श्रद्धा हिंदू धर्म का एक अंग है और श्राद्ध उसका धार्मिक कृत्य है

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श्रद्धा हिंदू धर्म का एक अंग है और श्राद्ध उसका धार्मिक कृत्य है
देह त्याग के बाद भी जीवात्मा के विकास एवं परस्पर भावपूर्ण आदान-प्रदान की व्यवस्था भारतीय संस्कृति में है। मरणोत्तर श्राद्ध कर्म की क्रियाएं इसी का एक प्रमाण है। श्रद्धा से श्राद्ध शब्द बना है। श्रद्धा पूर्वक किए हुए कार्य श्राद्ध कहे गए हैं। श्रद्धा हिंदू धर्म का एक अंग है और श्राद्ध उसका धार्मिक कृत्य है। यह जानकारी गायत्री शक्तिपीठ उज्जैन पर शनिवार को प्रथम दिन का श्राद्ध तर्पण कार्य कराते हुए श्री देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव जिला समन्वयक ने दी ।आपने बताया कि भावी संततियां अपने पितरों के प्रति के प्रति कृतज्ञ रहें यह श्राद्ध का उद्देश्य है। पंच बलि के समय आपने श्रद्धालुओं को बताया कि वेदों में बलि शब्द पोषण संवर्धन के लिए प्रयुक्त किया गया है।कौवा मलीनता या गंदगी निवारण करने वालों के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है। अब कौवा खीर खिलाने को नहीं मिल रहे तब हमें अपने स्वक्षता सेवकों की इतनी मदद का संकल्प लेना ही चाहिए कि हम घर से गीला सूखा कचरा अलग अलग निकालें।
प्रति वर्षानुसार यहां पर सामूहिक श्राद्ध तर्पण का विधि विधान से आयोजन किया जा रहा है। प्रथम दिन शनिवार को यहां 40 से अधिक श्रद्धालुओं ने श्राद्ध तर्पण में भागीदारी की। श्रद्धालुओं का मानना था कि यहां की विधि- विधान और व्यवस्था के मामले में यह सर्वोत्तम है।वहीं दान के मामले में एक श्रद्धालु परिजन ने पूरे 16 दिन की पूजन सामग्री दान में देने का संकल्प लिया। तो इंदिरा नगर के श्री सुरेश श्रीवास्तव एवं श्री विनोद श्रीवास्तव ने अपने चाचा जी की स्मृति में तर्पण कार्य के लिए 51 धामें प्रदान किए। यहां प्रतिदिन सुबह 8 से 10 तक बजे तक श्राद्ध तर्पण कराया जा रहा है ।

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