उज्जैन महान सम्राट विक्रमादित्य की गाथा की वृहद् पैमाने पर महत्ता स्थापित करना है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव जी भारतीय झान परम्परा और नई शिक्षा नीति पर डाँकटर संतोष चोबे का व्याख्यान

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महान सम्राट विक्रमादित्य की गाथा की वृहद पैमाने पर महत्ता स्थापित करना है-उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव, भारतीय ज्ञान परम्परा और नई शिक्षा नीति पर डॉ.संतोष चौबे का व्याख्यान

उज्जैन 18 दिसम्बर। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने शनिवार 18 दिसम्बर को अपराह्न में विक्रम कीर्ति मन्दिर में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के तत्वावधान में विक्रमादित्य, उनके युग तथा भारत विद्या पर गंभीर शोध, फैलोशिप और अध्ययन के लिये समर्पित भारतीय ज्ञान परम्परा और नई शिक्षा नीति विषय पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महान सम्राट राजा विक्रमादित्य की गाथा को वृहद पैमाने पर उनकी महत्ता को स्थापित करना है। इस प्रकार के कार्यक्रम हर विश्वविद्यालयों में आयोजित किये जायेंगे। इन कार्यक्रमों में राज्य शासन का भरपूर सहयोग मिल रहा है। हमारी संस्कृति को बरकरार रखना है। उज्जयिनी प्राचीन महत्ता को स्थापित करने के लिये हर क्षेत्र में कार्य किये जा रहे हैं, चाहे उज्जैन में विकास का मामला हो या उद्योग या अन्य प्रदेशों से उज्जैन को जोड़ने के लिये सड़क, रेलमार्ग आदि पर कार्य हो रहे हैं। उज्जैन की पहचान को उच्च शिखर पर पहुंचाना है। प्रायवेट एवं शासकीय विश्वविद्यालय समन्वय के साथ काम कर शिक्षा को उच्च शिखर पर पहुंचाने का कार्य हम सब मिलकर करें।

महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के तत्वावधान में ख्यातनाम शिक्षाविद एवं रचनाकार डॉ.संतोष चौबे का भारतीय ज्ञान परम्परा एवं नई शिक्षा नीति पर व्याख्यान हुआ। उन्होंने उक्त विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला और भारतीय ज्ञान परम्परा और नई शिक्षा नीति पर विस्तार से जानकारी से अवगत कराया। कार्यक्रम में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्री श्रीराम तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां वाग्देवी एवं सम्राट विक्रमादित्य के चित्र पर माल्यार्पण कर चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। विक्रम विश्विविद्यालय के कुलपति डॉ.अखिलेश कुमार पाण्डेय एवं कुल सचिव डॉ.प्रशांत पौराणिक ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि कवि, कथाकार, उपन्यासकार डॉ.संतोष चौबे हिन्दी के उन विरल साहित्यकारों में हैं, जो साहित्य एवं विज्ञान में समान रूप से सक्रिय हैं। इनके अनेक कथा संग्रह कविता संकलन और उपन्यास प्रकाशित हैं। साथ ही ‘वनमाली समग्र’, ‘आख्यान का आन्तरिक संकट’, ‘उपन्यास की नई परम्परा’ एवं कहानी : स्वप्न और यथार्थ का सम्पादन भी किया है। डॉ.चौबे को विज्ञान लेखन के लिये भारत सरकार का मेघनाद साह पुरस्कार, राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार व मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी का डॉ.शंकरदयाल शर्मा पुरस्कार प्राप्त हुआ है। वर्तमान में वे डॉ.सीवी रमन विश्वविद्यालय तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के चांसलर हैं। कार्यक्रम में माटी कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष श्री अशोक प्रजापत, श्री राजेशसिंह कुशवाह, श्री जगदीश पांचाल, श्री संजय अग्रवाल, डॉ.रमणसिंह सोलंकी आदि उपस्थित थे।

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