*उज्जैन, 28 मार्च 2025।* विक्रमोत्सव 2025 के अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलन एवं विज्ञान उत्सव के दूसरे दिन देशभर से आये विशेषज्ञों ने भारत की प्राचीन वैज्ञानिक उपलब्धियों और आधुनिक विज्ञान में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। वैदिक काल से लेकर आधुनिक युग तक भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान और खोजों का विशेष उल्लेख किया गया। दूसरे सत्र में “नवीन रक्षा अनुसंधान एवं विकास” विषय पर चर्चा करते हुए वैज्ञानिकों ने रक्षा क्षेत्र में भारत की प्रगति, स्वदेशी तकनीक के विकास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा अनुसंधान में हो रही प्रगति पर अपने विचार व्यक्त किए। विभिन्न रक्षा उपकरणों, आधुनिक हथियार प्रणालियों और साइबर सुरक्षा में हो रहे नवाचारों पर भी चर्चा हुई।*भारतीय कालगणना पर विशेष सत्र*
“भारतीय कालगणना” विषय पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें विशेषज्ञों ने भारतीय पंचांग, ग्रह-नक्षत्रों की गणना, समय-निर्धारण की पारंपरिक विधियों और उनकी वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला। इस दौरान भारत की प्राचीन कालगणना प्रणाली और उसकी वैज्ञानिक प्रासंगिकता पर भी विचार-विमर्श हुआ। दो दिवसीय यह सम्मेलन विज्ञान और अनुसंधान को नई दिशा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है, जिससे देश में वैज्ञानिक सोच और नवाचार को बढ़ावा मिल सके।
2025-03-28