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अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन का उज्जैन में 14 एवं 15 जुन को मनोरमा परिसर आगरा रोड पर आयोजित कार्यक्रम का होने वाला राष्ट्रीय अधिवेशन को लेकर आयोजक ने प्रेस क्लब तरण ताल पर पत्रकारों जानकारी देते हुए बताया

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उज्जैन  13 जुन शुक्रवार तरणताल से अलख जगाने वाला रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया अन्तिम छोर के व्यक्ति तक उपभोक्ता आन्दोलन की अलख जगायेगें-श्री शुक्ल देश में एक शसक्त उपभोक्ता कानून लागू उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 व्यापार और उद्योग के शोषण से लोगों के प्रतिकारों और हितों की बजाया गया था। इसके अनु‌सार कोई भी व्यक्ति जो अपने प्रयोग हेतु वस्तुएँ या सेवा आरीदना है वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोगकर्ता भी उपभोक्ता है। इस अधिनियम के तहत उपभोक्ता शिकायतों के लिए जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद प्रतितोष एजेंसियों का गठन किया गया है जो उपभोक्ता आदलतों के लोकप्रिय है, इसमें वकील रखना जरूरी नहीं, उपभोक्ता स्वयं या संगठन के माध्यम से अपना पड़ा रख सकता है। उक्त तत्यि भास्तीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिशंकर शुक्ल ने प्रेषवार्ता को संबोधित करते हुए कहा। अस्किल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संमलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शुक्ल ने कहा कि कोई भी उपभोक्ता किसी व्यापारीसहित द्वारा अपनाये गए अवरोधक अनुचित व्यापारिक व्यवहारो तथा खरीदी गई किसी दोषपूर्ण वस्तु अथवा त्रुटिपूर्ण सेवाओं के फिडमा अदालतों में शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायत सामान्यतः उस तारीख से दो वर्ष के भीतर, दर्ज करानी होती है. जिगको कार्यवाही का कारण उत्पन्न हुआ। देश की कुल आबादी का 70 प्रतिशत संख्या किसानों की है. जो खाद्य पेय पदार्थों, कपडे, बरमती टेलीफोन, विद्युत सामग्री जैसी दैनिक उपयोग की सामग्री तथा बीज, स्वाद्य, कीटनाशक दवायें, कृषि औजार, पौध रक्षक बीज आदि बो पैमाने पर कय करता है। वहीं स्वास्थ्य सेवाओं में ठगी का शिकार कृषक ही होता है। इस प्रकार कृषकों द्वारा खरीदी व उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुएं व सेवाओं की लंबी लिस्ट है। देश की अर्थ व्यवस्था का आधार भी कृषि को माना जाता है. परन्तु दबंग्य है जागरूकता की कमी, अशिक्षा की वजह से देश की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा साधक स्वयं सबसे बड्डा पीडित है। अपनी व्यतानिक सुरक्षा एवं सुहढता के अधिकारों के प्रति उनके पास जागरूकता की कमी है।
श्री शुक्त ने बताया कि संगठन का 25 वा राष्ट्रीय अधिवेशन महाकात की अगरी उज्जैनम.प्र.) में 14 एवं 154 2025 दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें खाद्य अधमिश्रण, भारतीय भाजक ब्यूरो, पाए बैन कार्यशालाएं एवं ट्रेनिम प्रोग्राम आयोजित किया है, जिसमें संगठन के वरिष्ट पदाधिकारी सहित जनप्रतिनिधि तथा विषय विशेषज्ञ श्री म ले रहे है जो उपभेक्ताओ को उनके अधिकारो को संरक्षित करने के उपायो पर विचार रखेगे। समतन के सम्पूर्ण देश से पदाधिकारी कार्यक्रम में सम्मिलित हो रहे है। अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्षा श्री शुक्ल ने बताया कि हर उपभोक्ता को आज सुरक्षा कर चयन करने का. सुने जाने का, सूचना प्राप्त करने का क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का और उपभोक्ता शिक्षा का अविकार प्राप्त है। फिर श्री उपभोक्ता का ठमा जाना एवं सुनना बड़ा दुःखदायी शब्द है। हर व्यक्ति उपभोक्ता है और अपने संरक्षित हक प्राप्त करना उसका संक अधिकार है. जो उसे हर हाल में लेना चाहिए। बडे-बडे आयोजन, भीमकाय भाषण और अलगिनत उदाहरण हमारे कष्टही नहीं हो सकते अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन का ध्येय, नीति सिद्धांत और देश में आर्थिक परिवर्तन का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु लोगों को एकभकर राष्टोत्थान की भावना से उन्हें प्रेरित कर लोक संग्रह करना है। इस प्रकार का लोक संग्रह करने वाले कार्यकर्ताओं का चराल जारी है।
श्री शुक्ल ने कहा कि भारतीय उपभोक्ता सदियों से व्यापारियों के शोषण का शिकार रहा है। अंग्रेजों के जमाने में नमक का टैक्स वर्तमान में आयोडाइज्ड नमक की बिकी जिसमें नमक की वास्तविक कीमत से दस गुना अधिक मूल्य देकर खरीदने को मनहर उपभोक्ता। इसी कड़ी में दवे पांव प्रवेश करती आनुवांशिक रूप से परिवर्तित फसलें जो थाली में जहर का काम करती है ि दुष्परिणामों को विगत चार दशकों से देख जा रहा है। रही-सही वस्तुओं एवं सामजिलों में मिलावट का सीमा जहर भर तरफ जहाँ ढाबों एवं होटल में खाने का कल्चर बढ़ा है, वहीं यह सच्चाई भी सामने आई है कि खाने पीने की तीनों में गुणवत्ता की कमी के चलते लोगों की जिस्मों में धीमा जहर भरा जा रहा है। जब समय आ गया है कि हम समलित होकर गुण सही दर पर निश्चित समय में निर्धारित कजन की प्राप्त करें।
अश्विल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शुक्ल ने कहा कि मिलावट, अलत तौल या माप और ऐसी ही कितनी अनियमिततायें हमारे समाज और व्यापारिक जीवन में घर कर चुकी है। यदि हम कारणों पर जाये तो औतोमिक कति और द्वितीय विश्वयुद्ध की समयावधि का एक दृश्य दिश्वई देता है। क्योंकि वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धिः रोजगार समस्या और व्यक्ति की भौतिकवादी और स्वंय सीमित मानसिकता ने उसे उन कुप्रभावो के प्रति सक्रिय रहने की प्रवृति से ऊपर उता दिया जिसके अन्तर्गत व दूसरों का हित सोचकर ही गलत कार्य करता है।
श्री शुक्ल ने कहा कि स्वाद्य एवं पेय पदार्थों में हो रहे मिलावट की रोकथाम हेतु संगठन द्वारा शुद्ध के लिए युद्ध अभियान कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है. जिसमें संगठन के पदाधिकारीयो को सेम्पल लेने पंचलागा बनाने का प्रशिक्षण कराया जा रहा है जिससे मैदानी होत्रो में मिलावट रोकने में सहायक शिद्ध होगे। स्यूप्लो एवं कॉलेजों में नक्षत्र उपभोक्ता क्लब अलित उपभोक्ता संरक्षण की जानकारी दी जा रही है।

अश्किल भारतीय उपभोक्ता उत्थान समठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुक्ल ने कल

अनेको कानूनों की व्यवस्था है किन्तु इनमें से किसी को भी उपभोक्तापरक नहीं कब जा सकता। ये क ही राहत प्रदान करने के लिये स्टो गये है। इनमें से कोई भी उपभोवता अतिकारों की रक्षा के लिये नहीं चला और ज ही इनमें उपभोवता की शिकायतों के न्यायिका निवारण की व्यवस्था है। इनका मूल तन्त्र “उपभोक्ता सावधान रहे” था। निसहाय एवं प्रताडित उपभोक्ता को कोई चारा नहीं था। केवल अर्थशास्त्र की पुस्तकों में ही “उपभोक्ता” शासक बजा रहा। वस्तुतः उत्पादक, वितरण एवं व्यापारी काही बोलबाला था।

परन्तु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के पारित होने के उपरान्त ही यह समस्त परिपेक्ष्य बदलता नजर आ रहा है। उपभोक्ता के अधिकारों को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई है तथा राष्ट्रीय, प्रान्तीय एवं जिला तीनों स्तरों पर शिकायत निवारण ०५ स्थापित किये गये है। उपभोक्ता को एक बार फिर “राजा” बनाने की तैयारी है। भारतीय संसद ने दिस्म्बर 1986 में इसको पारित किया. अप्रैल 1987 से ये लागू हुआ तथा इस अधिनियम की सभी व्यवस्थाएँ जुलाई 1987 से आसन्न कर दी गई।

अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शुक्ल ने कहा कि देश में बढ़ रही ऑनलाइन तभी, ग्रामक विज्ञापन, संगतित हेरा फेरी को दृष्टिगत रखते हुए लबे समय से चल रही मांग की पूर्ति कर भारत सरकार ने 20 जुलाई 2020 को क सशक्त उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 पारित का जन मानस को समर्पित किया जिसमें एक वृहद व्यवस्था की गई है.क 8 अध्याय तथा 107 धाराएँ है, जो उपभोवता को शक्तिशाली बनाता है जये कानून में पांच हाकीالحناء قطر

1. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षक्षण (Central Consumer Protection Authority) কা

2. मेडिएशन सेल (मध्यस्थता) का गठन

3. भ्रामक विज्ञापन पर कानून में कठोर/ सशक्त प्रावधान

4. उपभोक्ता अपनी सुविधानुसार कही पर भी केश पंजीबद्ध कर सकता है।

5. उपभोक्ता न्यायालय के निर्णय का पालन करने हेतु सिविल कोर्ट की शक्तियों का प्रावधान किया गया है।
इस प्रकार एक शसक्त तथा शक्तिशाली उपभोक्ता कानून हमारे देश में लामु है जिसमें त्रुटि विक्री या शेवाओं में क्षतिपूर्ति सहित मानसिक हर्जाने का प्रावधान है। अब हमारी आपकी जिम्मेवारी है, कि इस देश के कोने-कोने तक जागरूकता के माध्यम से लोगों को सवेत करें।
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शुक्ल ने कहा कि भ्रामक और घोश्वापूर्ण मृत्य निर्धारण चूंकि ग्रामीण उपभोक्ताओं को उत्पाद और कीमत सम्बन्धी सूचना नहीं होती और उनमें मोल तोल करने की शक्ति और खरीददारी से सम्बन्धित अन्तर्दृष्टि कम होती है, इसलिए उन्हे व्यापारियों द्वारा घोख्खा दिया जा रहा है। उत्पाद के पैक पर “एम आर पी अधिकतम खुदरा मूल्य छपा होता है, परन्तु अनेक ग्रामीण उपभोक्ता इसकी जाँच नहीं करते। जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में व्यवस्था दी गई है. कोई भी डीलर किसी मद के एम आर पी से अधिक तसूल नहीं कर सकता, वे किसी भी सीमा तक मनको कर सकते हैं। उपभोक्ता अब धन के बदले मूल्य चाहते हैं. ते ऐसा उत्पाथ वाहने है जो अंनन अपेक्षाओं को पूरा माजी सुरक्षित होना चाहिए और जिसमें उत्पाद के विनिर्देशको का पूरा प्रकटीकरण होना चाहिए। एक तरफ तो उपमेवताओं वृद्धि हो रही है, परन्तु एक सबसे बडी अपेक्षिता यह है कि उपभोक्ता को केवल मानवता के लिए ही नहीं बल्कि जिस धरती पर वे रहते है, उसकी सलामती के लिए भी जिम्मेदाराना तरीके से काम करना चाहिए।

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