20 अगस्त को माँस्किटो डे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ महावीर खंडेलवाल ने बताया

Listen to this article

*20 अगस्त को ‘मॉस्किटो डे’*

उज्जैन 18 अगस्त। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल ने बताया कि 20 अगस्त को ‘मॉस्किटो डे’ मनाया जायेगा। इसका उद्देश्य जनसमुदाय को मच्छर के उत्पत्ति स्थल, मच्छर के जीवन, मच्छर से होने वाली बीमारियों की जानकारी के साथ-साथ बीमारी से बचाव के उपाय से भी अवगत कराया जाना है। मलेरिया एवं अन्य मच्छर जन्य/वाहक जनित रोग नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि जन-समुदाय को जागरूक किया जाये। साथ ही उनकी सहभागिता सुनिश्चत कराकर मच्छर जन्य परिस्थितियों को समाप्त करने की व्यवस्था की जाये, जिससे वाहकजनित बीमारी से बचाव एवं नियंत्रण किया जा सके।
मलेरिया मादा एनाफिलीज नामक मादा मच्छर के काटने से फैलता है। अधिकांशतः मलेरिया के मच्छर रूके हुए पानी में पैदा होते हैं। यह मच्छर जब मलेरिया से पीड़ित किसी मरीज का खून चूसता है तो मलेरिया के कीटाणु मच्छर के पेट में चले जाते हैं और मच्छर जब स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो उसके शरीर में मलेरिया के कीटाणु छोड़ देता है। विभाग द्वारा बुखार सभी रोगीयों की जांच एवं उपचार निःशुल्क कराये जाने की व्यवस्था की गई है। उपस्वास्थ्य केन्द्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों तक रेपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट से मलेरिया जांच की जा रही है।
डेंगु एक संक्रमित मच्छर एडिस मादा के काटने से मनुष्य में फैलने वाला एक वायरल रोग है। बुखार के रूप में उत्पन्न होता है। डेंगु फैलाने वाला एडिस मच्छर साफ पानी में पैदा होता है और यह दिन के समय काटता है। यह रोग हो जाने पर तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, सर दर्द, उल्टी, जी मचलाना, शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल जाते हैं।
मलेरिया के लक्षण- सर्दी व कंपन के साथ बुखार तेज बुखार, उल्टियां और सिरदर्द। पसीना आकर बुखार उतरना बुखार उतरने के बाद थकावट व कमजोरी होना।
यदि बुखार हो तो क्या करें- बुखार आने पर तुरंत रक्त की जांच कराएं। मलेरिया की पृष्टि होने का पूरा उपचार लें। खाली पेट दवा कदापि न लें। मलेरिया हेतु खून की जांच व उपचार सुविधा समस्त शासकीय अस्पतालों पर निःषुल्क उपलब्ध है।
डेंगू मलेरिया फैलाने वाले मच्छर कहां पैदा होते हैं- छत पर रखी पानी की खुली टंकियां। टूटे बर्तन, मटके, कुल्हड, गमलों में एकत्र जल में। बेकार फेकें हुए टायरों में एकत्र जल में। बिना ढंके बतनों में एकत्र जल में। कूलर में एकत्र जल में। किचन गार्डन में रूका हुआ पानी। गमले, फूलदान, सजावट के लिए बने फव्वारे में एकत्र जल में।
क्या कंरेः- सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। घर के आस-पास के गढ्डों को भर दें। पानी से भरा रहने वाले स्थानों पर टीमोफॉस, मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन ऑयल डालें। घर एवं आर-पास अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें। सप्ताह में एक बार अपने टीन, डिब्बा, बाल्टी इत्यादि का पानी खाली कर दें। दोबारा उपयोग होने पर उन्हें अच्छी तरह सुखाये। सप्ताह में एक बार अपने कूलर्स का पानी खाली कर दें, फिर सुखाकर ही उनका उपयोग करें। पानी के बर्तन आदि को ढक्कर रखें। हैण्डपंप के पास पानी एकत्र न होने दें।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे