पहली बार चुनाव लड़े अनिल जैन 27 हजार 513 वोटों से जीते, मंत्री डॉ. यादव 12941 से विजय

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शहर की उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधानसभा सीट को लेकर 1957 से चला आ रहा संयोग इस बार भी बरकरार रहा। वो यह है कि इन दोनों सीटों पर एक ही दल के प्रत्याशी विधायक चुने गए। 1957 से 2023 तक हुए 15 बार के चुनाव में
6 बार इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते हैं, वहीं 9वीं बार भाजपा काबिज हुई है। 1998 के विधानसभा चुनाव में आखिरी बार कांग्रेस के प्रत्याशी इन दोनों सीटों को जोते थे। 2003 से लगातार भाजपा के प्रत्याशी यहां से विधायक बनते आ रहे हैं। रविवार को आए नतीजों ने भी यह संयोग बनाए रखा है। उज्जैन उत्तर से भाजपा के अनिल जैन कालूहेड़ा और उज्जैन दक्षिण से भाजपा के ही डॉ. मोहन यादव चुनाव जीते हैं। उज्जैन उत्तर से पार्टी ने चेहरा बदलते हुए अनिल जैन को चुनावी मैदान में उतारा। उनके पक्ष में नतीजे भी प्रभावी ही आए हैं। वे 27513 मतों से चुनाव जीते हैं। लगभग इतने ही अंतरों से पारस जैन भी निर्वाचित होते आए है। जबकि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव को कड़े मुकाबले के बीच जीत हासिल हुई है। कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में चेतन प्रेमनारायण यादव को मैदान में उतारा था। प्रारंभिक तीन से चार राउंड तक चेतन भाजपा प्रत्याशी डॉ. यादव से आगे रहे लेकिन इसके बाद लगभग हर राउंड में डॉ. यादव आगे होते गए। हालांकि आखिरी 21 राउंड तक भी वह बहुत ज्यादा मतों के अंतर से चेतन को नहीं हरा पाए। डॉ. यादव ने चेतन को 12 हजार 941 मतों से शिकस्त दी। उज्जैन दक्षिण की सीट को लेकर रोचक तथ्य यह भी है कि 1972 तक यह आरक्षित सीट हुआ करती थी, 1977 में परिसीमन होने पर घटिया विधानसभा अस्तित्व में आई और उज्जैन दक्षिण सीट सामान्य सीट हो गई। जीत का जश्न… परिणाम घोषित होने से पहले ही कार्यकर्ताओं ने शहर में रैली निकालना शुरू कर दी। देर शाम उत्तर प्रत्याशी अनिल जैन कालुहेड़ा का जुल उज्जैनः 5 सीटों पर भाजपा, कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2
विधानसभा चुनाव में जिले की सात में से 5 विधानसभा सीटों उज्जैन उत्तर-दक्षिण, घट्टिया, बड़नगर, नागदा-खाचरौद पर भाजपा प्रत्याशी जीते और दो विधानसभा तराना व महिदपुर में कांग्रेसी। पिछले 2018 के चुनावी नतीजों का आंकलन करे तो इस बार कांग्रेस को नुकसान हुआ है। इसलिए कि तब कांग्रेस के पास चार विधानसभा सीटें थी और अब केवल दो ही रह गई हैं। कांग्रेस की तरफ से अकेले महेश परमार ही ऐसे प्रत्याशी रहे, जिन्होंने अपनी सीट पर भाजपा को कब्जा नहीं करने दिया। जिले में सबसे बड़ी जीत बड़नगर में हुई। यहां भाजपा के जितेंद्र सिंह पंड्या ने कांग्रेस के मुरली मोरवाल को 36 हजार 693 मतों के अंतर से हराया। जबकि सबसे कम मतों से फैसला महिदपुर विधानसभा में हुआ। यहां कांग्रेस के दिनेश जैन बोस ने 290 मतों से भाजपा के कद्दावर नेता बहादुर सिंह चौहान मात दी। बहरहाल इन चुनावी नतीजों के आधार पर राजनीतिक दलों को आने वाले लोकसभा चुनाव की बिसात बिछाने

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