उज्जैन मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी की शुद्धिकरण को लेकर साधु संत समाज धरने पर बैठे एवं क्षेत्र पण्डा समिति विधायक महेश परमार मंडी अध्यक्ष गोविंद खंडेलवाल जी भी उपस्थित थे।

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मोक्षदायिनी मां शिप्रा नदी की शुद्धिकरण को लेकर संत समाज धरने पर।

मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन और भारत सरकार ने तीर्थ विकास के लिए अब तक जो भी कदम उठाए है वे सराहनीय है। उज्जैन संत समाज तीर्थ विकास के क्षेत्र में अकल्पनीय कार्यों को पूर्णता की ओर अग्रसर करने के लिए आपको साधुवाद देता है।
हम उज्जैन के सभी संत, षट्दर्शन संत मंडल के सदस्य आपका ध्यान मोक्षदायिनी मां शिप्रा की दुर्दशा की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं। संत समाज की आकांक्षा है कि शिप्रा सदानीरा प्रवाहमान रहे और इसका जल सदैव आचमन व स्नान के योग्य बना रहे। वर्तमान में पुष्णसलिला मां शिप्रा की स्थिति ऐसी हो गई है कि इसका जल आचमन तो दूर स्नान तक के योग्य नहीं रह गया है। बहुत ही खेद का विषय है कि देश के सबसे स्वच्छ शहर और लगातार 5 वर्ष तक देश में स्वच्छता के मामले में सर्वश्रेष्ठ रहने वाले इंदौर से आने वाला प्रदूषित जल देश की सप्तपुरियों में प्रधान अवंतिका तीर्थ (उज्जैन) के लिए अभिशाप बन गया है।
शिप्रा नदी से ही उज्जैन की पहचान है। शिप्रा उज्जैन में है, इसलिए यहां सिंहस्थ है। शिप्रा के अस्तित्व से ही उज्जैन धार्मिक नगरी है। मोक्षदायिनी शिप्रा को होने वाला नुकसान धर्म नगरी उज्जैन के लिए हानिकारक है। शिप्रा जल निर्मल और शुद्ध किए बिना, शिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त किए बिना उज्जैन में विकास के दावे करना बेमानी है।
राज्य और केंद्र सरकार ने उज्जैन खासकर महाकाल क्षेत्र में विकास के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी के माध्यम से लगभग 752 करोड़ रुपए के निर्माणकार्य शुरू किए है। शासन प्रशासन को यह ध्यान में रखना होगा कि श्रद्धालुजन उज्जैन में आधुनिक बिल्डिंग, फव्वारे या क्रत्रिम सुदरता देखने नहीं आते वरन उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन और पुण्य सलिला मां शिप्रा में स्नान के लिए आते है। शिप्रा से ही उज्जैन में कुंभ (सिंहस्य) महापर्व की महिमा है।
सिंहस्थ 2016 के पूर्व से ही उज्जैन का संत समाज इंदौर से बहकर उज्जैन आने वाले गंदे पानी को ओपन नहर के माध्यम से शिप्रा नदी में मिलने से रोकने की मांग करता रहा है। राज्यशासन शासन के कतिपय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने संतजनों की इस मांग को दरकिनार कर पाईप लाइन के जरिए डायवर्शन की योजना को लागू किया। लगभग 150 करोड़ रुपए की यह योजना औचित्यहीन होकर रह गई है। अब तो स्थिति यह है कि स्नान पर्वो के अवसर पर बिना नर्मदा का जल लाए स्नान कराना असंभव हो गया है। अतः उज्जैन के समस्त संत आपसे मांग करते हैं कि
1- त्रिवेणी से कालियादेह महल तक शिप्रा नदी में कोई भी दूषित जलस्त्रोत नहीं मिले।
लगमा
2- स्वच्छता में लगातार 5 बार देश में नंबर 1 का तमगा हांसिल करने वाले इंदौर का प्रदूषित पानी शिप्रा में मिलने से तत्काल रोका जाए। ओपन नहर के माध्यम से इसे शिप्रा जल में मिलने से रोका जाए। इंदौर का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोकने के स्थाई इंतजाम किए जाए। 3- शहर के समस्त नालों का दूषित जल शिप्रा में मिलने से रोका जाए ताकि शिप्रा जल
आचमन व स्नान योग्य हो सके।
4- पवित्र नगरी के समस्त धार्मिक क्षेत्र में मांस, मदिरा, अंडे व अन्य निषेध वस्तुओं का
विक्रय तत्काल रोका जाए। जहरीका 5- देवास जिले से शिप्रा जल में मिलने वाले प्रदूषित पानी को शिप्रा जल में मिलने से
जब तक प्रशासन की नींद नहीं खुलती तब तक धरना जारी रखे मे ओर काग्रेस पार्टी आपके साथ हैं। विधायक महेश परमार
धरना-प्रदर्शन पर महंत श्री रमता जोगी आनन्द पुरी महाराज डॉ मंहत रामेशवर दास मंहत भगवान दास बाल कृष्ण दास जगदीशवर नन्द जी मंहत हरिहर रसिक दास जी संत मुकुंद पुरी जी संत छमापुरी जी राम जी महाराज प्रणवानन्द जी महाराज चैतन्य भ्रमचारी महाराज रामानंद जी महाराज थाना पति सेवानन्द गिरी जी महाराज मंहत विधाभारती योगी पिर रामनाथ जी महाराज कृष्ण गिरी जी महाराज ओर भी कई संत जन उपस्थित थे।

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