए गए। राजभाषा नियम 5 जोकि हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर अनिवार्यतः हिंदी में ही दिए जाने के संबंध में है । इन नियमों में परिवर्तन सरकारी कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के समुचित प्रयोग हेतु किया गया। कार्यालय प्रमुखों को भी इसके लिए उत्तरदायी ठहराया गया। राजभाषा अधिनियम 1963 के नियम 12 के अनुसार कार्यालय प्रमुख को राजभाषा अधिनियम के समुचित रूप से अनुपालन व इस प्रयोजन के लिए उपयुक्त व प्रभावकारी जांच करने का उत्तरदायित्व दिया गया | संसदीय राजभाषा समिति जब निरीक्षण पर आती है तो इस बात की ओर भी विशेष ध्यान देती है कि किसी भी कार्यालय द्वारा राजभाषा नियमों की अवहेलना तो नहीं हुई है । धारा 3(3) का समुचित पालन किया गया है कि नहीं ।माननीय प्रधानमंत्री जी अपने देश की भाषा का व्यापक प्रचार प्रसार करते हैं । सरकारी कार्यालयों में प्रयोग की जाने वाली भाषा सहज, सरल हो और विदेशी भाषा के जो प्रचलित शब्द हैं उन्हें उसी रूप में अपनाया जाए | हमारा प्रयास रहना चाहिए कि संविधान की आठवीं अनुसूची में निहित 22 भाषाओं से शब्द लिए जाएँ (असमिया उड़िया उर्दू कन्नड़ कश्मीरी कोंकणी गुजराती डोगरी तमिल तेलुगू नेपाली पंजाबी बांग्ला बोड़ो मणिपुरी मराठी मलयालम मैथिली संथाली संस्कृत सिंधी हिंदी) | भारतीय खाद्य निगम द्वारा राजभाषा में उत्कृष्ट कार्य करने पर कार्मिकों हेतु प्रोत्साहन योजना भी प्रचलन में हैं जिसमें प्रत्येक प्रशासनिक कार्यालय हेतु 10 (दस) पुरस्कार दिए जाते हैं । प्रथम पुरस्कार रु.6000/- (दो कार्मिकों को), द्वितीय पुरस्कार रु.5500 (तीन कार्मिकों को) तथा तृतीय पुरस्कार रु.5000 (पाँच कार्मिकों को) दिए जाते हैं । जैसा कि आपको विदित है इस राजभाषा सम्मेलन में पूरे भारत देश से हिंदी सेवी आए हैं जो राजभाषा नीति को लागू करने में कटिबद्ध हैं । इस सम्मेलन का उद्देश्य भी यही है कि राजभाषा क्रियान्वयन में जो भी समस्याएँ आ रही हैं उनका एक मंच पर विषय विशेषज्ञ / विद्वानों द्वारा उचित समाधान मिल सके ।
2023-07-27