उज्जैन 19 दिसंबर 2022 । सुजलाम जल महोत्सव के अर्न्तगत श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रांगण में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति व महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान एवं सहयोगी संस्था मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के सयुक्त तत्वावधान में दिनांक 05 दिसम्बर 2022 से 29 दिसम्बर 2022 तक मंदिर प्रांगण में चर्तुर्वेद पारायण का आयोजन कर रही हैं। समिति का यह आयोजन भगवान श्री महाकालेश्वर को वेद मंत्रों की आदरांजलि दी जा रही हैं।
*वेदोशिव: शिवोवेद: वेदो नारायण: स्वयं* वेद ही शिव हैं, शिव ही वेद हैं, वेद नारायण के स्वरूप हैं, इसी भावना से चारों वेदों के पारायण से लोक कल्याण की कामना से की जा रही हैं।
मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री संदीप सोनी में बताया कि, दिनांक 18 दिसंबर 2022 से 22 दिसम्बर 2022 तक प्रतिदिन सामवेद की कौथुम शाखा का पारायण वेदमूर्ति ब्राह्मणों द्वारा प्रारंभ किया जा रहा हैं। सामवेद की कौथुम शाखा पारायण के पूर्व प्रात: श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम अवंतिकापुरी उज्जैन के पीठाधीश्वर परमपूज्य राष्ट्रीय संत बाल योगी श्री उमेशनाथ जी महाराज द्वारा किया गया। इस दौरान पूजन में श्री आनन्द मोहन पण्ड्या, सुश्री उर्वशी पण्ड्या, श्री विजय पण्ड्या, सुश्री अनुभा पण्ड्या, श्री अखिलेश उपाध्याय, सुश्री सीमा उपाध्याय श्री प्रणित उपाध्याय आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के सहायक नोडल अधिकारी श्री प्रशांत त्रिपाठी एवं श्री आनंद मोहन पंड्या द्वारा संत श्री का सम्मान किया गया। यह जानकारी श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कार्यक्रम के सहायक नोडल अधिकारी श्री प्रशांत त्रिपाठी द्वारा दी गई।
दिनांक 05 दिसम्बर से 11 दिसम्बर तक 2022 *ऋगवेद शाकल शाखा* का पारायण किया गया। ऋगवेद से संस्कारों की शिक्षा की कामना के साथ यज्ञों, दान की महत्ता मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार आदि पर नियंत्रण, गौ माता एवं कन्याओं की रक्षा, सृष्टि की उत्पत्ति एवं स्थिति का सुचार वर्णन प्राप्त होता है। जिससे यह कामना की गई है कि, हम संस्कारवान होकर लोक कल्याण के लिए यज्ञ-हवन आदि कार्य में लगे रहें।
दिनांक 12 दिसम्बर से 17 दिसम्बर तक 2022 *शुक्ल यजुर्वेद माध्यदिनीय शाखा* का पारायण किया गया। यजुर्वेद कर्मकाण्ड का प्रमुख वेद है, इन्ही मंत्रों से देवी-देवताओं की पूजा सम्पन्न की जाती हैं। ज्ञान मार्ग से ईश्वर प्राप्ति तथा यज्ञों का वृहद वर्णन प्राप्त होता है। ईशावास्योपनिषद् जैसे महान उपनिष्द का उल्लेख मिलता यहीं प्राप्त होता है।
दिनांक 18 दिसम्बर 2022 से *सामवेद की कौथुम शाखा* का पारायण प्रारंभ किया जा रहा हैं, जो 22 दिसम्बर तक चलेगा। इसमें संगीतमय यज्ञ अनुष्ठान, हवन के मंत्रों का गायन पद्धति तथा सोमयज्ञ के माध्यम से उपासना की गयी है। संगीत शास्त्र का जन्म ही सामवेद से हुआ हैं।
दिनांक 23 से 27 दिसम्बर तक *अथर्ववेद की शौनक शाखा* का पारायण किया जावेगा। अथर्ववेद के पारायण से विविध रोगों से निवृत्ति की कामना की जावेगी। अथर्ववेद के मंत्रों से दीर्घ आयु व अस्त्र-शस्त्र आयुध निर्माण एवं संचालन कामना की जाती है।
श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबन्ध समिति अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार धर्म,संस्कृति एवं आध्यात्म के माध्यम से समाज के कल्याण के लिए निरन्तर आयोजन करती रहती हैं। इसी श्रृंखला में *सुजलाम जल महोत्सव* का आयोजन कर रही है।
2022-12-19