उज्जैन आध्यात्म की बेल भारत से ही बढ़ी हुई है। विज्ञान भी भारत से ही ऋषि-मुनियों, योगी-योगेश्वरों व संतों द्वारा विदेशों में गया है। भारत धार्मिक वआध्यात्मिक देश है। आगे – आध्यात्मिक देश बनकर उभरेगा। एक समय ऐसा आएगा, जब यहां अध्यात्मवादी तैयार हो जाएंगे, साधक तैयार हो जाएंगे।पिंगलेश्वर स्थित बाबा जयगुरुदेव आश्रम में सत्संग में बाबा उमाकांतजी महाराज ने यह बातें कही। उन्होंने कहा पूरब की भाषा में लिखी हुई एक प्रार्थना है बदली हिंदुस्तान तो बदल जाई दुनिया। कोई न शराबी होगा, नहीं मांसाहारी। हो जाए सफाई नहीं रही है अत्याचारी। दुनिया में सदाचार का उत्थान हो, बदल जाई दुनिया, इसका अर्थ है कि भारत के लोग बदल गए तो सब बदल जाएंगे।
सबसे पहले आचार-विचार सुधारो, सब सुधर जाएगा महाराज ने कहा व्यक्ति को सबसे पहले आचार-विचार सुधारने की जरूरत है। धीरे-धीरे ही सही आचार और विचार में आया परिवर्तन परिलक्षित होगा। उससे केवल आपका ही लाभ नहीं बल्कि इससे सभी जगह, उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। शुरुआत में लोग भले ही इसे बुरा माने पर वे भी समझ जाएंगे कि आपने जो किया वह सही है।
आशीर्वचन देते बाबा उमाकांतजी महाराज। धर्मलाभ लेते देश, विदेश से आए अनुयायी। विदेश वालों के ऊपर आफत पहले आएगी गुरु महाराज के भंडारे में विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग आए तो जो लोग आप यहां बैठे हो और जो चले गए, जो नहीं आ पाए सब को बता दो कि विदेश वालों के ऊपर आफत पहले आएगी। जो यह सोच रहे हो कि हमारे धन, संपत्ति हैं और हम वहां सुरक्षित हैं, उसे सुरक्षित मत समझो। अब सुरक्षित करने और अपनी सुरक्षा के बारे में सोच लो, विचार कर लो। समय कोई भी अच्छा या बुरा नहीं होता जो समय चल रहा है, वही आपके लिए अच्छा है, यही सोच रखेंगे तो जीवन में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा। कोई भी समय अच्छा या बुरा नहीं होता। वह तो चक्र है, जो हमेशा हर घड़ी चलता रहता है। इसे आप अच्छा मानो तो भी यह बीतेगा और बुरा मानो फिर भी इसे
2025-05-29