उज्जैन गोवर्धन सागर में चोथै दिन श्रमदान में झाडिया हटी तो सैकडों साल पुरानी बावड़ी दिखाई देने लगी

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झाड़िया हटी तो निकली सैकड़ो साल पुरानी बावड़ी

प्राचीन गोवर्धन सागर पर लगातार चौथे दिन भी श्रमदान

उज्जैन। अंकपात मार्ग स्थित गोवर्धन सागर पर साधु-संतो की अगुवाई में लगातार चौथे दिन भी श्रमदान चला। जनसहयोग से की जा रही गोवर्धन सागर की सफाई के बाद अब आसपास का वातावरण मनोरम दिखने लगा है। तालाब की पाल पर झाड़ियों की सफाई की गई तो झाड़ियों के बीच से सैकड़ो साल पहले बनी काले पत्थरों की बावड़ी दिखाई दी। गोवर्धन सागर की सफाई के काम में आसपास के रहवासी भी बढ़चढ़ भाग ले रहे है।

रामादल अखाड़ा परिषद के संत, महंत, महामंडलेश्वर ने गोवर्धन सागर के पुर्न उद्धार का काम जनसहयोग से आरंभ किया है। रविवार को लगातार चौथे दिन भी श्रमदान जारी रहा। गोवर्धन सागर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व पार्षद ओम अग्रवाल के मुताबिक तालाब की पाल पर एक प्राचीन बावड़ी मिली है। इसके आसपास सफाई करवाकर इस बावड़ी को भी संरक्षित करने के प्रयास किए जाएंगे। श्री अग्रवाल ने बताया कि गोवर्धन सागर के आसपास पुरातात्विक महत्व के जितने भी निर्माण या शिल्प निकलेंगे उन्हें संतो के निर्देश अनुसार गोवर्धन सागर की पाल पर ही स्थापित कराया जाएगा।

भटकती रही प्रतिमा

गोवर्धन सागर की पाल के किनारे पर प्राचीन भगवान श्रीकृष्ण की दुलर्भ प्रतिमा भी स्थापित है। एक ही शिला पर बनी इस प्रतिमा में भगवान श्रीकृष्ण अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाए हुए है। श्री गोवर्धन के नीचे गोकुल वासी आश्रय लिए हुए है। क्षेत्रीय रहवासी बताते है कि यह प्रतिमा पूर्व में गोवर्धन सागर के आगे चेरिटेबल अस्पताल के सामने स्थापित थी। बाद में इसे कुछ शरारती तत्वों ने तालाब में फिंकवा दिया था। क्षेत्र के रहवासियों ने इसे तालाब से निकलवाकर पूर्व छोर पर स्थापित करवा दिया।

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