ओडिशा के पुरी की तर्ज पर उज्जैन शहर में कार्तिक चौक से खाती समाज और बुधवारिया से इस्कॉन ने निकाली रथयात्रा रथ में विराजित होकर दर्शन देने निकले भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा व बलभद्र

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उज्जैन जय जगदीश, जय जगन्नाथ, देवी सुभद्रा, बलभद्र की जय के जयघोष से शहर गूंज उठा। ओडिशा के पुरी की तर्ज पर मंगलवार को शहर खाती समाज: में दो स्थान कार्तिक चौक से चंद्रवंशीय क्षत्रिय खाती समाज और बुधवारिया से इस्कॉन ने रथयात्रा निकाली। इसकी तैयारियां एक महीने से की जा रही थी। यात्रा मार्ग पर दोनों ओर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लेने के साथ भक्तों को प्रसाद वितरण भी किया। हाथों से खींचा रथ, पहली बार महिलाओं को जिम्मेदारी इस्कॉन : स्वर्णिम झाड़ू से बुहारा मार्ग, स्वच्छता का संदेश दिया अखिल भारतीय चंद्रवंशीय क्षत्रिय खाती समाज की अगुवाई में कार्तिक चौक स्थित जगदीश मंदिर से दोपहर 3 बजे रथयात्रा की शुरुआत हुई। इसके पहले मंदिर में महाआरती की गई। समाज के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र देथलिया व मीडिया प्रभारी अरुण पटेल के अनुसार पूजन-आरती के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र को रथ पर आरुद्ध करवाया गया। पहली बार रथ के आसपास की व्यवस्था के लिए महिलाओं को दायित्व दिया गया था। यात्रा के लिए 1200 गांव के स्वजन आए थे। उन्होंने दर्शन, पूजन के बाद रथ को अपने हाथों से खींचा। डीजे, चलित झांकी के साथ एक अन्य रथ पर भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र को विराजित करवाया था। यह रच योगमाया मंदिर से रवाना होकर कार्तिक चौक में मुख्य रथ के पहले शामिल किया गया। यहां पर दर्शन दिए: रथयात्रा जगदीश मंदिर कार्तिक चौक से शुरू होकर ढाबा रोड, कमरी मार्ग चौराहा, तेलीवाडा, नई सड़क, कंठाल चौराहा, सती गेट, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, गुदरी चौराहा, जगदीश मंदिर पहुंची। जहां आरती की। प्रसादी : जगन्नाथ के भात। जगत पसारे हाथ के संदेश, को लेकर पूरे यात्रा मार्ग में भगवान जगन्नाथ का भात वितरित किया। धाकड़ धर्मशाला में महाप्रसादी की व्यवस्था भी थी। इस्कॉन की अगुवाई में मंगलवार दोपहर 2 बजे बुधवारिया में स्वर्णिम झाडू से रथ के आगे सफाई की गई। इसमें भक्तों के साथ साधु-संतों ने भी भागीदारी की। देशभर से आए भक्तों ने हाथों से रथ खींचना शुरू किया। शाम 7 बजे रथयात्रा इस्कॉन मंदिर पहुंची। यहां पर बनाए गुंडिचा में रथ की अगवानी की गई। पीआरओ पं. राघव दास ने बताया कि रथ के साथ प्रभु के लिए विशेष पोषाक बनवाई गई थी। 2.50 लाख रुपए की विशेष पोषाक में पहली बार जापानी हीरा भी शामिल किया था। देवी सुभद्रा और बलभद्र की पोषाक बनाने के लिए कोलकाता और वृंदावन से कलाकार खुलाए थे। उन्होंने 20 दिन में पोषाक तैयार की थी। यात्रा मार्ग पर दोनों और मंच बनाकर भगवान की अगवानी की गई। रथ के पीछे इस्कॉन के साधकों ने मार्ग से प्रसादी का कचरा उठाकर स्वच्छता का संदेश दिया। यहां दिए दर्शन: यात्रा बुधवारिया शुरू होकर कंठाल, नईसड़क, दौलतगंज, मालीपुरा, देवासगेट, चामुंडामाता चौराहा, टावर, इस्कॉन तिराहे से शाम 7 बजे इस्कॉन मंदिर पहुंचेंगे। जहां पूजा, आरती के बाद गुडिचा मैं विराजित करवाया। प्रसादी: रथ के पीछे श्रद्धालुओं को केले की प्रसादी वितरित की गई। इसके अलावा मंचों से भक्तों ने हलवा, केले, चिरोजी बांटी। शाम को इस्कॉन में महाप्रसादी का आयोजन किया गया।

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