*श्रावण महोत्सव की तीसरी संध्या में गायन, वादन और नृत्य की रसधारा से रसमय हुआ श्री महाकालेश्वर भगवान का आँगन*

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श्रावण महोत्सव की तीसरी संध्या में गायन, वादन और नृत्य की रसधारा से रसमय हुआ श्री महाकालेश्वर भगवान का आँगन,
उज्जैन 31 जुलाई 2022। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 17 वा अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2022 की तृतीय संध्या गायन, वादन एवं नृत्य के माध्यम से शिव स्तुति के नाम रही।
नई दिल्ली की सुश्री सुधा रघुरामन की कर्नाटक शैली में शास्त्रीय गायन ने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया । श्री राकेश घुगरे की तबला वादन प्रस्तुति में शिव आराधना एवं विविध आर्ट्स मुम्बई के कलाकारों ने अपने नृत्य से समारोह को शिवमय कर दिया ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव की तृतीय संध्या नें मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश, धार्मिक मेला एवं मठ-मंदिर समिति के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त श्री माखन सिंह चौहान, मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद में उपाध्यक्ष श्री विभाष उपाध्याय, समिति सदस्य श्री राजेन्द्र शर्मा ‘गुरु’ द्वारा दीप प्रज्वलित कर समारोह की तृतीय संध्या का शुभारंभ किया।
मंदिर समिति के सदस्यों द्वारा माननीय अतिथियों का सम्मान किया गया साथ ही अतिथियों द्वारा प्रस्तुति देने पधारे कलाकारो का दुप्पटा, प्रसाद व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया।
अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2022 की तृतीय संध्या में पहली शिवमय प्रस्तुति नई दिल्ली की *सुश्री सुधा रघुरामन* द्वारा कर्नाटक शैली में अपनी गायकी द्वारा प्रस्तुत की गई । सुधा ने अपनी पहली प्रस्तुति में शिवमयं शीर्षक से भगवान श्री महाकाल को स्वरांजलि अर्पित की । सर्वप्रथम वृहदीश्वर महादेवा राग कनाडा एवं रूपक ताल से निबद्ध प्रस्तुति ने भगवान आदिदेव शिव को प्रणाम किया । इसके बाद कर्नाटक शैली का लोकप्रिय भजन ” भो शंभो, शिव शंकर स्वयंभो” से दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया। इसके बाद राग हिंडोल एवं आदिताल से निबद्ध गायन की प्रस्तुति दी । राग सिन्धुभैरवी व आदिताल से निबद्ध “गंगादीश्वरम शंकर” के गायन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सुश्री सुधा रघुरामन के साथ बांसुरी पर श्री जी रघुरामन, मृदंगम पर श्री एम वी चंद्रशेखर एवम तबले पर श्री हितेंद्र दीक्षित ने संगत की ।
इसके बाद द्वितीय प्रस्तुति के रूप में उज्जैन के प्रसिद्ध तबला वादक *श्री राकेश घुगरे* की कर्णप्रिय प्रस्तुति ने समारोह में समां बांध दिया । प्रस्तुति का प्रारंभ पेशकार से करने के उपरांत कायदा, पलटे, तिहाई के वादन की प्रस्तुति एवम बाद में हाथों की तैयारी का प्रदर्शन करते हुए रेला, गति दिखाने हेतु गतें, लयकारी, तिरकीट, टुकड़े , परण एवम चक्रदार बंदिशों का अद्भुत प्रदर्शन किया गया । संगतकार के रूप में सितार पर सुश्री विनीता माहुरकर एवम हारमोनियम पर श्री आस्तिक उपाध्याय ने साथ दिया । शिष्यवृन्द में सहयोगी के रूप में तबले पर श्री अरुण कुशवाह, श्री अभिषेक माथुर, श्री समर्थ घुगरे एवं श्री राकेश चौधरी ने संगत की ।
समारोह की तृतीय एवं अंतिम प्रस्तुति मुम्बई की *विविध आर्ट्स की शिवस्तुति के नाम रही । तृतीय क्रम की प्रस्तुति के रूप में नृत्य नाटिका *तुभ्यम नमामि ओम शंकराय* का प्रभावोत्पादक मंचन किया गया ।
12 ज्योतिर्लिंग एवम् 11 रुद्रों के दर्शन एवं लीलापात्रों पर आधारित रचना का लेखन श्री वी नरहरि द्वारा किया गया है एवं कथक नृत्य पर आधारित प्रस्तुति विदुषी रुचि शर्मा एवं उनके विद्यार्थियों द्वारा पूर्ण दक्षता से दी गयी । पंडित लच्छू महाराज की सुदीर्घ कथक परम्परा की स्थापित नृत्य विदुषी सुश्री रुचि शर्मा कथक विधा में अपने 15 घंटो के अनवरत विश्वकीर्तिमान के साथ अपनी एवं देश की प्रतिष्ठा एवं गौरव का कारण बनीं । पंडित अनुपम राय की वरिष्ठ शिष्या होने के साथ विदुषी रुचि शर्मा संगीत नाटक अकादमी द्वारा भी पुरस्कृत हैं। 25 कलाकारों से सजी इस संध्या में ‘डमरू हर कर बाजे’ एवं विशुद्ध शास्त्रीय थाट जैसी प्रचलित रचनाओं के अतिरिक्त साम गान विधा में निरूपित शिवपंचाक्षरी एवं महाकाल स्तुति ‘जय महाकाल जय जय जय जय’. रचनायें प्रस्तुत की गयी और दर्शकों को भक्ति एवम् संगीत का अनुपम सौंदर्य देखने मिली ।
समारोह में अतिथियों एवम दर्शकों का आभार मंदिर समिति की जनसंपर्क अधिकारी श्रीमति गौरी जोशी ने माना । समारोह का संचालन श्री दिनेश दिग्गज ने किया ।

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