भगवान के समक्ष कुछ समर्पण करना है तो अहंकार, स्वार्थ, गुस्से का करें – डॉ. सुमन भाई ने मोनी तीर्थ सनातन संवाद मैं कहीं

Listen to this article

उज्जैन सनातन धर्म में भगवान के समक्ष कुछ समर्पण करना है तो अपने अहंकार का समर्पण कीजिए, अपने स्वार्थ का, गुस्से का, अपनी मोहमाया का समर्पण कीजिए। यूथ विथ सनातन अभियान के तहत स्वामी विवेकानंद जयंती पर सनातन संवाद में यह बात श्री मौनतीर्थ पीठाधीश्वर संतश्री डॉ. सुमन भाई ने अगोशदीप स्कूल में कही। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म की जननी भारत वर्ष कि पवित्र भूमि है इसी लिए इसे भारत माता कहा जाता है। अन्य किसी देश को माता का दर्जा प्राप्त नहीं है। सनातन का ★ सनातन h सनातन संवाद कार्यक्रम में संबोधित करते सुमन भाई मूल तत्व सत्य, अहिंसा, त्याग, परोपकार हैं, तभी इसके अतिरिक्त जितने भी धर्म पंथ संप्रदाय, हैं वे सब इन्हीं मूल सिद्धांतों के आधार पर हैं। साथ ही बताया मनुष्य के कर्म के अनूरूप अच्छे-बुरे कर्म स्वयं को ही भोगना पड़ते है, गंगा में स्नान करने से हमारे पाप नहीं धुलते क्योंकि गंगा आपके पाप समुद्र को दे देती है और समुद्र सूर्य की तपन से पाप बादल को सौंप देता है। फिर पुनः आपके पाप आप पर बादल बरसा दिया करते हैं। अंततः पाप हम ही भोगना पड़ते हैं इसलिए जीवन में पाप नहीं करना चाहिए। इस दौरान डॉ. तेज बहादुरसिंह चौहान, बसंत मलपानी, सीएम अतुल, पंकज मारू, रामसिंह शेखावत, पं. भुवनेश्वर शर्मा, आचार्य लोकेश व्यास मौजूद थे।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे