*श्री महाकालेश्वर भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर के स्वरूप में देगें प्रजा को दर्शन*
*कार्तिक माह की दूसरी सवारी कल सोमवार
उज्जैन 14 नवंबर 2021। विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणामुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में कार्तिक माह के दूसरे सोमवार 15 नवम्बर 2021 को बाबा श्री महाकालेश्वर भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर के स्वरूप में रजत की पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टंर श्री आशीष सिंह ने बताया कि, सवारी नगर भ्रमण पर निकलने के पूर्व भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री चन्द्रमौलीश्वर स्वरूप का मंदिर स्थित सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन किया जायेगा। उसके पश्चात भगवान पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिये नगर भ्रमण हेतु प्रस्थान करेंगे। मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी (गॉड ऑफ ऑनर) दिया जायेगा। उसके पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से होते हुए क्षिप्रा तट रामघाट पहुंचेगी।
रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा श्री महाकाल के अभिषेक-पूजन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने मॉ हरसिद्धी एवं बाबा श्री महाकाल की आरती के पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आवेगी।
मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि, भगवान श्री महाकालेश्वर उज्जैेन नगर के राजाधिराज है। 12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन नगरी का महत्व तिल भर ज्यादा हैं। उज्जैन को देवताओं की नगरी कहा जाता है यहां कई ऐसी धार्मिक परपराएं प्रचलित हैं जो अब शहर की संस्कृति से जुड़कर धार्मिक पर्वों का रूप ले चुकी है। यह परपराएं अब शहर की पहचान के रूप में स्थापित हो चुकी है। इनके बिना उज्जैन की संस्कृति की कल्पना करना संभव नहीं है।
इन परंपराओं में वर्ष भर में देवताओं की समय समय पर निकाली जाने वाली सवारियों की परम्परा भी एक है। श्रावण व भाद्रपद माह में निकाली जाने वाली भगवान महाकाल की सवारी इसका एक मुख्य उदाहरण है।
सवारी निकालने की शुरुआत सिंधिया शासन काल में बायजाबाई ने करीब 200 वर्ष पूर्व की थी। यह परंपरा अब भव्य रूप ले चुकी है। बाबा श्री महाकाल की प्रत्येक सवारी में लाखों दर्शनार्थी दर्शन लाभ ले रहे हैं।
जानकारों ने बताया किे, सवारी का स्वरूप प्रारंभ में इतना भव्य नहीं था, भगवान की सवारी गोपाल मंदिर तक आकर लौट जाती थी लेकिन धीरे-धीरे इसके स्वरूप में परिवर्तन होता गया और वर्तमान में अब भगवान महाकालेश्वर की सवारी निकाली जाने की परंपरा लोकोत्सव का रूप ले चुकी है।
श्रावण-भाद्रपद माह की भॉति कार्तिक माह में भी प्रत्येक सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाने की परंपरा है। इस परपरा की शुरुआत किसने की, इसकी कोई अधिकृत जानकारी नहीं है ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह में क्षिप्रा स्नान व पूजन का अधिक महत्व है। इसीलिए भगवान महाकालेश्वर भी माँ क्षिप्रा पूजन के लिए क्षिप्रा तट आते हैं।
मान्यता है कि आज भी उज्जैन शहर में भगवान शिव राजाधिराज महाकाल महाराज के रूप में साक्षात निवास करते हैं। उज्जैन की धरा पर भक्तों का जीवन सफल हो जाता है। सवारी के दौरान उज्जैन की प्रजा व भगवान के दर्शन हेतु आने वाले शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।