हमें शोक, मोह, भय से मुक्त करती है श्रीमद्भागवत कथा स्वामीनारायण आश्रम में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

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उज्जैन | श्रीमद्भागवत की कथा श्रवण से क्षमा भाव जागृत होता है सहिष्णुता आती है। यह प्राणी को शोक, मोह व भय से मुक्त करती है। त्रिवेणी के निकट श्री स्वामीनारायण आश्रम में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्री सतगुरु धाम बरुमल के पीठाधीश्वर और भागवत प्रवक्ता स्वामी विद्यानंद सरस्वती महाराज ने भागवत की व्याख्या करते हुए कही। उन्होंने कहा जिसका यश जीवित रहता है, उसका जीवन सार्थक होता है। प्रथम स्कंध की चर्चा करते हुए महाभारत की तात्विक व्याख्या की। स्वामीजी ने अपनी कथा में भगवान श्रीकृष्ण की भी व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अविद्या को समाप्त कर आनंद प्रदान करने वाले हैं। श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के आरंभ में विभाष उपाध्याय ने भूमिका रखी। श्यामसुंदर श्रीवास्तव, मधुसूदन श्रीवास्तव, मुरलीधर श्रीवास्तव ने व्यासपीठ पूजन की। कथा की आरती में उपनिषद आश्रम के स्वामी वितरागानंद महाराज, स्वामी आनंद जीवनदास महाराज, राघव दास, गुजरात चाणोद के महंत घनश्याम महाराज, मीना जोनवाल, डॉ. विमल गर्ग, अशोक प्रजापत उपस्थित थे।

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