18 सितंबर को होगा भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : जनजीवन, समाज और विविध शैलियां पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संजा लोकोत्सव 18 सितंबर से 25 सितंबर तक उज्जैन में

Listen to this article

18 सितंबर को होगा भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : जनजीवन, समाज और विविध शैलियां पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
संजा लोकोत्सव 18 सितंबर से 25 सितंबर तक उज्जैन में
प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था द्वारा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से प्रतिवर्ष आयोजित संजा लोकोत्सव 2022 का आयोजन इस वर्ष दिनांक 18 सितंबर से 25 सितंबर तक होगा। इस महत्वपूर्ण आयोजन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक 18 सितंबर 2022, रविवार को प्रातः 11:00 बजे कालिदास संस्कृत अकादमी स्थित पंडित सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागार में आयोजित की जाएगी।
यह जानकारी देते हुए अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य समन्वयक प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी भारतीय लोक और जनजातीय साहित्य एवं संस्कृति : जनजीवन, समाज और विविध शैलियां पर एकाग्र होगी।
प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था की निदेशक डॉ पल्लवी किशन एवं सचिव श्री कुमार किशन ने बताया कि संजा लोकोत्सव के अंतर्गत आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय होंगे। आमंत्रित विशेषज्ञ विद्वानों में डॉ बीरसेन जागासिंह, मॉरीशस, श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, ऑस्लो, नॉर्वे, डॉ धर्मेंद्र पारे, भोपाल, प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, उज्जैन, प्रो कल्पना गवली, बड़ौदा, गुजरात, डॉ अरुण कुमार उपाध्याय, भुवेश्वर, ओड़िसा, डॉ सुनीता मंडल, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, डॉ बहादुर सिंह परमार, छतरपुर, मध्यप्रदेश, डॉ उमेश कुमार सिंह, वर्धा, महाराष्ट्र, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, उज्जैन एवं डॉ श्रीनिवास शुक्ल सरस, सीधी, म प्र सम्मिलित हैं। संगोष्ठी में देश के 7 से अधिक प्रांतों के प्राध्यापक, शोधकर्ता, संस्कृति कर्मी एवं लोक संस्कृति प्रेमी भाग लेंगे।
संजा लोकोत्सव के अंतर्गत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकरंग जत्रा, लोक कला प्रतियोगिता, प्रदर्शनी, प्रशिक्षण, लेक्चर डिमांस्ट्रेशन एवं प्रतिकल्पा शिखर सम्मान अलंकरण समारोह का आयोजन किया जाएगा।
प्रतिकल्पा सांस्कृतिक संस्था ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में सहभागिता का अनुरोध लोक संस्कृति प्रेमी, साहित्यकार और गणमान्य नागरिकों से किया है।

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे