उज्जैन कल 17 नवंबर को हरि से मिलगे हर रात्रि 11 बजे पहुंचेगी सवारी

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*17 नवंबर को मध्‍य रात्रि होगी हरि से हर की भेंट*

उज्जैन कल हरि से मिलेंगे हर  श्री महाकालेश्वर भगवान की हरिहर मिलन की सवारी 17 नवंबर बुधवार को रात्रि 11 बजे श्री महाकालेश्‍वर मंदिर से गोपाल मंदिर जायेगी।  जहॉ श्री महाकालेश्‍वर भगवान (हर) श्री द्वारकाधीश ( हरि) को उज्‍जैन की धर्मपरायण प्रजा के समक्ष सृष्टि का भार सौपेंगे। पौराणिक आख्‍यानों की मान्‍यतानुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्‍णु पाताल लोक राजा बली के यहॉ विश्राम करने जाते है इसलिए उस समय संपूर्ण सृष्टि की सत्‍ता का भार शिव के पास होता है।
वैकुण्‍ठ चतुर्दशी के दिन हर-हरि को उनकी सत्‍ता का भार वापस सौंपकर कैलाश पर्वत तपस्‍या हेतु लौट जाते है। इस धार्मिक परंपरा को हरिहर मिलन कहते है।
कार्तिक शुक्‍ल चतुर्दशी भगवान विष्‍णु तथा शिव जी के ऐक्‍य का प्रतीक है। जगत पालक विष्‍णु और कल्‍याणकारी शिव की भक्ति में भी यही संकेत है। इस दिन भगवान श्री विष्‍णु ने ‘मत्‍स्‍य रूप  में अवतार लिया था।
श्री महाकालेश्‍वर मंदिर के सभामंडप से श्री महाकालेश्‍वर भगवान की सवारी हरिहर मिलन हेतु रात्रि 11 बजे प्रस्‍थान करेगी। सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। जहॉ भगवान श्री महाकालेश्‍वर एवं श्री द्वारकाधीश का पूजन होगा। जहॉ भगवान श्री महाकाल का पूजन विष्‍णुप्रिया तुलसीदल से किया जावेगा वहीं भगवान श्री विष्‍णु को  शिवप्रिय बिल्‍वपत्र अर्पित किये जायेंगे। इस प्रकार दोनों की प्रिय वस्‍तुओं का एक दूसरे को भोग लगाया जावेगा। इस दुर्लभ दृश्‍य  को देखकर  अपना जीवन धन्‍य करने हेतु भक्‍त पूरे वर्ष उत्‍सुकता के साथ प्रतीक्षा करते है। यह अनूठी परंपरा वैष्‍णव एवं शैव मार्ग के समन्‍वय व परस्‍पर सौहार्द का प्रतीक है।

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