उज्जैन तृतीयदीक्षान्त समारोह 25 मार्च 2022 शुक्रवार महषिरपाणिनि संस्कृति एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जयिनी मध्यप्रदेश यह जानकारी प्रेस क्लब तरणताल पर कुलपति प्रो विजय कुमार सी जी ने मिडिया को दी

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संस्कृत भाषा एवं प्राचीन ज्ञान-विज्ञान परम्परा के संरक्षण अभिवर्धन एवं उन्मुखीकरण के लिए मध्यप्रदेश शासन के संकल्प से महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 क्रमांक 15 सन् 2008 द्वारा मध्यप्रदेश की प्राचीन पौराणिक नगरी उज्जैन में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। अपने स्थापना वर्ष से वर्तमान सत्र तक इस विश्वविद्यालय को स्थापित हुए कुल 13 वर्ष की अवधि पूर्ण हो चुकी है। भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धान्तों में निहित ज्ञाननिष्ठ, समावेशी, उदात्त, सहिष्णु एवं सार्वभौमिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समर्पित यह विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है। उद्देश्य
• देवभाषा संस्कृत का प्रचार प्रसार एवं “संस्कृत सभी के लिए” इस ध्येय के साथ विविध पाठ्यक्रमों तथा कार्यक्रमों का आयोजन करना।
● शास्त्रीय मर्यादा की रक्षा करते हुए देव भाषा संस्कृत तथा उससे निष्पन्न अन्य भाषाओं एवं उनके साहित्य का संरक्षण, संवर्धन करना।
• वैदिक साहित्य और वेदांग तथा उन पर विकसित सम्पूर्ण आगमिक साहित्य, प्राचीन विज्ञान का
समुन्नयन एवं प्रचार प्रसार करना। • आयुर्वेद, ज्योतिर्विज्ञान, गणित, रसायनशास्त्र, धातुशास्त्र, ऋतुविज्ञान, विमानशास्त्र युद्धशास्त्र, अश्वशास्त्र, प्राचीन प्राणिशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र तथा पंच भूतात्मक पर्यावरण से सम्बन्धित विज्ञान, स्थापत्य, वास्तुशिल्प, इत्यादि वैश्विक ज्ञान एवं विधाओं को सामाजिक पटल पर अंकित करना।
• सम्बद्ध महाविद्यालयों के माध्यम से वैश्विक मानदण्ड अपनाते हुए अध्ययन, अध्यापन और शोध
सम्बन्धी सेवाएँ प्रदान करना। विश्वविद्यालय के संकाय एवं विभाग
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 क्र. 15 सन् 2008 की धारा 24 (तीन) एवं 33 (अ) के अन्तर्गतू विनिर्मित परिनियम क्र. 15 के अनुसार प्रस्तुत प्रतिवेदन के सन्दर्भ में आलोच्य वर्ष में निम्नलिखित संकायों का गठन किया गया है तथा उनके अन्तर्गत संचालित अघोनिर्दिष्ट विभागों में शिक्षण/अध्यापन कार्य जारी रहा है। वेद वेदाङ्ग एवं साहित्य संकाय के अन्तर्गत वेद एवं व्याकरण विभाग, संस्कृत साहित्य एवं दर्शन विभाग, ज्योतिष एवं ज्योतिर्विज्ञान विभाग, दर्शन संकाय के अन्तर्गत न्याय दर्शन विभाग, कला संकाय के अन्तर्गत विशिष्ट संस्कृत विभाग, प्राचीन विज्ञान संकाय के अन्तर्गत योग विभाग, शिक्षा संकाय के अन्तर्गत शिक्षाशास्त्र विभाग तथा संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण तथा ज्ञान विज्ञान संवर्धन केन्द्र में विविध पाठ्यक्रम वर्तमान में संचालित किए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय अध्यापन विभागों में संचालित पाठ्यक्रम
उपर्युक्त विभागों में स्नातक स्तर पर शास्त्री (शुक्लयजुर्वेद/नव्यव्याकरण/साहित्य/ फलित ज्योतिष/ सिद्धान्त ज्योतिष/न्यायदर्शन बी.ए. संस्कृत, बी.ए. ऑनर्स/ बी.ए.बी.एड. एकीकृत तथा स्नातकोत्तर स्तर पर आचार्य (शुक्लयजुर्वेद /नव्यव्याकरण/ साहित्य/ फलित ज्योतिष / सिद्धान्त ज्योतिष / न्यायदर्शन/ अद्वैत वेदान्त) एम.ए. (योग, ज्योतिर्विज्ञान, संस्कृत, वास्तुशास्त्र) तथा पत्रोपाधि (डिप्लोमा) पाठ्यक्रम (संस्कृत सम्भाषण/वास्तु शास्त्र/प्रायोगिक ज्योतिष/पौरोहित्य/योग/वैदिक गणित/पर्यटक मार्गदर्शक) तथा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम की कक्षाएँ संचालित हो रही हैं। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह 25 मार्च 2022, शुक्रवार को प्रातः 11 बजे विक्रमकीर्ति मन्दिर देवास मार्ग उज्जैन के सभागार में आयोजित किया जाएगा। दीक्षान्त समारोह मध्यप्रदेश के राज्यपाल तथा विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति श्री मंगू भाई पटेल जी की उपस्थिति एवं अध्यक्षता में सम्पन्न होगा। समारोह में मुख्यातिथि माननीय उच्चशिक्षा मन्त्री मध्यप्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव तथा सारस्वत अतिथि के रूप में केन्द्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के माननीय कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी उपस्थित रहेंगे। विशिष्टातिथि के रूप में उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र के सांसद आदरणीय श्री अनिल फिरोज़िया एवं उज्जैन उत्तर के विधायक आदरणीय श्री पारसचन्द्र जैन उपस्थित रहेंगे। दीक्षान्त समारोह में कार्यपरिषद् के समस्त सदस्य, विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. विजयकुमार सी. जी. एवं कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी उपस्थित रहेंगे। विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश है। विश्वविद्यालय से 20 महाविद्यालय सम्बद्ध हैं। जिनमें 09 शासकीय एवं 11 अशासकीय महाविद्यालय सम्मिलित हैं। सत्र 2020-21 में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डिप्लोमा परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए कुल 1351 छात्र उपाधि हेतु पात्र हैं। प्रावीण्य में सूची में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक तथा विद्यावारिधि के 11 छात्रों को उपाधियाँ माननीय कुलाधिपति जी के करकमलों से प्रदान की जायेंगी।

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