उज्जैन 28 जुलाई 2023 । श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, उज्जैन के आयोजन 18 वे अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव 2023 “शिव संभवम” के चतुर्थ शनिवार 29 जुलाई को नियोजित शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य की रसवर्षा से नटराज श्री महाकालेश्वर की आराधना के उपक्रम में सुधिजन, साधकजन सादर आमंत्रित हैं।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर श्री संदीप कुमार सोनी ने बताया कि, मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 18 वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्संव के चौथें शनिवार को सायं 07 बजे मंदिर के समीप स्थित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय सभागृह, जयसिंह पुरा उज्जैन में इंदौर की डॉ. शिल्पा मसूरकर के शास्त्रीय गायन, बैगलुरू की सुश्री दुर्गा शर्मा कृष्णन के वायलिन वादन की प्रस्तुति होगी। कार्यक्रम की संध्या का समापन उज्जैन की डॉ. खुशबु पांचाल के कथक नृत्य की प्रस्तुति से होगा।
कलाकारों का परिचय*
*डॉ. शिल्पा मसुरकर*
सांगीतिक पृष्ठभूमि के समृद्ध परिवार में जन्मी डॉ. शिल्पा मसुरकर की प्रारम्भिक संगीत शिक्षा ग्वालियर घराने के प्रसिद्ध गायक कलाकार और पिता श्री सुनील मसुरकर के सानिध्य में हुई। आप परिवार की चौथी पीढ़ी है, जो शास्त्रीय संगीत को आगे बढ़ा रही हैं। आपने संगीत में ही डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है आप आकाशवाणी की बी ग्रेड कलाकार है। ग्वालियर संगीत समारोह, शनैश्चर संगीत समारोह, इंदौर, श्रीकाकली संगीत समारो भोपाल, नाद-संवाद संगीत समारोह बड़ौदा, त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय उज्जैन, स्वर संस्कार नालियर, गुणरस पिया रायपुर एवं HCMAE, दुर्गा जसराज जी द्वारा संचालित कार्यक्रम “उत्साह’ में ऑनलाईन प्रस्तुति दे चुकी है
*श्रीमती दुर्गा शर्मा* ने वायलिन की प्रारंभिक शिक्षा अपनी मां विदुषी मधुरम कृष्णन से प्राप्त की। शिक्षा को जारी रखते हुए उन्होंने गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत पंडित शैलेंद्र जनार्दन से शिक्षा ग्रहण की। अपने ख्याल अंग में विविधता व गंभीरता लाने हेतु इनको सुप्रसिद्ध गायक श्री अनंत कृष्णन से भी शिक्षा प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। आपने अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रतिभागिता दी है। इन आयोजनों में संगीत नाटक अकादमी, तानसेन समारोह, स्पीक मेके द्वारा आयोजित हरियाणा स्वर्ण जयंती महोत्सव चक्रधर समारोह (छत्तीसगढ़), कुंभ मेला, कुमार गंधर्व फेस्टिवल इत्यादि शामिल है |
*डॉ. सुश्री ख़ुशबू पांचाल* बनारस एवं कुदऊसिंह घराने के शास्त्रीय कथक नृत्य की सुविख्यात नृत्यांगना है । महाविद्यालयीन शिक्षा के साथ ही शास्त्रीय नृत्य कथक में “शास्त्रीय कथक नृत्य में ठुमरी गायन की उपयोगिता-एक विश्लेषणात्मक अध्ययन” पर पीएडी की। साथ ही स्नातकोत्तर, नृत्यविशारद, संगीतविद एवं तबला प्रभाकर के साथ ही अकादमिक में बीसीए की शिक्षा प्राप्त की । आप दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार है। आपने कथक नृत्य की शिक्षा मृदंगाचार्य पंडित रामदास जी की सुपुत्री पंडिता डॉ.पूनम व्यास से प्राप्त की है | साथ ही पंडित राजेंद्र आर्य से भी आपने ताल की शिक्षा ग्रहण की है। डॉ.पाँचाल लगातार 28 वर्षों से कथक नृत्य साधना में रत हैं | आपने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुतियाँ दी है |
2023-07-28