मां क्षिप्रा नदी में व्याप्त प्रदूषण के विषय को गंभीरता से लेते हुए क्षिप्रा नदी के उद्गम से संगम स्थल तक की अध्ययन यात्रा एवं NGT नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लगातार हो रही सुनवाई के निर्णय की जानकारी के लिए सचिन देव क्षिप्रा अध्ययन यात्रा संयोजक ने विक्रम विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस पर पत्रकार वार्ता में जानकारी दे हुए बताएंl

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क्षिप्रा प्रदूषण पर NGT ने एडीशनल चिफ सेक्रेटरी PCB चेयरमेन
एवं चार कलेक्टर को रिपोर्ट देने के निर्देश दिये सचिन दवेक्षिप्रा प्रदूषण पर याचिका पर लगातार हो रही सुनवाई में 20 अप्रेल को नोडल एजेन्सी बनाने के निर्देश NGT ने दिये एवं विगत 13 जुलाई पुनः सुनवाई करते हुए चारो जिले इंदौर, देवास, उज्जैन एवं रतलाम के कलेक्टर को प्रथक से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये एवं एडीशनल चिफ सेक्रेटरी PCB चेयरमेन को भी क्षिप्रा प्रदूषण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। NGT ने क्षिप्रा को गंगा की सहायक नदी माना
क्षिप्रा में व्याप्त प्रदूषण का अध्ययन करते हुए क्षिप्रा मे उदगम क्षिप्रा मंदिर इन्दौर से लेकर संगम क्षिप्रावड़ा (आलोट रतलाम) तक क्षिप्रा अध्ययन यात्रा करते हुय विक्रम विश्वविद्यालय कार्य परिषद सदस्य एवं क्षिप्रा अध्ययन यात्रा संयोजक सचिन दवे ने क्षिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने एवं सतत जल प्रभावमान रहे। इस उददेश्यसे अपनी रिपोर्ट के आधार पर NGT में लगाई याचिका जिसमें 28 पक्षकार बनाये गये 2022 विक्रम विश्वविद्यालय के रिसर्च छात्रों को साथ लेकर क्षिप्रा के उदगम से संगम 280 किलो मीटर तक क्षिप्रा अध्ययन यात्रा का आधार पर याचिका लगाई । इस याचिका में क्षिप्रा में घटों के जल के सेम्पल लिये गये जिससे अधीकाश घाट के सेम्पल D केटेगरी के आये है अर्थात क्षिप्रा का जल पीने योग्य नहीं है साफ सफाई हेतु ही उपयोग किया जा सकता है। इस याचिका में क्षिप्रा में मिलने वाले KD पेलेस के नाले से लाल रंग का पानी निकल रहा है जो KD पेलेस उज्जैन लेकर महिदपुर तहसील के अंतिम गाँव तक जा रहा है इस पानी का उपयोग 70 किलो मीटर के क्षेत्र में 250 गांव उससे खेती की सिचाई कि लिये कर रहे है जिससे गांव में बिमारियों पनप रही है हाथ पैरों में दर्द रहता है, फसलें जल रही (आलू, प्याज, गेंहू) है।
1- याचिका में 28 पक्षकार है, जिसमें 4 कलेक्टर, 5 नगर निगम/पंचायत, 4 उद्योग, 3 केन्द्र व 12 राज्य व केन्द्र शासन के विभाग सम्मिलित है। याचिका नंबर 25 / 2023 • है। याचिकाकर्ता सचिन दवे है। याचिका सेन्ट्रल झोन फरवरी 2023 में लगायी गई।
2- अध्ययन यात्रा मार्च 2022 से लेकर जून एवं नवम्बर व दिसम्बर 2022 दोनों मौसम गर्मी एवं ठण्डो में की गई है।
3- यात्रा में 4 जिले, 32 स्थान, 20 शोध छात्र को जोड़ा लगभग 1200 ग्रामीणों से चर्चा की गई, 13 प्रमुख कारण क्षिप्रा प्रदूषण के अध्ययन के दौरान ध्यान में आए। 4- इन्दौर कान नदी का पानी एवं देवास से उद्योंगों का पानी भी क्षिप्रा में मिल रहा है.
केवल कुछ ही घांटो पर मछलियाँ मिल रही है।
5- क्षिप्रा के उदगम से संगम तक क्षिप्रा अध्ययन यात्रा में यह पाया गया कि शि अनेक स्थानों पर नाले के रूप में परिवर्तित हो गई है। उद्गम से अरनिया कुछ
तो नदी का स्वरूप ही नही दिखता है।6- क्षिप्रा के उदगम से 7 किलो मीटर बाद क्षिप्रा का अस्तित्व दिखता है अनेक स्थानों पर पानी नहीं मिलता है नर्मदा लिंक से जो पानी क्षिप्रा में जाता है वो ठीक प्रकार से क्षिप्रा में नहीं छोड़ा जा रहा है यह अध्ययन का विषय हो सकता हैं।
7-क्षिप्रा नदी के आस पास अनेक स्थानों पर झाडिया ही नजर आती है घने वृक्षों का अभाव है। 18- क्षिप्रा नदी में कुछ स्थानों पर रेत एवं पत्थर का खनन भी हो रहा है।
9- क्षिप्रा पवित्र एवं हिन्दू धर्म में कुंभ के कारण भी आस्था का केन्द्र है, इस नदी की ऐसी स्थिती यह विचारणीय प्रश्न है।
10- ज्योर्तिलिंग में से प्रसिद्ध महाकाल ज्योर्तिलिंग में एवं महाकाल लोक के कारण देश विदेश से लाखों की संख्या में हिंदू धर्म को मानने वाले श्रद्धालू क्षिप्रा स्नान के लिये उज्जैन आते है किंतु यहां जब वे आते हैतो क्षिप्रा को दूर से ही प्रणाम करके उसके जल को केवल छुकर ही संतुष्ट हो रहे है क्योकि वह जल स्नान करने योग्य भी नहीं रहा है। विगत दिनों गंगा दशहरा के दिन जब श्रद्धालू क्षिप्रा में स्नान के लिए पहुचें तब नदी में मिलने वाले नाले के पानी से दुर्गंध आने से स्नान नहीं किया। 11
– क्षिप्रा में नदी के आस पास सिचाई हो रही है क्षिप्रा का प्रदूषित पानी खेतों में जा रहा है इससे और खेतों के अंदर रासायनिक खादों के प्रयोग के कारण बरसात के दिनों में पूरा खाद नदी में जा रहा है जिसके कारण जलीय जीवन नष्ट हो रहा है। 12- क्षिप्रा के शनि मंदिर स्थिती नदी को पानी का रंग काला हो गया हैं।
13- इस याचिका को लगाने का उददेश्य क्षिप्रा के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रतिबद्ध रहे साथ ही समाजिक संगठनों से भी क्षिप्रा के अस्तित्व को बचाने के लिये आगे आने का आवहान करते हैं।
पूर्व में सचिन दवे द्वारा नर्मदा अध्ययन यात्रा 2013 में की थी, जिसकी रिपोर्ट NGT ने याचिका के रूप में लगायी थी, जिसमें 48 पक्षकार बनाये थे, यह याचिका 2013 से 2020 तक चली जिसमे अनेक परिणामकारी निर्णय हुये है, नर्मदा एक्शन प्लान बना, लगभग 4000 करोड़ राशि स्वीकृत हुयी, 2013 में 7 घाट A-कैटेगरी के थे वर्तमान में 60 घाट A-कैटेगरी के हुये है । मध्यप्रदेश शासन नर्मदा सेवा यात्रा नदी विशेषज्ञ के रूप में घोषित किया था।

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