स्ववित्त/जनभागीदारी अतिथि विद्वानों द्वार उच्च शिक्षा मंत्री माननीय मोहन यादव जी एवं उज्जैन आलोट सांसद माननीय अनिल फिरोजिया जी को अपनी मांगो के संदर्भ में ज्ञापन प्रेषित किया गया। स्ववितीय/जनभागीदारी अतिथि विद्वानों का मानना है, कि शासन के द्वारा वर्षों से उनके प्रति उपेक्षा का व्यवहार किया जा रहा है। हाल ही में जहां एक और माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा अतिथि विद्वानों की महापंचायत आमंत्रित कर शासकीय महाविद्यालयों में पद के विरुद्ध कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों एवं तकनीकी शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि विद्वानों तथा व्याख्याताओं के लिए विभिन्न सौगातें दी गई, परंतु स्ववित्तीय अतिथि विद्वानों को छोड़ दिया गया जबकि नियुक्ति, वरीयता निर्धारण आदि में सभी के लिए यूजीसी के नियम समान रूप से लागू किये जाते हैं।
उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा नवीन शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन देश में सर्वप्रथम किया गया है, जिसके सफल क्रियान्वयन में स्ववित्तीय/जनभागीदारी पाठ्यक्रमों का महत्वपूर्ण योगदान है, परंतु शासन द्वारा इन रोजगार मूलक विषयों को पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों की अनदेखी की जा रही है।
महाविद्यालय स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वान कल्याण संघ के बैनर तले अतिथि विद्वान 3000 से 4000 की संख्या में 22 सितंबर को नीलम पार्क भोपाल में एक दिवसीय शांति पूर्ण धरना प्रदर्शन भी कर चुके है, वहां पर भी शासन का कोई भी नुमाइंदा सुध लेने नहीं पहुंचा था।
ज्ञापन देने पहुंची महिला अतिथि विद्वानों ने माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध किया है कि हम स्ववित्तीय जनभागीदारी अतिथि विद्वानों भी आपकी बहने,एवं बेटियां है। मामा जी रिक्त पद के विरुद्ध अतिथि विद्वान महिलाओं के समान हमारी भी नीति निर्धारण करे, जिससे हमारा सम्मान भी बना रहे।
आज 100से 110 की संख्या में उज्जैन इकाई के अतिथि विद्वानों ने *एक राज्य एक नीति*, तथा *समान कार्य समान वेतनमान* की बात शांति पूर्वक तरीके से शासन के सम्मुख प्रस्तुत की और मांगों के पूर्ण होने तक आंदोलन की आगामी रणनीति पर चर्चा की।
2023-09-24