45 दिवसीय सुखमनी का पाठ : 22 वा दिन सुखमनी साहिब – एक जीवन मंत्र है –एस.एस-नारंग

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उज्जैन सिख समाज की महिलाओं द्वारा किए जा रहे 45
दिवसीय सुखमनी साहिब के पाठ के 20 वे दिन, गुरुद्वारा सुख सागर मैं सामूहिक पाठ किया गया l स्त्री सत्संग की अध्यक्षा कुलदीप कौर सलूजा ने बताया कि सुखमनी साहिब में गुरु जी ने फरमान किया है कि मनुष्य के दुख का एक प्रमुख कारण जन्म-मरण का बंधन है l 84 लाख योनियों में आवागमन का चक्र अत्यंत दुखदाई होता है पर जिस मनुष्य के हृदय में परमात्मा का वास हो जाता है और जो प्रेम पूर्वक उसका नाम सुनता है वह मनुष्य जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है परमात्मा स्वयं उसे अपने में समाहित कर उसका उद्धार करता है l
सिख समाज के संभागीय प्रवक्ता एस.एस.नारंग ने कहां की सुखमनी साहिब मैं श्री गुरु अर्जन देव जी साहिब ने फरमान किया है कि सुखमनी साहिब एक आध्यात्मिक यात्रा है जो परमात्मा के स्मरण से प्रारंभ होती है और परमात्मा द्वारा स्मरण पर समाप्त होती है यह संपूर्ण यात्रा मनुष्य से ब्रह्मज्ञानी अर्थात नर से नारायण बनने की दिव्य यात्रा है एक यात्रा जो वास्तव में परमात्मा की ,परमात्मा के लिए ,परमात्मा द्वारा की गई यात्रा है,यही जीवन है ,यही सुखमनी है, यही जीवन मंत्र है l
एस.एस.नारंग ने इससे आगे कहां सुखमनी साहिब में गुरुजी ने फरमान किया है कि आत्मा का सबसे बड़ा दुख परमात्मा से वियोग का दुख है l मनुष्य के जन्म से ही आत्मा, परमात्मा में विभक्त हो जाती है l जब आत्मा विभक्त से भक्त होती है उसका परमात्मा से सयोग होना प्रारंभ हो जाता है परमात्मा के स्मरण करने से बहुत सुखी हो जाता है पर उसे स्थाई सुख तब प्राप्त होता है जब आत्मा , आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाती है और सदा-सदा के लिए परमात्मा के पास अपने वास्तविक घर पहुंच जाती है l स्त्री सत्संग की महिलाओं ने सुखमनी साहिब का पाठ किया,कीर्तन किया एवं सरबत के भले के लिए अरदास की गई l

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