कान्ह का पानी शुद्ध कर ही नदी में छोड़ें- ज्ञानदासजी चप्पल त्यागकर धरने पर बैठ चुके हैं संत, अखाड़ा परिषद की इसी महीने होने वाली बैठक में उठाएंगे मुदा सरोकार मां शिप्रा की अनदेखी क्यों |

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उज्जैन सदावल रोड स्थित श्री दादूराम आश्रम महामंडलेश्वर ज्ञानदासजी महाराज ने शिप्रा शुद्धिकरण व उसे प्रवाहमान बनाने की मांग को लेकर अन्न त्याग इसके पहले वे चप्पल त्यागकर धरने पर बैठ चुके हैं, तब तत्कालीन कलेक्टर ने उन्हें आश्वासन देकर धरना खत्म करवा दिया था। संतश्री का कहना है कि वे शिप्रा के प्रवाहमान होने तक अन्न का सेवन नहीं करेंगे। महामंडलेश्वर ज्ञानदासजी महाराज ने शिप्रा को प्रवाहमान बनाने का संकल्प लेते हुए अपने आंदोलन के रूप में उपवास जारी रखने की बात कही है। साथ ही वे इस संबंध में शीघ्र ही शासन-प्रशासन को शिप्रा को प्रवाहमान व प्रदूषण मुक्त बनाने की मांग का पत्र जनप्रतिनिधियों के माध्यम से सौंपेंगे। कान्ह का पानी ट्रीट करना जरूरी महाराज ने यह भी कहा कि इंदौर की कान्ह नदी के पानी को शुद्ध कर शिप्रा में छोड़ा जाए तो शिप्रा प्रवाहमान व शुद्ध होगी। स्वामी ज्ञानदासजी का कहना है कि महाकाल की कृपा है कि हम उज्जैन में निवास करते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिप्रा में स्नान के लिए पहुंचते हैं। शिप्रा की दुर्दशा को लेकर पिछले साल नवंबर में अत्र त्याग कर अनशन शुरू किया था। अनशन कई दिनों चला। उनके साथ 13 अखाड़ों के संत जुड़े और प्रशासन ने आश्वासन दिया कि हम शुद्धिकरण के कार्य में गति लाएंगे। उनके अनुरोध पर संतों ने अनशन खत्म किया।

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