भैरव अष्टमी पर कालभैरव 20 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे। इसकी शुरुआत 23 नवंबर की सुबह 6 बजे मंदिर के पट खोलने से हो जाएंगे। इसके बाद पूजन, आरती का क्रम शुरू होगा। मध्य रात्रि को मंदिर में महाआरती की जाएगी। रात 2 बजे मंदिर के पट बंद करने तक दर्शन लाभ लिए जा सकेंगे। अष्टमी के लिए तैयारियां अंतिम दौर में पहुंच गई है। कालभैरव मंदिर प्रशासक संध्या मार्कंडेय के अनुसार अष्टमी के अवसर पर दो दिन उत्सव मनाया जाएगा। 23 नवंबर को इसकी शुरुआत होगी। इसके लिए मंदिर परिसर को फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाएगा। 24 नवंबर की सुबह 6 बजे से मंदिर के पट खोले जाएंगे। उसके बाद बाबा का पूजन, अर्चन कर 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। दोपहर 3.30 बजे कलेक्टर नीरजकुमार सिंह मंदिर पहुंचकर कालभैरव का पूजन करेंगे। शाम 4 बजे रजत पालकी में विराजमान होकर कालभैरव नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सवारी मंदिर से भैरव, सिद्धनाथ होकर पुनः मंदिर पहुंचेगी। मंदिर पहुंचने पर बाबा की महाआरती की जाएगी।
विक्रांत भैरव मंदिर पर दो दिनी आयोजन 23 की सुबह 9 बजे से, रात 11 बजे हवन श्री विक्रांत भैरव जन्मोत्सव 23 नवंबर को मनाया जाएगा। चंद्रमोहन डबराल के अनुसार श्री विक्रांत भैरव भक्त मंडली की अगुवाई में 23 नवंबर की सुबह 9 बजे से 24 नवंबर की सुबह तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होंगे। पहले दिन सुबह 9 बजे प्रातःकालीन आरती, 10 बजे रुद्राभिषेक और सुंदरकांड करेंगे। दोपहर 12 बजे चोला चढ़ाएंगे। दोपहर 2 बजे हवन होगा। दोपहर 3 बजे आरती और 56 भोग लगाएंगे। शाम 4 बजे भोजन प्रसाद वितरण होगा। शाम 6 बजे भजन, शाम 7 बजे रामायण पाठ, रात 11 बजे हवन करेंगे। रात 12 बजे आरती और रात्रि जागरण होगा। 24 नवंबर की सुबह 8 बजे सुप्रभात आरती के साथ भैरव जयंती कार्यक्रम का समापन होगा।
चार झांकियां भी निकालेंगे भैरव अष्टमी पर कालभैरव मंदिर से चार झांकियां भी निकाली जाएंगी। इनकी तैयारियां अंतिम दौर में चल रही है। उन्हें 23 नवंबर को दोपहर में मंदिर परिसर लाया जाएगा।
2024-11-22