*भगवान गणेश और मां दुर्गा की मूर्तियों का निर्माण पीओपी से नहीं किया जाये, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दिशा-निर्देश जारी*
उज्जैन 11 अगस्त। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा आगामी गणेश एवं दुर्गा उत्सव के दौरान स्थापित की जाने वाली मूर्तियों के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्री हेमन्त कुमार तिवारी ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय अधिकरण के निर्देश अनुसार प्लाटर ऑफ पेरिस (पीओपी) से निर्मित मूर्तियों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाया जा चुका है, जिससे प्राकृतिक जलस्त्रोतों की गुणवत्ता खराब न हो।
बोर्ड द्वारा निर्देश दिये गये हैं कि क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्र में आने वाले जिलों में गणेश एवं दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन प्राकृतिक जलस्त्रोतों में न हो। नगर पालिकाओं और नगर परिषदों को भी जिम्मेदारी दी गई है कि उनकी सीमाओं में पीओपी से निर्मित मूर्तियों का निर्माण व विक्रय प्रतिबंधात्मक रहेगा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भगवान गणेश और मां दुर्गा मूर्ति निर्माताओं से अपील की है कि वे मूर्तियों का निर्माण पीओपी के स्थान पर मिट्टी से करें। साथ ही मूर्ति निर्माण में कैमिकल रंग के स्थान पर प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
मूर्तियों को केवल प्राकृतिक, जैव निम्नीकरण योग्य, विषाक्तहीन, अकार्बनिक कच्चे माल जैसे पीओपी, प्लास्टिक, थर्माकोल से मुक्त पारम्परिक पवित्र मिट्टी और चिकनी मिट्टी से बनाया जाये। मूर्तियों को आभूषण बनाने के लिये केवल सूखे फूल, पुवाल इत्यादि और मूर्तियों के प्राकृतिक रेजीन को मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिये एक चमकदार सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मूर्तियों की सजावट और पंडालों की सजावट के लिये पुवाल का प्रयोग किया जाये, ताकि जलस्त्रोतों में जल प्रदूषण को रोका जा सके।
मूर्तियों को पेन्ट करने के लिये आइल पेन्टों का उपयोग सख्त रूप से वर्जित किया जाये। इसके स्थान पर पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाये। मूर्ति बनाने वाले शिल्पकारों या कारीगरों को नागरिक निकायों में पंजीकृत होना चाहिये। पंजीकरण शर्तों का उल्लंघन करने और उक्त दिशा-निर्देशों के अनुपालन में असफल होने पर मूर्ति निर्माता को कम से कम दो वर्ष के लिये प्रतिबंधित कर दिया जायेगा।