उत्तराखण्ड की भरतनाट्यम नृत्यांगना स्वस्तिका जोशी को मिला उज्जैन में शशि कला प्रवीण सम्मान

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उत्तराखंड नैनीताल की स्वस्तिका जोशी ने उज्जैन मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर की शास्त्रीय संगीत व नृत्य प्रतियोगिता में भरतनाट्यम और वायलिन वादन में प्रथम स्थान प्राप्त कर नैनीताल व उत्तराखंड का मान बढ़ाया। 25 व 26 मई 2024 को कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन में आयोजित श्री महाकालेश्वर सांस्कृतिक महोत्सव में अखिल भारतीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य प्रतियोगिता में भरतनाट्यम व वायलिन वादन में हल्द्वानी की स्वस्तिका जोशी ने प्रतिभा किया इन दोनों ही प्रतियोगिताओं में स्वस्तिका ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। भरतनाट्यम में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उन्हें महोत्सव के मुख्य मंच पर अपनी प्रस्तुति देने का अवसर दिया गया जहां पर स्वस्तिका को शशि कला प्रवीण सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया ।
डॉक्टर गोविंद गांधी निदेशक कालिदास अकादमी और संजय शर्मा महामंत्री संस्कार भारती के द्वारा स्वस्तिका को अंग वस्त्र, सम्मान पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश, झारखंड, वेस्ट बंगाल, उड़ीसा बिहार, छत्तीसगढ़ ,मध्य प्रदेश, गुजरात ,महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली ,हरियाणा, मणिपुर, राजस्थान ,केरल और तमिलनाडु के बाल कलाकारों ने प्रतिभा किया।
इससे पूर्व स्वस्तिका जोशी भरतनाट्यम नृत्य में कई बार राज्य व नैनीताल का नाम रोशन कर चुकी है । अखिल भारतीय संगीत नृत्य प्रतियोगिता शिमला, बाल कला उत्सव दिल्ली, अखिल भारतीय शास्त्रीय संगीत नृत्य प्रतियोगिता आगरा, संगीत मिलन उस्ताद नियाज अहमद फैयाज अहमद खान क्लासिकल वॉइस ऑफ़ इंडिया 2023 ग्रैंड फिनाले लखनऊ सहित सभी में स्वस्तिका ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।10 वर्षीय स्वस्तिका जोशी हल्द्वानी के सेंट थेरेसा स्कूल में कक्षा 6 की छात्र हैं। 7 वर्ष की उम्र से भरतनाट्यम नृत्य की विधिवत् शिक्षा गुरु शुभम् खोवाल से तथा वायलिन की शिक्षा पंडित हरीश चन्द्र पन्त से प्राप्त कर रही है। दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम सीखने के कारण के विषय में स्वस्तिका बताती हैं कि उन्हें भरतनाट्यम नृत्य की प्रेरणा तमिलनाडु के तंजावुर में बृहदीस्वरा मंदिर में दर्शन के बाद मिली । जो भरतनाट्यम के लिए भी जाना जाता है। उनके घर में तो कथक नृत्य का वातावरण है मां और बहन कथक नृत्यांगना है । सी सी आर टी की कार्यशाला में अपनी बहन के साथ तंजावुर जाने का अवसर मिला । तब वह 5 वर्ष की थी। उसके बाद गुhरु शुभम् खोवाल जी का सानिध्य मिला । स्वस्तिका का मानना है कि गुरु कृपा से ही मैं कुछ कर पा रही हूं।स्वस्तिका की उपलब्धि पर गुरुजनों व कला प्रेमियों ने बधाई  दी।

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