*सनातन धर्म की रक्षा और सनातन शत्रुओ के विनाश हेतु पांच दिवसीय माँ बगलामुखी महायज्ञ व धर्म संवाद शंकराचार्य मठ में आरम्भ*यज्ञ,दान और तप सनातन संस्कृति के मूलआधार भूत नियम-महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी*

Listen to this article

उज्जैन आज शनिवार 9 दिसंबर को श्री शंकराचार्य मठ में सनातन धर्म की रक्षा व सनातन धर्म शत्रुओ के विनाश हेतु पांच दिवसीय माँ बगलामुखी महायज्ञ वश्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर धर्म संवाद का शुभारंभ हुआ। धर्म महोत्सव महादेव के रुद्धा विषेक के साथ आरम्भ हुआ।
धर्म संवाद में सनातन संस्कृति के
आधार भूत नियमो पर चर्चा करते हुए शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने बताया कि श्रीमद्भावद्गीता के अठाहरवें अध्याय के पांचवें श्लोक में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने निर्णायक रूप से बताया कि किसी को भी किसी भी परिस्थिति में यज्ञ,दान और तप इन तीन कर्मो का परित्याग नहीं करना चाहिए क्योंकि यज्ञ,दान और तप तो ऋषि मुनियों और विद्वतजनों की भी पवित्र करते हैं।इन तीन कर्मो का परित्याग करने से प्रकृति और समाज मे संतुलन समाप्त हो जाता है और विषमता बढ़ जाती है।विषमताओं के बढ़ने से समाज अधोगति को प्राप्त होता है जो सम्पूर्ण समाज के लिये घातक होता है।उन्होंने बताया कि आज हिन्दू समाज के पतन का सबसे बड़ा कारण हम सबका यज्ञ,दान और तप से दूरी है।हम अपने धर्म के मूल नियमो को समझने और उनका पालन करने में असमर्थ रहे और आज उसी का परिणाम ये है कि एक समुदाय के रूप में हम सम्पूर्ण विश्व मे सबसे ज्यादा कमजोर और असुरक्षित है।आज स्थिति यह है कि हमारी धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने और उन पर आघात करने को भारतवर्ष में एक फैशन के रूप में देखा जाता है और ऐसा करने वाला आर्थिक,सामाजिक और राजनैतिक रूप से सुदृढ़ होता चला जाता है जबकि धर्म के लिये निस्वार्थ लड़ने वाले अकेले पड़ कर धीरे धीरे समाप्त हो जाते हैं।अगर सनातन धर्मियों का समाज इस पर उचित चिंतन नहीं करेगा तो परिणाम बहुत भयावह होंगे।इस भयावहता से बचने का एकमात्र उपाय श्रीमद्भावद्गीता को अपने जीवन मे धारण करना ही है।
इसमें यति संयासियों सहित श्री महन्त रामेश्वरानन्द ब्रह्चारीजी, ऋषि कमल दास, शैलेंद्र सिंह सोलंकी, ठाकुर सुनील सिंह, राजेंद्र सिंह मीणा सैंकड़ों भक्तों ने यज्ञ के साथ सतसंग प्रवचन ग्रहण किए।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे