मेला अधिकारी श्री आशीष सिंह ने कलेक्टर कार्यालय मे मिडिया को जानकारी देते हुए बतायाकुछ लोग अफवाह और भ्रम फैला रहे हैं, जबकि लैंड पुलिंग से किसानों को फायदा- आशीष सिंह

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इंटीरियर के किसान भी 18 मीटर चौड़ी रोड पर आ जाएंगे, बीघा से बिकने वाली जमीन स्क्वायर फीट के भाव से बिकेगी,, 50% जमीन पर किसान निर्माण भी कर सकेगा, किसानों को मुआवजा भी मिलेगा – सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह
उज्जैन। 2300 हेक्टर जमीन पर इस बार सिंहस्थ मेला लगेगा, कुछ लोग लैंड पूलिंग को लेकर अफवाह फैला रहे हैं और भ्रम की स्थिति बना रहे हैं जबकि इससे किसानों को और उज्जैन शहर को अनेक फायदे होंगे, 5- 7 हजार करोड रुपए खर्च बनाई जाने वाली स्पिरिचुअल सिटी बेहद भव्य होगी उक्त जानकारी सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष और उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह ने संयुक्त प्रेस वार्ता लेकर देते हुए बताया कि इस बार सिंहस्त में 30 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आने पर उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करवाना सरकार की प्राथमिकता है, इसके लिए जरूरी है की क्षेत्र में स्थाई निर्माण किए जाएं जिससे सुविधाओं में विस्तार हो पिछले सिंहस्थ में जो असुविधा हुई थी वह अब ना हो इस हेतु किसानों की जो जमीन लैंड पूलिंग मेंआ रही है प्रदेश सरकार ने उन्हें अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्णय लिया है। जो किसान इस योजना से सहमत ना हो वह भू अर्जन अधिनियम 2013 के तहत गाइड लाइन से दुगनी कीमत लेकर भी पूरी जमीन सरकार को दे सकते हैं। प्रेस वार्ता में बताया कि निर्णय लिया गया कि लैंड पुलिंग से जमीन लेने और 50 प्रतिशत वापस करने के अलावा किसानों को अतिरिक्त मुआवजा भी दिया जाएगा।
इन योजना में अधिकांश हिस्सा कृषि भूमि का है। सरकार ने इन जमीनों पर कृषि उपयोग के अलावा स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, धर्मशाला, आश्रम, अखाड़े बनाने की विशेष छूट की योजना बनाई है।
*_*_किसानों को फायदा_*_*
सिंहस्थ मेला अधिकारी ने पत्रकारों को बताया कि लैंड पूलिंग योजना से किसानों को ही फायदा होगा, इस योजना में पचास प्रतिशत जमीन किसानों को वापस कर दी जाएगी
सिंहस्थ की योजना में लैंड पुलिंग से जो जमीन सरकार को मिलेगी उसमें 50 प्रतिशत किसानों को वापस कर दी जाएगी। 20 से 25 प्रतिशत जमीन का उपयोग सड़क, बिजली, पानी, सीवर और बिजली की अंडर ग्राउंड लाइन के निर्माण में होगा। इसके अलावा 15 प्रतिशत भूमि सिंहस्थ उपयोग के लिए आरक्षित रहेगी। 5 प्रतिशत भूमि हरियाली, बगीचों व अन्य मनोरंजन गतिविधियों के लिए तथा 5 प्रतिशत पार्किंग, जनसुविधा केंद्र के लिए आरक्षित होगी। इसके अतिरिक्त सभी किसानों को बची हुई 50% जमीन पर निर्माण की अनुमति होगी साथ ही जो किसान मेन रोड पर नहीं है ,वह भी 18 मीटर चौड़े रोड पर आ जाएंगे जिसकी वजह से जमीनों की कीमतों में वृद्धि होगी और किसानों को भविष्य में अपनी जमीन की ज्यादा कीमत मिल सकेगी, इसके अलावा किसान अभी 2 वर्ष तक अपनी जमीन पर खेती भी कर सकेगा। आशीष सिंह ने बताया कि गंदा पानी शिप्रा में नहीं मिलेगा,अब तक जो सिंहस्थ हुए हैं उसमें मिट्टी की सड़क होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। जलजमाव, कीचड़ से लोगों और साधु-संतों को परेशानी हुई थी। अब कांक्रीट सड़क बनाई जा रही है। इससे यातायात एवं भीड़ प्रबंधन आसान होगा। अस्थाई पंडालों एवं शौचालयों की जगह अंडर ग्राउंड स्थाई सीवर लाइन व ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। इसका लाभ यह होगा कि गंदा पानी शिप्रा में नहीं मिलेगा। पीने के पानी की सबसे ज्यादा परेशानी अब पानी की स्थाई लाइन, ओवर हेड टैंक का निर्माण किया जाएगा। सिंहस्थ में अब तक अस्थाई बिजली व्यवस्था होती थी। इससे हादसों का डर रहता था। पिछले सिहस्त में एक आश्रम में आग ने तांडव मचाया था। अब लाइन अंडरग्राउंड होगी। सिंहस्थ के समय मेला क्षेत्र की निजी जमीनों का अधिग्रहण एक साल के लिए किया जाता रहा है। मेले के बाद अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने की अधिकृत व्यवस्था नहीं थी। अब अतिक्रमण भी रुकेंगे। आशीष सिंह यह भी कहा कि इस योजना से उज्जैन के विकास को पंख लगेंगे टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा नई स्पिरिचुअल सिटी भव्य होगी।

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