जोड़ प्रत्यारोपण की नेविगेशन /रोबोट एसिस्टेड तकनीक अब उज्जैन में भी संभव हे इस सौगात को लेकर डॉ जय शर्मा जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ ने पत्रकारों को प्रेस क्लब तरणताल पर जानकारी देते हुए बताया

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उज्जैन डॉ जय शर्मा ने प्रेस वार्ता में बताया की कंप्यूटर असिस्टेड जोड़ प्रत्यारोपण अब उज्जैन मे इस सुविधा को 1 दिसंबर से शहरवासियों को समर्पित करने जा रहे है। पूरे दिसंबर में शर्मा क्लिनिक, फ्रीगंज में जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए कैंप चलेगा और दिसंबर एवं जनवरी में किए जाने वाले सभी जोड़ प्रत्यारोपण जो नेविगेशन तकनीक से किए जाएंगे उसमें नेविगेशन मशीन का अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। साइंस में ऑर्थोपीडिक सर्जरी सबसे तीव्र गति से परिवर्तनशील विज्ञान की विधा है। बीसवीं सदी के 50 के दशक में जूडेट द्वारा पहला सफल कूल्हे का प्रत्यारोपण किया गया था जिसके बाद में सर जॉन चार्नल, डॉ राणावत, • डॉ इंसाल स्कॉट द्वारा कूल्हे एवं घुटनों की शल्यक्रिया में नए कीर्तिमान हासिल किए। नई नई तकनीक ईजाद कर इम्प्लांट निर्माता कंपनियां और डॉक्टरों की टीम सतत् प्रयास करती है कि हर दिन कुछ नया किया जा सके। डॉक्टर गुरवा रेड्डी, हैदराबाद और डॉक्टर एलन ग्रोस, कनाडा से प्रत्यारोपण की ट्रेनिंग हासिल कर विश्वस्तरीय प्रत्यारोपण सर्जरी के गुर सीख डॉ जय शर्मा पिछले सात साल से उज्जैन शहर में कार्यरत है। पिछले सात सालों में दो सौ से अधिक प्रत्यारोपण सर्जरी के अनुभव के साथ इस आधुनिक युग में रोबोट / कंप्यूटर एसिस्टेड सर्जरी की दिशा में कदम उठाया जा रहा है। जर्मनी में निर्मित ब्रेन लेब नेवीगेशन मशीन की सहायता से घुटने एवं कूल्हे का जोड़ प्रत्यारोपण अब उज्जैन में संभव रहेगा। इस विधा में जोड़ प्रत्यारोपण, कंप्यूटर / रोबोट द्वारा निर्देशित कोण में होता है. जिसके चलते हड्डियों का कट सटीक रहता है, जिस कारण जोड़ ज्यादा स्थिर रहता है, लंबे समय तक चलता है और जोड़ की चाल भी बेहतर रहती है। इक्कीसवीं सदी में नेविगेशन घुटना एवम् कूल्हा रिप्लेसमेंट एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन के सामने आया है इस विधा में लेज़र की किरणों को इस्तेमाल कर कैमरा सेंसर से सटीक बोन कट्स लिये जाते है, जिसके चलते मरीज़ को MRI या CT स्कैन कराने की ज़रूरत नहीं पड़ती और खर्च बचता है। 2014 के दौरान जब डॉ जय शर्मा टोरोंटो कनाडा स्थित माउंट सिनाई अस्पताल में डॉ एलन ग्रॉस के साथ काम कर रहे थे उसी दौरान इस विधा की नई पीढ़ी के सिस्टम पर काम चल रहा था। डॉ एलन ग्रॉस ने इस नयी पीढ़ी के नेविगेशन सिस्टम में कूल्हे के सॉफ्टवेर की रचना में महत्वपूर्ण योगदान किया है। डॉ शर्मा नेविगेशन शल्यक्रिया की बारीकियों से ना सिर्फ़ वाक़िफ़ है बल्कि खुद भी करते आये है, इसी वर्ष जुलाई-अगस्त में नागपुर स्थित ३ दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने भाग लिया और मन बना लिया की अब यह विधा को उज्जैन लाने का सही टाइम आ गया है। डॉ जय शर्मा इस सुविधा को 1 दिसंबर से शहरवासियों को समर्पित करने जा रहे है। पूरे दिसंबर में शर्मा क्लिनिक, फ्रीगंज में जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी के लिए कैंप चलेगा और दिसंबर एवं जनवरी में किए जाने वाले सभी जोड़ प्रत्यारोपण जो नेविगेशन तकनीक से किए जाएंगे उसमें नेविगेशन मशीन का अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।

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