रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि अखाड़ों की अपनी व्यवस्थाएं हैं, उन्होंने अपने-अपने संतों से कहा कि धर्म अनुसार आचरण करें।जवाब संतोषजनक नहीं, तो महाकुंभ में प्रवेश नहीं मिलेगा

Listen to this article

उज्जैन खुद को भगवान बताने वाले साधु, संतों के खिलाफ अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज नाराज हैं। सिंहस्थ 2028 की तैयारियों का जायजा लेने उज्जैन आए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा- आजकल ऐसा ट्रेंड चला है कि हर कोई अपने आप को उपासक, पुजारी नहीं, भगवान कह रहा है। खुद को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और राम कह रहे हैं, ऐसे संतों पर कार्रवाई होना आवश्यक है। प्रयागराज के कुंभ में ऐसे व्यक्तियों को जमीन नहीं दी जाएगी। अखाड़ों ने अपने-अपने संतों को मौखिक रूप से हिदायत दी है। प्रयागराज में महाकुंभ 2025 में होगा। उज्जैन में 4 साल बाद सिंहस्थ का आयोजन किया जाएगा। ऐसे में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष यहां व्यवस्थाएं देखने आए थे। उन्होंने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति के विरोध में जो जाएगा, उस पर कार्रवाई होगी। मंच से अल्लाह हू अकबर कहना, नमाज पढ़ना उचित नहीं है। मंच पर पति-पत्नी बैठकर शादी करें, यह चीजें अच्छी नहीं है। ऐसे संतों को चिह्नित किया जाएगा, जो सनातन के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। अध्यक्ष गोपनीय जांच करवाते हैं
संतों को हिदायत देने हुए कहा कि 30 सितंबर तक संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो महाकुंभ-2025 में उन्हें प्रवेश नहीं मिलेगा। अखाड़े सनातन धर्मावलंबियों की आस्था व समर्पण का केंद्र हैं। मौजूदा समय में 13 अखाड़े हैं। उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के माध्यम से संगठित किया है। अखाड़े से जुड़ संतों में कोई दोष न आए, इसके लिए दो-तीन वर्ष के अंतराल से सभी अखाड़े अपने महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत, श्री महंतों की कार्यप्रणाली की गोपनीय जांच करवाते हैं। जांच अखाड़े के पदाधिकारी करते हैं। इसमें उनका रहन-सहन, कार्यप्रणाली, किस प्रकार के लोगों से संबंध हैं। यह देखा जाता है। अपेक्षा के अनुरूप कार्यप्रणाली न मिलने पर उन्हें हिदायत देकर जवाब मांगा जाता है।
रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि अखाड़ों की अपना व्यवस्थाएं हैं, उन्होंने अपने-अपने संतों से कहा कि धर्म अनुसार आचरण करें।
जवाब संतोषजनक नहीं, तो महाकुंभ में प्रवेश नहीं मिलेगा रवींद्र पुरी महाराज ने महामंडलेश्वर को निष्कासित करने के संबंध में कहा कि फिलहाल दो महीने पहले सिर्फ उज्जैन में महिला महामंडलेश्वर को निष्कासित किया गया है, अन्य किसी को नहीं। संतों को हिदायत देने के संबंध में उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों की अपनी व्यवस्था है। अखाड़े से संबंधित किसी संत को गलती करने पर उनके अखाड़े हिदायत देते हैं।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे