मकर संक्रांति शनि देव का तिल से अभिषेक, त्रिवेणी संगम पर सूर्यदेव की आरती की उज्जैन त्रिवेणी नवग्रह मंदिर से निकाली सूर्यदेव की पालकी यात्रा

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उज्जैन मकर संक्रांति पर्व मंगलवार को मनाया गया। इस दिन शिप्रा स्नान के साथ दान का महत्व होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा स्नान के लिए तटों पर पहुंचे। पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार 19 वर्ष बाद मकर संक्रांति पर मंगल स्वग्रही भोम पुष्य योग बना। इस दिन सूर्य देव ने मकर में सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर प्रवेश किया। सूर्य उत्तरायण होने के साथ दिन की अवधि भी बढ़ने लगती है। त्रिवेणी नवग्रह मंदिर पर मनाया पिता-पुत्र दिवस इंदौर रोड स्थित शनि नवग्रह मंदिर त्रिवेणी पर पिता-पुत्र दिवस मनाया गया। इसके अंतर्गत शनि नवग्रह मंदिर त्रिवेणी से सुबह 11 बजे सूर्य देव की पालकी यात्रा निकाली गई। इसमें 108 बटुकों, ब्राह्मणों नवग्रह शनि मंदिर से सूर्य देव की पालकी यात्रा निकाली गई। इधर, शिप्रा के घाट पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया। सूर्य देव को पालकी में विराजमान कर त्रिवेणी संगम तक ले जाया गया व आचमन और पूजन किया गया। आध्यात्मिक गुरु कृष्णा गुरुजी मिश्रा ने बताया मकर संक्रांति पर सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश का खगोलीय और आध्यात्मिक महत्व माना गया है। इस पर्व पर सूर्य (पिता) व शनि (पुत्र) के आपसी रिश्तों से यह संदेश दिया कि पारिवारिक रिश्तों में मतभेदों के बावजूद एकता व मिठास बनी रहनी चाहिए। शनि नवग्रह मंदिर से सुबह पालकी यात्रा निकाली गई, जिसे ढोल-ताशों के साथ त्रिवेणी संगम तक ले जाया गया। इसके बाद पिता-पुत्र मिलन और पाद पूजन का आयोजन हुआ। इसमें बटुकों, ब्राह्मणों ने अपने पिता के चरण पूजे। शिप्रा में आस्था की डुबकी मकर संक्रांति पर मंगलवार को शिप्रा तट पर अलसुबह से स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था। स्थानीय के अलावा अंचल से आए लोगों ने शिप्रा में डुबकी लगाई और घाट पर पूजन के बाद दान किया। यह क्रम शाम तक चलता रहा।

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