भगवान का मजाक बनाना बंद करो, हम जब तक अपने भगवान को इज्जत नहीं देते, कोई और नहीं करेगाश्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन जया किशोरी जी ने सुनाई श्रीकृष्ण रूक्मणी विवाह की कथा

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उज्जैन। भगवान का मजाक बनाना बंद करो, हम जब तक अपने भगवान को इज्जत नहीं देते, कोई और नहीं करेगा। बदलाव लाने के लिए जरूरी नहीं हिंसा करनी पड़े, कई जगह हिस्सा बनना बंद कर दीजिए, ऐसे मजाको का हिस्सा बनना बंद कर दीजिए, बदलाव अपने आप आ जायेगा। मजाक कम पड़ गए जो हम भगवान को बीच में ले आए। मनुष्य इतना गिर गया हैं के जब तकलीफ आती है तो वो इसी भगवान को याद करता है, जब सबकुछ सही चल रहा होता है तो वो इसी भगवान का मजाक बनाते है। कम से कम भगवान को छोड़ दीजिए, जो आपके लिए सबकुछ कर रहा है, उसकी तो इज्जत कर लीजिए।
देवास रोड़ स्थित हामूखेड़ी में बिजासन माता मंदिर रोड़ पर आर के ड्रीम्स में श्रीमद् भागवत कथा के छटे दिन आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरीजी ने रासलीला प्रसंग सुनाते हुए यह बात कही। जया किशोरी जी ने कहा कि आज हम यहां से प्रण लेकर जाए, न हम भगवान का मजाक बनायेंगे, न किसी को बनाने देंगे। आयोजक राकेश अग्रवाल ने बताया कि कथा में जया किशोरीजी ने कंस वध, रासलीला, गोपी उध्दव संवाद की कथा सुनाई। श्रीकृष्ण रूक्मणी विवाह धूमधाम से हुआ।
जया किशोरी ने कहा कि भगवान की रासलीला भक्त और भगवान का मिलन आत्मा और परमात्मा का मिलन है। इस रासलीला को कामदेव असफल नही कर सका। जिस रासलीला को देखने भगवान शंकर गोपी बनकर के आए हो उस अध्यात्मिकी पराकाष्ठा वाली भगवान की रासलीला का इस भौतिक युग में मजाक उड़ाने वाले हमारी आस्था संस्कृति और देश का मजाक बना रहे है। रासलीला का अर्थ ना जानने वाले मूर्ख है। उसके अर्थ का अनर्थ करने वाले पापी है। परमपिता परमेश्वर ने हजारों सालों से तपस्या करने वाले बड़े-बड़े ऋषियों को वरदान दिया था इस अवतार में वे गोपी बनेगी ओर भगवान के साथ साथ भक्ति, नृत्य अर्थात रासलीला करेंगे। कथा प्रसंग में मथुरा से कृष्ण जी का आमंत्रण, कृष्ण का मथुरा जाना और कुब्जा का उद्धार करना तथा कंस वध करने का वर्णन किया। सांदीपनि आश्रम उज्जैन में शिक्षा अर्जन, वहीं सुदामा से मैत्री का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में दरिद्रता का कारण वही बनता है, किसी के हक को खाना। भगवान के प्रति भक्ति रखने वाले भी छोटे से अपराध का बड़ा दुख प्राप्त करते है तो हम मनुष्य किस गिनती में आते है हमें गोपी की तरह प्रेम, नंद बाबा की तरह दुलार और यशोदा की तरह वात्सल्य रखना होगा। भगवान को किसी भी रूप में मानो परंतु भगवान से प्रेम करो। उद्धव प्रसंग में श्रीकृष्ण ने उद्धव की ज्ञान भक्ति के अंहकार को दूर किया और भगवान कृष्ण के प्रति गोपियों की प्रेम को दिखाया। यही भक्ति अंत में रूक्मणि और श्रीकृष्ण की विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए आपने कहा कि पति तो पति ही होता है, वो पति परमेश्वर तभी बन सकता है जब परमेश्वर जैसा काम करे पत्नी संग सच्ची प्रेम करें। इस दौरान रुक्मणी विवाह की सुंदर सी झांकी प्रस्तुत की गई। जया किशोरी ने श्रीकृष्ण- रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच गीत अध्याय हैं। जिसे भागवत के पंच प्राण भी कहते हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भवपार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, ऊधो-गोपी संवाद, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। राकेश अग्रवाल ने बताया कि आरके ड्रीम्स में 7 दिनों तक चलने वाली श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति आज 25 नवंबर को होगी। आयोजक राकेश मनीषा अग्रवाल ने उज्जैन शहर की धर्मप्राण जनता से प्रतिदिन कथा का लाभ लेने का अनुरोध किया है।

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