मिट्टी के गणेश करें विराजमान, पंचतत्व का पाएं आशीष जिलाविधिक सेवा प्राधिकरण, जनअभियान परिषद की परामर्शदाता रचना शर्मा (plv) द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का प्रशिक्षण बालक व बालिकाओं दिया गया

Listen to this article

मिट्टी के गणेश करें विराजमान, पंचतत्व का पाएं आशीष
जिलाविधिक सेवा प्राधिकरण,
जनअभियान परिषद की परामर्शदाता रचना शर्मा (plv) द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का प्रशिक्षण बालक व बालिकाओं दिया गया
गणेश उत्सव सशुरू हो रहा है मंदिरों, छोटे-बड़े पंडालों और घरों में भक्ति भाव से गणेश मूर्तियां विराजमान की जाएंगीं। धर्म ग्रंथों के अनुसार मिट्टी और गोबर से बनने वाली गणेश प्रतिमा विराजमान करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मिट्टी के गणेश में पंचतत्व अग्नि, जल, वायु, आकाश तथा धरती अंश विद्यमान रहता है। साथ ही इनका आशीष भी भक्तों को प्राप्त होता हैं
गणेश उत्सव पर महानगर के लगभग सभी गली मोहल्लों और बाजारों में छोटे-बड़े पंडाल सजाकर भगवान गणेश की मूर्तियां विराजमान की जाती हैं। घरों और मंदिरों में भी भगवान विनायक की मूर्तियां विराजमान कर उनकी भक्ति वंदना श्रद्धालु करते हैं। हालांकि पिछले कुछ दशकों से केमिकल रंगों से बनने वाली आकर्षक मूर्तियां प्रचलन में आई हैं। जो प्रकृति के लिए नुकसानदेह साबित होती हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार गणेशजी की मूर्ति गंगा और पवित्र नदियों की मिट्टी, गोबर आदि से बनी होनी चाहिए। यह पवित्र एवं शुभ होती है। गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों में गणेश चतुर्थी पूजन हो अथवा विवाह सहित अन्य शुभ मांगलिक कार्य, सभी में मिट्टी अथवा गोबर से बनी मूर्ति की ही पूजा की जाती हैं। इस प्रकार की मूर्तियों को बनाने में शुद्ध घी, दूर्वा और हल्दी का भी उपयोग किया जाता है।
पुराणों सहित कई धर्म ग्रंथों में है वर्णन
शिव पुराण, विष्णु धर्मोत्तर पुराण, लिंग पुराण सहित कई धर्म ग्रंथों में मिट्टी से बनने वाली मूर्ति का विधान एवं महत्व का वर्णन है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मूर्ति के निर्माण में गंगा एवं अन्य पवित्र नदियों की मिट्टी उपयोग में लाई जाती है। शमी अथवा पीपल के पेड़ की जड़ की मिट्टी से भी मूर्ति बनाना शुभ रहता है। मूर्ति बनाने में गंगाजल एवं गाय के गोबर का भी उपयोग किया जाता हैं। प्राचीन ग्रंथ चतुर्थी से चतुर्दशी तक तथा गणेश तंत्र में गणेश जी की मूर्ति बनाने की विधि एवं नियमों का उल्लेख है। इन ग्रंथों में कुम्हार के चाक की मिट्टी से बने गणेश को शुभ माना गया है।
यह कहते हैं धर्मगुरु
महंत विष्णु दत्त स्वामी के अनुसार मिट्टी एवं गाय माता के गोबर से बनी मूर्तियों में पंचतत्व का अंश रहता है। इन मूर्तियों में देवता वास करते हैं। इस तरह की मूर्ति को विराजमान करने पर सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है। धर्माचार्य हरिओम पाठक के अनुसार पवित्र नदियों की मिट्टी से ही भगवान गणेश की मूर्तियां बननी चाहिए। धर्म ग्रंथों में इनकी महिमा हैं
समस्त जानकारी रचना शर्मा द्वारा दी गई

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे