श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के श्रावण महोत्सव के दौरान होगी शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य की रसवर्षा*
पहले दिन 17 जुलाई को होगी ध्रुपद जुगलबन्दी, तबला त्रिवेणी व भरतनाट्यम की प्रस्तुति*
*श्रावण-भाद्रपद माह के प्रत्येक रविवार होगी शास्त्रीय गायन,वादन व नृत्य की प्रस्तुतियॉ*
उज्जैन 16 जुलाई। श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा गत दो वर्षों के अंतराल के बाद पुन: इस वर्ष 2022 में प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी *17वॉ अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2022* मनाया जा रहा हैं। श्रावण महोत्सव में नियोजित शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य की रसवर्षा से नटराज श्री महाकालेश्वर की आराधना के उपक्रम में सुधिजन, साधक सभी सादर आमंत्रित हैं।
*श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड ने जानकारी देते हुए बताया कि, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय सभागृह, जयसिंह पुरा उज्जैन में रविवार 17 जुलाई को शाम 7 बजे 17वॉ अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2022 का शुभारंभ होगा।कार्यक्रम के पहले दिन भोपाल की सुश्री धानी गुंदेचा व सुश्री जान्हवी पंसालकर की ध्रुपद जु्गलबंदी , उज्जैन के श्री विनायक शर्मा, श्री हर्षिल मेहता व श्री केशव केवलिया की तबला त्रिवेणी की प्रस्तुति व नईदिल्ली के श्री शान्तनु चक्रवर्ती एवं सुश्री परिणीत मलिक के भरतनाटयम की प्रस्तुतियॉ शामिल हैं।*
*कलाकारों का परिचय*
सुश्री धानी गुंदेचा विख्यात ध्रुपद गायक पंडित उमाकांत गुंदेचा की बेटी हैं। धानी की गायकी में शिक्षा-दीक्षा बचपन से ही प्रारंभ हो गई थी | उसके बाद गुरु-शिष्य परंपरा के तहत ध्रुपद संस्थान,भोपाल में गुंदेचा ब्रदर्स से ध्रुपद गायन का पूर्णकालिक प्रशिक्षण प्राप्त किया । आपको सीसीआरटी, यंग आर्टिस्ट स्कॉलरशिप, 2018 प्राप्त हुई है। आप एक उज्ज्वल और होनहार प्रतिभा है जो ध्रुपद की विरासत को आगे बढ़ा रही है।
वर्ष 2005 जान्हवी पंसालकर को ग्वालियर घराने की स्वर्गीय विदुषी वीणा सहस्रबुद्धे का मार्गदर्शन मिलना शुरू हुआ। उनके तहत, उन्होंने आठ साल तक ख्याल गायकी का प्रशिक्षण लिया और कईं प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुतियाँ दी| इसके बाद जान्हवी पंसालकर ने 2014 से भोपाल के ध्रुपद संस्थान गुरुकुल में पूर्णकालिक छात्रा के रूप में पद्मश्री पं रमाकांत गुंदेचा एवं पद्मश्री पं उमाकांत गुंदेचा के सानिध्य में ताल प्रणाली के साथ ध्रुपद गायन में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। जान्हवी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्रुपद गायकी की प्रस्तुतियाँ करती रही हैं। अपनी एकल प्रस्तुतियों के साथ ही, ध्रुपद सिस्टर्स के रूप में जानी जाने वाली एक सर्व-महिला ध्रुपद तिकड़ी का भी हिस्सा रही हैं।
तबला त्रिवेणी की इस प्रस्तुति में बनारस घराने की वादन शैली के अंतर्गत उज्जैन के पंडित विनायक शर्मा, श्री हर्षिल मेहता एवं3 श्री केशव केवलिया द्वारा पारंपरिक तबला वादन की प्रस्तुति दी जावेगी। पंडित विनायक शर्मा द्वारा अपने सहयोगियों श्री हर्षिल मेहता एवं श्री केशव केवलिया के साथ कई विशिष्ट मंचों पर प्रस्तुतियां दी गई है | श्री विनायक शर्मा ने अपने तबले की प्रारंभिक शिक्षा शासकीय संगीत महाविद्यालय में डॉ राजेंद्र आर्य के सानिध्य में प्राप्त कर कला रत्न की उपाधि प्राप्त की | श्री हर्षिल मेहता को तबला प्रशिक्षण, अपने मामा स्व.पं. संजय व्यास एवं तबला विधा के पुरोधा पंडित श्रीधर व्यास के मार्गदर्शन में प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से प्राप्त हुआ | श्री केशव केवलिया ने तबला प्रशिक्षण पंडित माधव तिवारी से प्राप्त किया | वर्तमान में पंडित विनायक शर्मा एवं श्री हर्षिल मेहता गुरु कलाचार्य पंडित बालकृष्ण महंत के मार्गदर्शन में बनारस घराने की तबला वादन शैली की बारीकियों को सीख रहे हैं एवं श्री केशव केवलिया वर्तमान में पंडित विनायक शर्मा से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
शांतनु चक्रवर्ती और परिणीत मलिक, नई दिल्ली ने अपने शास्त्रीय नृत्यगुरु वी.कृष्णमूर्ति से विधिवत शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम नृत्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया | देश के साथ ही विदेशों में कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को भावविभोर कर देने वाले शांतनु और परिणीत ने कईं पुरस्कारों एवं सम्मान को प्राप्त कर भारत की गरिमा को बढ़ाया है |संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न समारोह में अपनी प्रस्तुति की छाप छोड़ने के साथ ही भारत के साथ विदेश में कार्यशालाओं के आयोजन एवं भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम पर कईं व्याख्यान दिए है । एकल कलाकार के रूप में कनाडा, मास्को, नॉर्वे, मलेशिया, कंबोडिया, काठमांडू में प्रस्तुति दी | अपने गुरु के साथ जापान, इंडोनेशिया, थाईलैंड एवं यूरोप में – जर्मनी, हंगरी, इंग्लैंड, हॉलैंड, क्रोएशिया, आयरलैंड, स्वीडन के भारतीय दूतावास, मॉस्को, कनाडा, नॉर्वे में वर्कशॉप भी की