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विक्रमोत्सव कालिदास अकादमी परिसर में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय इतिहास समागम में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा देशवासी मंदिर-मस्जिद के विवादों से बचें, नहीं तो यहां सीरिया, अफगानिस्तान बन जाएगा- के के मोहम्मद

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उज्जैन 10 मार्च सोमवार विक्रम उत्सव कार्यक्रम में कही देशशवासियों को मंदिर-मस्जिद जैसे विवादों में कतई नहीं पड़ना चाहिए, वरना देश सीरिया या अफगानिस्तान बन जाएगा, इसका आशय यह है कि धार्मिक विवादों को समाप्त कर देश में शांति, सौहार्द्र और विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। धार्मिक संघषों से देश को नुकसान होता है, जैसे कि सीरिया और अफगानिस्तान में हुआ, जहां धार्मिक और सांप्रदायिक हिंसा ने सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर दिया। प्रसिद्ध पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने विक्रमोत्सव 2025 अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय इतिहास समागम के उ‌द्घाटन अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे जो पिलर थे, उनमें कलश रूपी आकृतियां बनी हुई थीं। यही एक प्रमाण हमें हिंदू मंदिर होने के लिए संकेत कर रहा था। 1976-77 में प्रो. बीबी लाल, जो पद्मश्री, पद्मभूषण हैं, के अंडर में हमारी टीम ने राम मंदिर प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। उस समय मस्जिद के ऊपरी और भीतरी तह तक का परीक्षण किया। हमने देखा कि मस्जिद के जितने पिलर यानी बैस अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम
थे, उनकी बनावट देखकर ही समझ में आ गया कि यह मंदिर के हैं, मस्जिद के नहीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी स्वागत किया और दूसरे पक्ष को दी गई जमीन का उल्लेख किया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ अध्यक्षता इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. बालमुकुंद पांडे ने की। उन्होंने कहा कि भारत की परंपराएं ही इतिहास की प्रमुख जड़ है जिसमें मौखिक वाचक परंपराओं में इतिहास को जीवित रखा है। सारस्वत अतिथियों में भारतीय संस्कृति के बल्गा पुरुष विक्रमादित्य शोधपीठ के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अर्पण भारद्वाज, विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद के वरिष्ठ सदस्य राजेशसिंह कुशवाह, इतिहास संकलन समिति मालवा प्रांत के अध्यक्ष डॉ. तेजसिंह सेंधव, अधीक्षण अधिकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जबलपुर सर्कल के डॉ. शिवाकांत वाजपेयी एवं हैदराबाद की डॉ. स्मिथा एस कुमार थे। स्वागत वरिष्ठ पुराविद् डॉ. रमण सोलंकी ने किया। संचालन दिनेश दिग्गज ने किया। आभ्कार डॉ. प्रशांत पुराणिक ने ज्ञापित किया।

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