उज्जैन हाथ अगर जुहके रहते हैं तो प्रणाम बन जाते हैं। संकल्पों की पुण्य वेदी पर सभी काम बन जाते हैं। अगर आत्मा रहे निरंतर, मन के मानस के संग में, तो पर (दूसरों की) पीड़ा पीने वाले, स्वयं राम बन जाते है। जब-जब घिरे अंधेरे, हमने तुम्हें पुकारा रामा एक तुम्हारे होने पर से जग भर में उजियारा राम होंगे लाख सहारे होंगे, अपना एक सहारा राम मानवता की खुली आंख के सबसे सुंदर सपने राम माता-पिता, गुरुजन, परिजन ने अपने-अपने देखे थे। दुनिया भर ने देखे अपने अपने-अपने, अपने राम …। कवि और लेखक डॉ. कुमार विश्वास की भगवान श्रीराम पर आधारित इन पंक्तियों के साथ गुरुवार की रात कालिदास अकादमी का आंगन गूज उठा। विक्रमोत्सव 2023 के अंतर्गत कुमार विश्वास की तीन दिवसीय राम कथा के आखिरी दिन गुरुवार को कुमार विश्वास ने शंकर के राम पर कथा सुनाई। रात 8.52 बजे कुमार विश्वास ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आइए हम सभी मिलकर प्रार्थना करें और अपनी आत्मा में शंकर प्रिय राम का स्मरण करें। कुमार विश्वास ने कथा के दौरान विक्रम संवत् का उल्लेख करते कहा देश के युवा जल्द वह दिन लेकर आए, जब वापस विश्व का कैलेंडर विक्रम संवत् के अनुसार चलें। पहले वर्ष प्रतिपदा से पूरे विश्व का कैलेंडर चलता था। कथा में यह भी कहा कि उत्तरप्रदेश और बिहार में रामचरित मानस के पन्ने जलाए जाते हैं और वहां के लोग मेरी कथा के लिए कुछ भी बातें करते हैं। ऐसे लोगों की बुद्धि पर में अफसोस कर सकता हूँ। शुरुआत में सिख समाज के जत्थेदार सुरेंद्रसिंह अरोरा, श्रीविशाला सांस्कृतिक समिति के राजेशसिंह कुशवाह, नरेश शर्मा, संजय अग्रवाल ने कुमार विश्वास का स्वागत किया। अंत में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने विश्वास का सम्मान किया। कवि एवं प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी – पवन कुमार जैन भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
2023-02-24