उज्जैन रजत पालकी में विराजमान होकर महाकाल के कोतवाल कालभैरव ने नगर भ्रमण किया। अगहन कृष्ण अष्टमी पर रविवार को कालभैरव मंदिर से ठाठ-बाट से सवारी निकाली गई। दोपहर में कलेक्टर, एसपी ने मंदिर पहुंचकर कालभैरव का पूजन किया। उन्हें सिंधिया राजघराने से भेजी गई शाही पगड़ी धारण करवाई गई। कालभैरव मंदिर प्रशासक संध्या मार्कंडेय ने बताया कि कालभैरव मंदिर में शाम 4 बजे कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा ने भगवान कालभैरव का पूजन किया। इसके बाद सभामंडप में पालकी में विराजित भगवान कालभैरव के रजत मुखारविंद का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। मंदिर के मुख्य द्वार पर पुलिस की सशस्त्र बल को टुकड़ों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। सवारी शिप्रा तट स्थित सिद्धवट के लिए रवाना की गई। बैंड, बाजे, ढोल और बड़ी संख्या में भक्तों ने भगवान की अगवानी की। मार्ग के दोनों ओर भक्तों ने पुष्प वर्षा कर सवारी की अगवानी की।सवारी का स्वागत : श्री महाकाल के सेनापति बाबा काल भैरव की सवारी निकली। अरूण सक्सेना ने बताया इसका भैरवगढ़ क्षेत्र में मां नवदुर्गा भक्त मंडल ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। कालभैरव अष्टमी पर भगवान कालभैरव को भक्तों ने सवारी में विराजित कर नगर भ्रमण कराया गया। इन मार्गों से निकाली सवारी कालभैरव मंदिर से सवारी जेल तिराहा, भैरवगढ़ नाका, महेंद्र मार्ग, माणक चौक होते हुए शिप्रा तट स्थित सिद्धवट घाट पहुंची। यहां पुजारियों ने भगवान कालभैरव, सिद्धवट और शिप्राजी की आरती की। घाट पर पूजन के बाद सवारी पुनः कालभैरव मंदिर पहुंची। जहां आरती की गई।जेल गेट पर पालकी पूजन परंपरा अनुसार भ्रमण के दौरान कालभैरव की सवारी केंद्रीय जेल भैरवगढ़ के सामने से निकाली जाती है। सवारी निकालने के दौरान जेल प्रशासन के अधीक्षक मनोज साहू ने जेल गेट के सामने पालकी का पूजन किया। जेल के बंदियों ने भी
2024-11-25