- *अतीत की उपलब्धियों के प्रकाश में यह समय नये लक्ष्य बनाने का है-राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल, महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय का 14वा स्थापना दिवस समारोह आयोजित हुआ*
उज्जैन 17 अगस्त। प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि अतीत की उपलब्धियों के प्रकाश में यह समय नये लक्ष्य बनाने का है। महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के प्रसार के क्षेत्र में अपना स्थान बना रहा है। पहले संस्कृत फिल्म समारोह, विभिन्न संस्थाओं से एमओयू करके व शोधपत्रों का प्रकाशन करके विश्वविद्यालय नये आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में कहा गया है कि हम पूरी दुनिया को श्रेष्ठ बनाने का कार्य करें। वसुधैव कुटुम्बकम की भावना हमारी संस्कृति व संस्कृत में निहित है, जिससे विश्व कल्याण संभव है। संस्कृत विश्व की सर्वाधिक पूर्ण भाषा है। इस भाषा से गणित व विज्ञान सीखने में भी सहायता मिलती है। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने यह बात आज पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के 14वे स्थापना दिवस में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में कल्याण की भावना होना आवश्यक है। विश्वविद्यालय में चरित्र निर्माण किया जाना चाहिये। चरित्रवान आदमी को ही परम सुख प्राप्त होता है। सन्तों की वाणी सुनकर उसे घर लेकर आना चाहिये व जीवन में उतारना चाहिये। चरित्र से ही भविष्य बनता है। कोई भी विश्वविद्यालय हो संस्कार की सोच को नीचे से ऊपर ले जाना चाहिये। शिक्षित लोगों की जिम्मेदारी ज्यादा है। इसके पूर्व राज्यपाल श्री पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, महापौर श्री मुकेश टटवाल ने पद्मश्री श्री चमुकृष्ण शास्त्री, श्री भरत बैरागी, पाणिनी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.विजय कुमार सी.जी. एवं अन्य अतिथियों की मौजूदगी में मां सरस्वती के चित्र के संमुख दीप दीपन कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि जब दुनिया में कई राष्ट्रों का जन्म ही नहीं हुआ था तब से हमारे ऋषि-मुनियों ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय काम किया है। उन्होंने कहा कि महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 2008 में हुई। यह विश्वविद्यालय प्रदेश का गौरव है और सम्पूर्ण प्रदेश के छात्रों को संस्कृत की शिक्षा-दीक्षा प्रदान करता है। डॉ.यादव ने कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को लागू करने के साथ ही प्रदेश में संस्कृत की शिक्षा के लिये 52 जिलों में शीघ्र ही नई पहल करने जा रही है। उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के जीवन की घटनाओं का उद्धरण देते हुए कहा कि हम गौरवशाली हैं कि विक्रम की नगरी में निवास कर रहे हैं। उन्होंने पुस्तक विमोचन में पुस्तकों को मंच तक लाने के लिये डोली (कावड़) का उपयोग करने की कल्पनाशीलता की सराहना की।
संस्कृत सेवा सम्मान व पुस्तकों का विमोचन
कार्यक्रम में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव व अन्य अतिथियों ने संस्कृत विद्वान प्रो.मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी का महर्षि पाणिनी संस्कृत सेवा सम्मान देकर सम्मानित किया तथा विश्वविद्यालय से जुड़े विद्वानों की 8 पुस्तकों का लोकार्पण किया। साथ ही राज्यपाल द्वारा महर्षि पाणिनी प्राध्यापक पीठ का लोकार्पण किया गया व सान्ध्यकालीन कक्षाओं का शुभारम्भ भी किया। कार्यक्रम में कुलपति डॉ.विजय कुमार सी.जी. द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। कार्यक्रम में महापौर श्री मुकेश टटवाल, पद्मश्री श्री चमुकृष्ण शास्त्री, श्री भरत बैरागी ने भी उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री अखिलेश द्विवेदी द्वारा किया गया। अन्त में आभार कुल सचिव श्री दिलीप सोनी द्वारा प्रकट किया गया।