सर्व सिद्धि मां बगलामुखी माता लक्ष्मणा नदी के तट पर इस्तिथ है मां बगलामुखी भक्तो के कार्य सिद करती है मां बगलामुखी को पीतांबरा भी कहा जाता है मां के दरबार मे हवन पूजन अनुष्ठान चलते रहते है मां बगलामुखी मंदिर उज्जैन भैरवगढ एवं नलखेडा पर स्थित है।

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• प्राकृतिक आपदाओं पर नियंत्रण के लिए की थी देवी आराधना सौम्य और रवि के संयोग में मनेगा बगलामुखी का प्राकट्य दिवस देवी बगलामुखी का प्राकट्य दिवस 9 मई सोमवार को वैशाख शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि पर मनाया जाएगा। बगलामुखी जयंती सौम्य व रवि योग के संयोग में आएंगी। इन योगों से साधना सिद्धि पूजन अनुष्ठान के लिए यह उत्तम समय होगा। बगलामुखी के शहर में भी मंदिर हैं। ज्योतिषविद् अर्चना सरमंडल के अनुसार अष्टमी तिथि रविवार शाम 5.02 बजे शुरू होगी तथा सोमवार शाम 6.35 पर समाप्त होगी। अश्लेषा नक्षत्र रविवार को दोपहर 2.58 बजे से रहेगा। सोमवार को दिनभर वृद्धि योग विपरीत परिस्थितियों में देवी का प्राकट्य देवी बगलामुखी सौराष्ट्र में हरिद्रा नामक झील से प्रकट हुई थी। देवी का प्राकट्य प्राकृतिक आपदाओं की विपरीत परिस्थितियों में हुआ था। चारों तरफ प्राकृतिक आपदाओं से देवी-देवता विचलित हो गए थे। तब इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए भगवान विष्णु ने देवी बगलामुखी की तपस्या की तपस्या से प्रसन्न होकर हरिद्रा नामक झील से देवी का प्राकट्य हुआ। बगलामुखी रोग नाशिनी, शत्रुनाशिनी, विजय स्वरूपिणी, राज्य प्रदायिनी आदि नामों से जानी जाती हैं। बव करण का संयोग भी समय को सिद्ध कारक बनाएगा। शहर में भैरवगढ़ क्षेत्र में बगलामुखी धाम है और दूसरा मंदिर त्रिपुर सुंदरी में भी बगलामुखी मंदिर है। नलखेड़ा में भी इसी दिन मां के प्रकट दिवस पर दोपहर 12 बजे महाआरती की जाएगी। नलखेड़ा में देवी बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा है। पांडवों ने विजय की प्राप्ति के लिए देवी बगलामुखी की साधना की थी। उज्जैन इस दिन पूजन दर्शन का 100 गुना आधा ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।

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