उज्जैन महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग के तत्वावधान में आयोजित मालवा का सुप्रसिध्द माच का मंथन कल कवि सम्मेलन

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उज्जैन महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ, स्वराज संस्थान संचालनालय, म.प्र.शासन संस्कृति विभाग के तत्त्वावधान में मालवा का सुप्रसिध्द “माच” का मंचन कालिदास अकादमी के पं. सूर्यनारायण व्यास कला संकुल में पं. ओमप्रकाश शर्मा के निर्देशन में सम्पन्न हुआ माच के शुभारंभ से पहले शोधपीठ के निदेशक श्री राम तिवारी ने बताया कि मालवांचल का लोकनाट्य माच जो कि लोक कथाओं पर आधारित है उसी तारतम्य में माच के खेल को “राजा विक्रम के माध्यम से उस्ताद कालूराम माच अखाडा, उज्जैन के कलाकारों द्वारा माच का मंचन किया गया । निदेशक श्रीराम तिवारी ने जानकारी देते हुये बताया कि रानी चित्रलेखा अपनी फरियाद लेकर राजा विक्रम के पास आती है, वह राजा विक्रम को बताती है कि उसके पति सितलसिंह रत्नागढ़ की राजकुमारी चम्पादे को ब्याहने के लिए गये थे किन्तु कई दिन बीत गए वह अभी तक

वापस नहीं आये हैं।

अतः राजा विक्रम आप मेरे पति को ढूंढकर ला दें। राजा विक्रम रानी चित्रलेखा की बिनती सुनकर उसे आस्वस्त करते हैं कि आप अपने महल में जायें में शीघ्र ही आपके पति सितलसिंह को खोजकर आपके पास ले आऊँगा। राजा विक्रम अपने तोते हिरामन को बुलाता है जो गुरू गोरखनाथ का प्रिय शिष्य है, राजा विक्रम तोते को रत्नागढ़ भेजकर यह पता लगवाना चाहता है कि वहाँ की राजकुमारी चम्पादे से विवाह करने रखने वाले राजा सितलसिंह कहाँ है? किस हाल में है? तोता हिरामन राजा विक्रम की आज्ञा से रत्नागढ़ पहुंचता है और राजकुमारी चम्पादे से मिलता है, राजकुमारी चम्पादे तोता हिरामन के प्रति आकर्षित होकर उससे पूछती है कि तुम कौन हो और तुम्हारे मालीक कौन है? तोता हिरामन को बताता है कि मैं राजा विक्रम का तोता हूँ, राजकुमारी यह सुनकर विक्रम पर आसक्त हो जाती है और चिट्ठी लिखकर तोता हिरामन को देती है और कहती है कि राजा विक्रम से कहना कि वे यहाँ आकर मेरे द्वारा पूछी गई पहेलियों का सही जवाब देंगे तो मैं सारे बंदियों को छोड़ दूंगी और उनसे ब्याह रचाऊँगी, लेकिन अगर उन्होंने मेरी पहेलियों का सही जवाब नहीं दिया तो उन्हें भी बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया जायेगा। तोता हिरामन उज्जयिनी में वापस आकर यह संदेश राजा विक्रम को देता है, जिसे राजा विक्रम सुनकर रत्नागढ़ पहुँच कर राजकुमारी चम्पादे द्वारा पूछी गई पहेलियों का सही सही जवाब देकर सभी बंदियों को छुड़वाते हैं और राजकुमारी चम्पादे से ब्याह कर अपने राज्य के लिए वापस प्रस्थान करते हैं। आज शाम 7 बजे “वारतां विकरमजीत दी” होगी। कार्यक्रम के अन्त में शोधपीठ के निदेशक श्री श्रीराम तिवारी ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया

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